Hindus Under Attack in Bangladesh: बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। इस बार बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन (Taslima Nasrin) द्वारा जारी एक सनसनीखेज वीडियो ने हालात की भयावह तस्वीर सामने रख दी है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि इस्लामिक कट्टरपंथियों ने चटगांव (Chattogram) इलाके में हिंदुओं के घरों को आग के हवाले कर दिया। परिवारों का सारा सामान जलकर राख हो गया, वहीं जान बचाने के लिए लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा। यह कोई एक घटना नहीं, बल्कि बीते कुछ दिनों में सामने आए ऐसे कई मामलों की कड़ी है। आखिर इन हमलों के पीछे क्या वजह है, प्रशासन की भूमिका क्या है और पीड़ितों को कितना न्याय मिल पाया, चलिए इस खबर को विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं…
बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमले/Hindus Under Attack in Bangladesh
बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंदू समुदाय लंबे समय से असुरक्षा के माहौल में जी रहा है। समय-समय पर धार्मिक हिंसा, संपत्तियों पर हमले और झूठे आरोपों के जरिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं सामने आती रही हैं। ताजा मामला चटगांव (Chattogram) का है, जहां कथित तौर पर कट्टरपंथियों ने हिंदू परिवारों के घरों में आग लगा दी। यह घटना ऐसे समय सामने आई है, जब पहले ही देश के अलग-अलग हिस्सों से हिंसा की खबरें आ रही थीं। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि धार्मिक पहचान के आधार पर की जा रही हिंसा ने सामाजिक ताने-बाने को कमजोर किया है। तस्लीमा नसरीन (Taslima Nasrin) द्वारा जारी वीडियो ने इन दावों को और मजबूती दी है, जिससे सरकार पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है।

घर जलाए गए, जान बचाकर भागे परिवार
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना मंगलवार को चटगांव (Chattogram) में हुई। पीड़ितों की पहचान जयंती संघ (Jayanti Sangha) और बाबू शुकुशील (Babu Shukushil) के रूप में हुई है। चश्मदीदों के अनुसार, हमले के वक्त परिवार घर के अंदर मौजूद था। उपद्रवियों ने घर को चारों तरफ से घेर लिया और आग लगा दी, जिससे बाहर निकलने के सभी रास्ते बंद हो गए। हालात इतने भयावह थे कि परिवार को बाड़ काटकर अपनी जान बचानी पड़ी। इस आगजनी में घर का पूरा सामान जलकर खाक हो गया, वहीं पालतू जानवरों की भी मौत हो गई। यह दृश्य वीडियो में साफ नजर आता है, जिसने देखने वालों को झकझोर कर रख दिया।
प्रशासन का भरोसा, लेकिन गिरफ्तारी नहीं
घटना के बाद पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन अब तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। उपजिला कार्यकारी अधिकारी एस.एम. रहातुल इस्लाम (S.M. Rahatul Islam) और सहायक आयुक्त (भूमि) ओंगचिंग मारमा (Ongching Marma) ने घटनास्थल का दौरा कर नुकसान का जायजा लिया। प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवारों को 25 किलो चावल, 5,000 टका नकद और कंबल देने की घोषणा की गई है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि राहत पर्याप्त नहीं है और सबसे जरूरी है दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई। तस्लीमा नसरीन (Taslima Nasrin) ने भी सोशल मीडिया पर इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल बताया है।
अब बांग्लादेश में रहना चुनौती पूर्ण
यह घटना अकेली नहीं है। 19 दिसंबर को लक्ष्मीपुर सदर (Lakshmipur Sadar) में एक घर को बाहर से बंद कर पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई थी, जिसमें 7 साल की बच्ची जिंदा जल गई और तीन लोग गंभीर रूप से झुलस गए। इससे एक दिन पहले ढाका (Dhaka) के पास भालुका (Bhaluka) में हिंदू युवक दीपू चंद्र (Deepu Chandra) की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इन लगातार घटनाओं ने बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब नजर सरकार और सुरक्षा एजेंसियों पर है कि क्या दोषियों को सजा मिलेगी या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।










