Sleeping With Covered Face: रज़ाई में मुंह ढककर सोने के सुकून और सेहत का असली विज्ञान क्या है?

Sleeping With Covered Face: क्यों रजाई सिर तक खींचने से मिलती है गहरी नींद? जानिए सेहत पर पूरा असर

Sleeping With Covered Face: सर्दियों (Winters) की ठिठुरन जैसे ही बढ़ती है, कई लोग रजाई या कंबल चेहरे तक खींचकर सोना पसंद करते हैं। यह गर्माहट, सुरक्षा और सुकून का ऐसा एहसास देता है, मानो बाहर की ठंडी दुनिया से एक नरम-सा कवच मिल गया हो। यह आदत एक तरह से हमारे दिमाग को आराम और नींद को गति देती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह सुकून वास्तव में कैसे काम करता है? क्या कंबल में मुंह ढककर सोना सिर्फ आराम देता है या शरीर पर इसके कुछ छिपे हुए प्रभाव भी होते हैं? नींद, सांस, त्वचा और शरीर के तापमान पर इसका असर पूरी तरह अलग हो सकता है, कभी फायदेमंद, तो कभी नुकसानदायक। तो चलिए जानते हैं पूरी खबर क्या है…

रजाई के अंदर सुकून क्यों महसूस होता है?/Sleeping With Covered Face

सर्दियों (Winter) में कंबल चेहरे तक खींचकर सोना कई लोगों के लिए एक मानसिक और शारीरिक आराम का एहसास होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे ही हम चेहरा ढकते हैं, कंबल के भीतर एक छोटा-सा गर्म वातावरण बन जाता है। बाहर की ठंडी हवा, हल्की रोशनी और शोर से दूरी पाकर दिमाग को सुरक्षा का संकेत मिलता है। यह “कोज़ी एनवायरनमेंट” (Cozy Environment) शरीर में रिलैक्सेशन हार्मोन बढ़ाता है, जिससे नींद जल्दी आने लगती है। कंबल (Blanket) के नीचे अंधेरा बढ़ने से ब्रेन की सक्रियता भी कम होती है, जिससे नींद और गहरी हो सकती है। यह आदत अक्सर बचपन की उस सुरक्षा भावना से भी जुड़ी होती है जब बच्चे खुद को ढककर सुरक्षित महसूस करते हैं। यही वजह है कि रजाई में मुंह ढकना हमें मानसिक रूप से शांत और सुरक्षित महसूस कराता है।

आराम के साथ जोखिम भी

हालांकि चेहरा कंबल के अंदर रहता है तो यह तरीका सुकून देता है, लेकिन सांस लेने से जुड़ी कुछ समस्याएं भी पैदा कर सकता है। जब आप मुंह ढककर सोते हैं, तो कंबल के अंदर कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) बढ़ने लगती है और ताजी ऑक्सीजन (Fresh Oxygen) कम होती जाती है। बार-बार वही गर्म, बासी हवा अंदर लेने से नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। कई लोगों को सुबह भारीपन, थकान, चक्कर या सिरदर्द महसूस होता है। जिन लोगों को साइनस, एलर्जी या अस्थमा है, उनमें लक्षण और बढ़ सकते हैं क्योंकि बंद वातावरण में धूल और नमी सांस की दिक्कतें बढ़ा देती है। लंबे समय तक यह आदत शरीर में ऑक्सीजन लेवल को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए भले यह आरामदायक लगे, लेकिन सांस से जुड़े इस जोखिम को समझना जरूरी है।

त्वचा, तापमान और सेहत पर असर

जब चेहरा कंबल (Face In Blanket) के अंदर रहता है, तो त्वचा के आसपास नमी बढ़ जाती है। इससे पसीना, गर्मी और सांस की नमी मिलकर बैक्टीरिया को बढ़ने का मौका देती है। ऐसे में पोर्स बंद हो सकते हैं, मुंहासे बढ़ सकते हैं और संवेदनशील त्वचा वालों को लालपन या जलन हो सकती है। वहीं शरीर के तापमान को भी यह आदत बिगाड़ देती है। नींद के दौरान शरीर का तापमान स्वाभाविक रूप से कम होता है, लेकिन चेहरा ढकने से गर्मी बाहर नहीं निकल पाती। इससे बेचैनी, पसीना, डिहाइड्रेशन या दिल की धड़कन बढ़ने जैसी स्थितियां हो सकती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि तापमान गड़बड़ होने से नींद की गुणवत्ता गिरती है और शरीर पूरी तरह रिलैक्स नहीं कर पाता। यही कारण है कि चेहरे को खुला रखना हमेशा बेहतर माना जाता है।

बच्चों के लिए बेहद खतरनाक

शिशुओं और छोटे बच्चों में कंबल (Blanket) से चेहरा ढकना गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है। वे अपनी चादर या रजाई खुद ठीक नहीं कर पाते, जिससे सांस का रास्ता बंद होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी वजह से डॉक्टर और विशेषज्ञ हमेशा सलाह देते हैं कि बच्चों का चेहरा खुला रहना चाहिए। वयस्कों के लिए भी बेहतर यही है कि चेहरे को ढके बिना गर्म रहने के सुरक्षित उपाय अपनाएँ। जैसे—लेयर वाले कंबल का इस्तेमाल, थर्मल और मोजे पहनना, पैरों के पास हॉट वॉटर बैग रखना, ब्रीथेबल कॉटन बेडिंग चुनना या अंधेरा पसंद हो तो आई-मास्क लगाने जैसे आसान और सुरक्षित उपाय काफी मदद करते हैं। इससे शरीर गर्म भी रहेगा और सांस व त्वचा दोनों सुरक्षित रहेंगे।

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