जिले की रहने वाली एक बेटी अपनी कविताओं से कर रही नाम रोशन

रायबरेली जिले की रहने वाली एक बेटी अपनी कविताओं के माध्यम से लगातार जनपद वासियों का नाम रोशन कर रही है पारुल यादव ने अपने जीवन की कुछ ऐसी कविताएं लिखी हैं जो अगर कोई एक बार पढ़ ले तो वह की कविताओं के अर्थ को समझ जाएगा कि ईसका अभिप्राय क्या है।

अज़ल से शुरू अबद तक का सफर है।

मुसाफिर है यहाँ सब
बिता कल भूला ना भूले
आने वाले कल की ना कोई खबर है।

ख़फ़ा तो कभी खुद से बद गुमाँ
अपने ही घर के अज़नबी है हम यहाँ
कभी शिकवे, ग़िलों की महफ़िल लगी
तो कभी इश्क फरमाया गया
दिल करता भी क्या,,,,,,
ना जाने कितनी तर्किबो से उसे बहेलाया गया
इंसान है वसीला, रज़िक है खुदा
मत घबरा ऐ बन्दे,,,,,,
दर बन्द होंगे तो दरीचे खुलेंगे यहाँ
उम्मीदों की चादर ओढ़े ठोकर खाई है यहाँ
शायद कायनात,,,,,,
तेरी मंज़िलों के वास्ते तुझे लाई है यहाँ
ज़र्द जड़े आंसूओं से सब्ज़ हो जायेंगी
तेरी नियत में कोई खोट नहीं तो
बदुआएँ बरकतों में बदल जायेंगी
उसूल ना बदल, रास्तों से लरज़ते ना होना
हिस्से में गम है तो बस खुदा से रोना।।

Related posts

बोकारो थर्मल : स्वच्छता पखवाड़ा 2025 के पुरस्कार वितरण व समापन समारोह का आयोजन

अमेठी : जगदीशपुर सीएचसी में पत्रकार से मारपीट के मामले में कार्रवाई की मांग

रांची : झारखंड जनाधिकार महासभा ने राजभवन के समीप दिया एक दिवसीय धरना