Power Conflict In Karnataka Government: कर्नाटक (Karnataka) में नेतृत्व को लेकर उठा राजनीतिक तूफान अब शांत होता दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) के बीच पावर शेयरिंग को लेकर चर्चाओं ने पिछले कुछ दिनों में काफी सुर्खियाँ बटोरी थीं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर शनिवार सुबह कावेरी निवास (Kaveri Residence) में हुई ब्रेकफास्ट मीटिंग ने पूरे राजनीतिक माहौल में नई हलचल पैदा कर दी। बैठक के बाद दोनों नेताओं की प्रतिक्रिया ने संकेत दिया कि अंदरूनी मतभेदों की चर्चाएँ अब धीरे-धीरे शांत पड़ सकती हैं। क्या वाकई विवाद थम गया है या अभी भी कुछ सवाल बाकी हैं?
कर्नाटक में पावर शेयरिंग विवाद की शुरुआत कैसे हुई/Power Conflict In Karnataka Government
कर्नाटक (Karnataka) में सरकार बनने के कुछ समय बाद से ही मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) के बीच पावर शेयरिंग पर अटकलें तेज थीं। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म थी कि डीके शिवकुमार अपने समर्थक विधायकों के साथ नेतृत्व परिवर्तन या सत्ता साझेदारी पर पार्टी आलाकमान से मुलाकात कर सकते हैं। कई विधायक दिल्ली (Delhi) में मौजूद भी थे, जिससे कयास और अधिक तेज हो गए। बीते हफ्तों में यह विवाद इतना बढ़ गया कि कांग्रेस हाईकमान को दखल देना पड़ा। पार्टी नेतृत्व चाहता है कि सरकार की स्थिरता पर कोई आंतरिक खटपट असर न डाले। यही वजह थी कि आला नेताओं ने सिद्धारमैया और शिवकुमार से सीधे बातचीत करने के लिए कहा, ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके और किसी भी गलतफहमी को दूर किया जा सके। इस पृष्ठभूमि में हुई यह नाश्ते की बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

नाश्ते की बैठक में क्या-क्या चर्चा हुई
शनिवार सुबह कावेरी निवास (Kaveri Residence) में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) के बीच हुई ब्रेकफास्ट मीटिंग करीब एक घंटे तक चली। दोनों नेताओं ने सार्वजनिक रूप से कुछ ही शब्द कहे, लेकिन अंदर की चर्चा को ‘सार्थक’ और ‘उपयोगी’ बताया। शिवकुमार ने मीटिंग के बाद कहा कि राज्य की प्राथमिकताओं, विकास कार्यों और आने वाले शीतकालीन सत्र पर विस्तृत बातचीत हुई। जबकि सिद्धारमैया ने इस बात को खारिज किया कि कोई नेतृत्व संकट है। उन्होंने साफ कहा कि कुछ विधायक मंत्री पद की इच्छा से आलाकमान से मिलने गए थे, लेकिन इसे नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह नहीं माना जाना चाहिए। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के प्रति सहयोग की बात दोहराई, जिससे संकेत मिलता है कि चल रही खींचतान को अब शांत करने की कोशिश हो रही है।
कोई गुटबाज़ी नहीं, सब कुछ ठीक
ब्रेकफास्ट मीटिंग के बाद डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) ने मीडिया और सोशल मीडिया दोनों माध्यमों से स्पष्ट संदेश दिया कि कांग्रेस सरकार में किसी प्रकार की गुटबाज़ी नहीं है। उन्होंने कहा कि जनता ने कांग्रेस को स्पष्ट समर्थन दिया है और सरकार उसी दिशा में काम कर रही है। शिवकुमार ने कहा कि हाईकमान जो भी निर्णय करेगा, वह पूरी तरह पालन किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने आगामी शीतकालीन सत्र का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार अब BJP और JDS जैसे विपक्षी दलों का संयुक्त रूप से सामना करने की तैयारी में है। उधर, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) ने भी साफ कर दिया कि दिल्ली जाने वाले विधायक किसी असंतोष के चलते नहीं गए, बल्कि अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चा करना चाहते थे। दोनों के बयानों से साफ है कि पार्टी मौजूदा परिस्थिति में एकजुटता का संदेश देने की कोशिश कर रही है।
क्या विवाद सच में खत्म हो गया?
बयानों से भले ही माहौल शांत प्रतीत हो रहा हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कर्नाटक (Karnataka) में पावर शेयरिंग को लेकर असंतोष पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। फिर भी ब्रेकफास्ट मीटिंग ने तत्काल संकट को टालने का काम जरूर किया है। आने वाला शीतकालीन सत्र इस सरकार की एकजुटता की असली परीक्षा होगा। कांग्रेस आलाकमान भी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है ताकि किसी भी संभावित विवाद को समय रहते सुलझाया जा सके। सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) और शिवकुमार (DK Shivakumar) के सार्वजनिक रूप से दिए गए सकारात्मक बयान यह साफ संकेत देते हैं कि फिलहाल दोनों नेता मिलकर सरकार को स्थिर दिशा में आगे बढ़ाने के प्रयास में जुटे हैं। हालांकि, भविष्य में स्थिति किस दिशा लेगी, यह आने वाले हफ्तों में स्पष्ट होगा।










