बेटे-पोते की विधवा से संबंध बनाने का सपना अब रहेगा अधूरा, लिस्ट देख लें मुस्लिम इन महिलाओं से की शादी तो अब खैर नहीं

ब्यूरो रिपोर्ट

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी UCC लागू हो गया है। इसके साथ ही मुस्लिम मर्दों का किसी से भी निकाह कर लेना आसान नहीं होगा। UCC में 74 ऐसे रिश्तों का जिक्र किया गया है, जिसमें न तो उनके साथ निकाह में बंध सकते हैं और न ही लिव इन रिलेशनशिप में।

अगर वो ऐसा करते हैं तो सबसे पहले मौलानाओं को बताना पड़ेगा। रजिस्ट्रार को भी सूचित करना पड़ेगा। रजिस्ट्रार तय करेगा कि रिश्ता सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ है या फिर नहीं। नियम के विरुद्ध पाए जाने पर रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया जाएगा।

ये रहा लिस्ट

बहन, भांजी, भतीजी, मौसी, चचेरी बहन, फुफेरी बहन, मौसेरी बहन, ममेरी बहन, मां, सौतेली मां, नानी, सौतेली नानी, परनानी, माँ की दादी, दादी, सौतेली दादी, पिता की नानी , बेटी , विधवा बहू, नातिन, परनतिन, पोते की विधवा, परपोती, नाती की विधवा। ये सारे रिश्ते UCC के अंतर्गत वैध नहीं माने जायेंगे। UCC एक्ट में लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराना भी अनिवार्य है। एक महीने के अंदर इसे कराना पड़ेगा।

हलाला से मिलेगी मुक्ति

बता दें कि 27 जनवरी 2025 को उत्तराखंड में यूसीसी लागू कर दिया गया। इसके अंतर्गत अब राज्य में हिंदू- मुस्लिम के लिए कानून बराबर हो गए हैं। मुस्लिम महिलाओं को इससे ट्रिपल तलाक और हलाला जैसी कुप्रथा से मुक्ति मिलेगी। वहीं बेटियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया जाएगा।

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