दिशोम गुरु शिबू सोरेन के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए श्री शनिदेव मंदिर व श्री विश्वनाथ मंदिर में की गई सामूहिक प्रार्थना
झारखंड आंदोलनकारी समन्वय समिति के कोर कमिटी की एक विशेष बैठक शनिवार को रांची के धुर्वा स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर के बैंक्वेट हॉल में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ आंदोलनकारी नेता रमेश कुमार साहू ने की। बैठक में झारखंड आंदोलनकारी महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष राजू महतो मुख्य रूप से उपस्थित थे। वहीं बैठक में समिति के कई प्रमुख सदस्यों की मौजूदगी रही। जिनमें प्रतिभा पांडेय, कयूम खान, किशोर किस्कू, महावीर विश्वकर्मा, बाबू राम मुर्मू, नीरू शांति भगत, सागर सिंह, मेरी तिर्की, अनिल कुमार भगत, विनीता खलखो, प्रवीण झा, एरेन कच्छप और योगेंद्र महतो आदि ने बैठक में भाग लिया। बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव और निर्णय लिए गए। जहां चार प्रमुख एजेंडों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। जिनमें: 1.व्यक्तिगत मामलों में सामूहिक हस्तक्षेप का निर्णय: समिति ने सर्वसम्मति से यह तय किया कि कोई भी सदस्य व्यक्तिगत लड़ाइयों में संलग्न नहीं होगा। यदि किसी सदस्य के विरुद्ध गंभीर मामला सामने आता है, तो उसपर जांचोपरांत समन्वय समिति ही निर्णय लेगी और आवश्यक होने पर सामूहिक रूप से आगे की रणनीति बनाई जाएगी। 2. आयोग से प्रत्यक्ष संवाद की योजना: समिति ने निर्णय लिया कि आगामी मंगलवार, 1 जुलाई को दोपहर 12 बजे, अधिकतम संख्या में आंदोलनकारी सदस्य आयोग कार्यालय पहुंचेंगे। वहां आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों से सीधा संवाद कर आंदोलनकारियों से जुड़े लंबित मामलों और प्रक्रियाओं की जानकारी ली जाएगी। 3. प्रमंडलीय स्तर पर संगठनात्मक विस्तार: राज्य के सभी प्रमंडलों में समन्वय समिति की इकाइयों के गठन पर सहमति बनी। इसके तहत 20 जुलाई को उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल की बैठक तोपचांची में आयोजित की जाएगी, जिसमें कोर कमिटी के सभी सदस्यों की अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। 4. दिशोम गुरु के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु सामूहिक प्रार्थना: बैठक के उपरांत समिति के सभी सदस्यों ने झारखंड आंदोलन के प्रेरणा स्रोत दिशोम गुरु शिबू सोरेन के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ एवं दीर्घायु की कामना करते हुए श्री शनिदेव मंदिर एवं श्री श्री 108 विश्वनाथ मंदिर में सामूहिक रूप से विशेष प्रार्थना की गई।
संगठन को सशक्त करने की दिशा में सार्थक पहल: इस विशेष बैठक को झारखंड आंदोलनकारियों के संगठनात्मक सशक्तिकरण, समन्वय और अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। बैठक में लिए गए निर्णय आने वाले समय में आंदोलनकारी समाज को एकजुट करने और उनके हितों की प्रभावी आवाज़ उठाने में सहायक सिद्ध होंगे।