- जिले का पहला नेत्र चिकित्सालय आयुष्मान योजना से करा रहा आँखों के मरीजों को लाभान्वित
रायबरेली में केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना से लाभान्वित कराने वाला पहला रायबरेली नेत्र चिकित्सालय। आंखों के मरीजों के लिए पसंदीदा और सबसे सस्ता हॉस्पिटल बनता जा रहा है। यहां इस अस्पताल में आने वाले मरीजों को उनकी सुविधा के अनुसार इलाज सुगमतापूर्वक मिल रहा है, बिना किसी एडमिशन चार्ज के ही यहां कुसल डॉक्टरों द्वारा मरीजों को नई रोशनी दी जाती है। यह रायबरेली नेत्र चिकित्सालय शहर के लखनऊ प्रयागराज हाइवे व रायबरेली सुल्तानपुर रोड़ के बीचो बीच सारस चौराहा पर स्थित हैं। इस रायबरेली नेत्र चिकित्सालय के मुखिया व संस्थापक डॉ अनुज कुशवाहा आँखों के मरीजों के लिए रामबाण औषधि की तरह काम कर रहे हैं। इस हॉस्पिटल में इलाज कराने वाले मरीजों का कहना है कि, हॉस्पिटल में लगी तरह तरह की आंखों की इलेक्ट्रॉनिक मसीनों उपकरणों से उनकी आँखों की पहले कुशल स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा जाँच पड़ताल की जाती है। जिसका कोई शुल्क नहीं लिया जाता है न ही कोई रजिस्ट्रेशन फीस है। दवाएं भी सस्ती और अच्छी दी जाती हैं। जिससे मरीज को बार बार हॉस्पिटल न आना पड़े मरीज अमित कुमार,चंद्र प्रकाश पांडे, सुरेश कुमार, अशोक कुमार आदि मरीजो ने बताया कि इस हॉस्पिटल में किसी भी जांच के लिए बाहर कही और जाने की जरूरत नहीं है। सारी जांचे यही पर उपलब्ध हो जाती है। इस हॉस्पिटल के संस्थापक डॉ अनुज कुशवाहा को गरीबों, बेसहारों का मसीहा कहना कुछ गलत नहीं होगा, क्योंकि डॉक्टर और मरीजों के बीच का जो दायरा होता है। वह बेहद खूबसूरत और संतुष्टि जनक माना जा रहा है। हॉस्पिटल के कर्ता धर्ता डॉ अनुज कुशवाहा का मानना है। इंसान रूपी जीवन मिलने पर ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करनी चाहिए, हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों को यहां सबसे कम पैसों में इलाज मिल रहा है। केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना से कार्ड लाने वाले आँखों के मरीजों को बेहतर इलाज देकर योजना से लाभान्वित किया जा रहा है। एक सेवा करने का उनके दिल में जो जज्बा है। उसी को वह बरकरार रखना चाहते हैं। डॉक्टर ने बताया कि यहाँ विभिन्न प्रकार की आंखों के जांच के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीन लगाई गई है। जिससे आने वाले मरीजों को लाभ मिल रहा है। जानकारी अनुसार बता दे कि, पहले डॉक्टर अनुज कुशवाहा रायबरेली जिला अस्पताल के नेत्र विशेषज्ञ के रूप में तैनात किए गए थे, लेकिन यहां किन्ही कारण वश मरीजों को बेहतर सुविधाएं न दे पाने के कारण अपना निजी हॉस्पिटल चलाकर सुविधा दे रहे हैं और जिला अस्पताल की सरकारी नौकरी को त्याग दिया,क्योंकि किसी ने सच ही कहा है कि जो हाथों का हुनर है। वह कभी किसी भी कार्य से पीछे नहीं हटता है। क्योंकि ज्ञान के रोशनी की एक किरण भी जीवन का अंधेरा मिटा सकती हैं। रायबरेली नेत्र चिकित्सालय को खुले हुए लगभग दो वर्ष होने को है। इन दो वर्षों में यहां आँखों के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और परिसर छोटा होता जा रहा है। क्योंकि मरीज ने बताया है, कि जो सुविधा इस अस्पताल में मिल रही है। वह किसी भी आंख अस्पताल में नहीं मिल रही है। हॉस्पिटल सुबह 8:00 बजे खुल जाता है और 2:00 तक यहां मरीजों को देखा जाता है और जो पेशेंट मोतियाबिंद, ग्लूकोमा जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं। ऑपरेशन के लिए आते है, तो पहले उनसे उनकी स्वेच्छा अनुसार उनकी मर्जी पूछी जाती है और विभिन्न जांचों के बाद ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जाता है। 2:00 बजे के बाद से यहां ऑपरेशन की प्रक्रिया कराई जाती है।
यहां के स्वास्थ्य कर्मियों को रोजाना, डॉक्टर अनुज कुशवाहा खुद ट्रेनिंग लेते हैं। बाकायदा एग्जाम कराते हैं और कुशल बनकर ही उनको उनका काम सौंपते हैं। तीमारदारों की सहूलियत और मरीजों से कैसे पेश आना है। उसका भी बेहद ख्याल रखा जाता है। डॉक्टर अनुज कुशवाहा की माने तो रोजाना एक दर्जन से अधिक लोगों का सफल ऑपरेशन किया जाता है। जिससे आने वाले मरीजों को खोई हुई नई रोशनी मिल सके। यही नहीं हजारों मरीजों का अब तक सफल ऑपरेशन किया जा चुका है। चाहे वह आयुष्मान भारत योजना के तहत हो या बिना किसी योजना के हो,सभी मरीजों का बेहतर से बेहतर इलाज किया जाता है। यहां डॉक्टर अनुज कुशवाहा के साथ शुगर और ब्लड प्रेशर की जांच के लिए लखनऊ से भी एक डॉक्टर,डी के रैना भी आते हैं। जो सप्ताह के सोमवार बुधवार और शनिवार को बैठते हैं। मरीज के साथ-साथ रायबरेली नेत्र चिकित्सालय से लोगों का सामाजिक दायरा भी बढ़ रहा है। समाज के बेरोजगार बच्चों को रोजगार भी देने का कार्य किया जाता है और मरीजों को जीने की एक आस मिल रही है।