Al-Falah University Explosive Conspiracy: लाल किला (Red Fort) बम धमाके के बाद सुरक्षा एजेंसियां अब अल-फलाह यूनिवर्सिटी (Al-Falah University) को जांच के केंद्र में रखकर आगे बढ़ रही हैं। शुरुआती जांच में कई ऐसे सुराग मिले हैं जिन्होंने पूरे मामले को और भी संदिग्ध बना दिया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यूनिवर्सिटी से जुड़े कई डॉक्टर और स्टाफ अचानक लापता हो गए हैं, जबकि उनके सोशल मीडिया अकाउंट एक साथ डिलीट या डीएक्टिवेट पाए गए हैं। कई मोबाइल फ़ोन लगातार स्विच्ड ऑफ आ रहे हैं, जिससे एजेंसियों की आशंका और गहरी होती जा रही है। इसी बीच, करोड़ों के संदिग्ध बैंक लेनदेन और एक किराए के कमरे में विस्फोटक तैयार करने की गुप्त लैब ने इस केस को और जटिल बना दिया है।
धमाके के बाद जांच का दायरा बढ़ा/Al-Falah University Explosive Conspiracy
लाल किला (Red Fort) बम धमाके की घटना ने देश की सुरक्षा व्यवस्था को हिला दिया था। धमाके के तुरंत बाद एजेंसियों ने संभावित नेटवर्क और इससे जुड़े संस्थानों पर विशेष नजर रखना शुरू किया। इसी क्रम में जांच का दायरा बढ़ाते हुए सुरक्षा एजेंसियां फरीदाबाद (Faridabad) स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी (Al-Falah University) तक पहुंचीं, क्योंकि शुरुआती इनपुट में यहां कार्यरत एक डॉक्टर का नाम सामने आया था। यूनिवर्सिटी पिछले कुछ समय से विवादों में रही है और इसके कुछ पूर्व स्टाफ के गतिविधियों पर भी पहले सवाल उठे थे। धमाके के बाद मिले नए इनपुट्स ने सुरक्षा एजेंसियों को यह मानने पर मजबूर किया कि किसी संगठित नेटवर्क की भूमिका इस हमले के पीछे हो सकती है। पृष्ठभूमि में मौजूद इन तमाम कड़ियों ने इस केस को एक हाई-प्रोफाइल और बहुस्तरीय जांच में बदल दिया है।

डॉक्टर और स्टाफ गायब, सोशल मीडिया अकाउंट भी डिलीट
जांच में सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी (Al-Falah University) से जुड़े कई डॉक्टर और स्टाफ सदस्य धमाके के बाद से संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इनमें से कुछ लोगों का इस साजिश में सीधे तौर पर हाथ हो सकता है, या फिर उन्हें इसके बारे में जानकारी हो सकती है। हैरानी की बात यह है कि इन संदिग्धों के सोशल मीडिया अकाउंट—फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (Instagram) और एक्स (X)—एक साथ डीएक्टिवेट कर दिए गए। कई मोबाइल नंबर लगातार बंद पाए गए, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि धमाके के बाद जानबूझकर डिजिटल ट्रेस मिटाने की कोशिश की गई। जांच टीम ने अब तक 12 से अधिक लोगों से पूछताछ की है, लेकिन उनके बयानों में गंभीर विरोधाभास मिले हैं। यह विरोधाभास सुरक्षा एजेंसियों को किसी बड़े छिपे नेटवर्क की ओर संकेत देता है।
बैंक खातों में संदिग्ध लेनदेन
सुरक्षा एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी से जुड़े कई बैंक खातों की जांच शुरू की है, खासकर वे जिनमें 2 लाख रुपये से अधिक की गतिविधि पाई गई। शुरुआती स्कैनिंग में कुछ लेनदेन बेहद संदिग्ध मिले हैं, जिससे इस नेटवर्क के वित्तीय स्रोतों को लेकर कई प्रश्न खड़े हो गए हैं। अधिकारियों का मानना है कि इन ट्रांजेक्शनों के जरिए किसी बड़े संगठन से फंडिंग की संभावना हो सकती है। वहीं पूछताछ के दौरान स्टाफ और संबंधित व्यक्तियों के बयानों में पाए गए विरोधाभासों ने जांच को और गंभीर बना दिया है। एजेंसियों ने इस मामले को “गंभीर संगठित साजिश” की श्रेणी में रखना शुरू कर दिया है। इधर, स्थानीय स्तर पर घटना को लेकर छात्रों और नागरिकों में भय और चिंता का माहौल है, जबकि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने फिलहाल मामले पर चुप्पी साध रखी है।
गुप्त लैब से मिला बड़ा सुराग
जांच को निर्णायक दिशा उस समय मिली जब पुलिस ने फरीदाबाद (Faridabad) में एक किराए के कमरे पर छापेमारी की। यह कमरा जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) के पुलवामा (Pulwama) निवासी गनई (Ganaie) द्वारा किराए पर लिया गया था। वह अल-फलाह यूनिवर्सिटी (Al-Falah University) में डॉक्टर के पद पर कार्यरत था। जांच में सामने आया कि वह इसी कमरे को गुप्त लैब की तरह इस्तेमाल करता था, जहां वह आटा चक्की की मदद से यूरिया को पीसकर रिफाइन करता था और उसे अमोनियम नाइट्रेट में बदलकर विस्फोटक तैयार करता था। 9 नवंबर को छापेमारी के दौरान पुलिस ने 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रिक उपकरण बरामद किए। गनई ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वह लंबे समय से इसी तकनीक का उपयोग कर विस्फोटक बना रहा था। फिलहाल एजेंसियां उसके नेटवर्क, मददगारों और यूनिवर्सिटी से जुड़े अन्य सहयोगियों की तलाश में जुटी हैं, और आने वाले दिनों में कई और बड़े खुलासों की उम्मीद है।










