Bihar Cabinet Caste Equation: नीतीश सरकार में OBC से लेकर सवर्ण तक- किस वर्ग को कितनी हिस्सेदारी?

Bihar Cabinet Caste Equation: NDA ने कैसे साधा ओबीसी-ईबीसी-दलित-सवर्ण का सामाजिक समीकरण?

Bihar Cabinet Caste Equation: बिहार (Bihar) में नई एनडीए सरकार के गठन के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की ताज़ा कैबिनेट ने सामाजिक और जातीय संतुलन को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। शपथ ग्रहण के बाद यह साफ हो गया कि बीजेपी (BJP) ने इस बार न सिर्फ राजनीतिक तौर पर बड़ी भूमिका निभाई है, बल्कि जातीय समीकरण के लिहाज़ से भी अपनी रणनीति को बेहद आक्रामक तरीके से लागू किया है। अगड़ी (Savarn) जातियों से लेकर पिछड़ी (OBC), अति-पिछड़ी (EBC), दलित (Dalit) और अल्पसंख्यक (Minority) समुदाय तक—हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है। कुल 27 सदस्यों वाली इस नई कैबिनेट में किस जाति को कितनी हिस्सेदारी मिली और किन पार्टियों ने किन समुदायों को तरजीह दी, इसी पर सबकी नज़र है।

एनडीए का सत्ता में लौटना और नेतृत्व का वितरण/Bihar Cabinet Caste Equation

बिहार (Bihar) में एनडीए गठबंधन ने एक बार फिर सत्ता में वापसी की है। पटना (Patna) के गांधी मैदान (Gandhi Maidan) में आयोजित भव्य समारोह में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। इसके साथ ही बीजेपी (BJP) ने गठबंधन में अपने बढ़ते प्रभाव का संकेत देते हुए सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) और विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) को उपमुख्यमंत्री बनाया। 27 सदस्यीय मंत्रिमंडल में जेडीयू (JDU), बीजेपी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (LJP-R), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को शामिल किया गया। इस बार गठबंधन ने साफ संकेत दिया कि सत्ता में भागीदारी सिर्फ राजनीतिक प्रभाव के आधार पर नहीं, बल्कि जातीय प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए तय की गई है। यह भी स्पष्ट है कि बीजेपी ने ज्यादा सीटें हासिल कर ‘बड़े भाई’ की भूमिका अपनाई है।

किस वर्ग से कितने मंत्री बने?

नई कैबिनेट की सबसे बड़ी खासियत इसका संतुलित जातीय समीकरण है। सरकार में कुल 8 अगड़ी जाति (Savarn), 12 ओबीसी–ईबीसी–वैश्य, 5 दलित और 1 मुस्लिम मंत्री बनाए गए हैं। बीजेपी (BJP) ने अपने कोर वोटबैंक को साधते हुए सर्वाधिक प्रतिनिधित्व अगड़ी जातियों और ओबीसी–ईबीसी समुदाय को दिया है। पार्टी ने ओबीसी–ईबीसी श्रेणी से कुल 8 मंत्री और अगड़ी जाति से 5 मंत्री शामिल किए। जेडीयू (JDU) ने अपने कोटे से ओबीसी–ईबीसी के 3, अगड़ी जाति के 2, दलित समुदाय के 1 और मुस्लिम समुदाय के 1 मंत्री बनाए। वहीं एलजेपी (रामविलास) (LJP-R) से 2, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) से 1 और ‘हम’ (HAM) से भी 1 मंत्री शामिल हुए। यह स्पष्ट है कि एनडीए ने सामाजिक और जातीय ताने-बाने को ध्यान में रखकर कैबिनेट का गठन किया है।

जातीय समीकरण के राजनीतिक मायने: कौन-सी पार्टी ने किसे दी तवज्जो?

मंत्रिमंडल वितरण से साफ है कि एनडीए ने जातीय राजनीति को बेहद केंद्रित तरीके से साधा है। सबसे अधिक मंत्रियों को ओबीसी–ईबीसी समुदाय से शामिल कर यह संदेश दिया गया कि बिहार की सबसे बड़ी सामाजिक आबादी उसी वर्ग से आती है। वहीं अगड़ी जाति को 8 सीटें देकर बीजेपी (BJP) ने अपने पारंपरिक वोटबैंक को भी मजबूत बनाए रखा। दलित समुदाय से कुल 5 मंत्री बनाए गए—जिसमें बीजेपी और जेडीयू दोनों ने बराबर का योगदान दिया, जबकि एलजेपी (रामविलास) (LJP-R) और ‘हम’ (HAM) ने भी अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित की। मुस्लिम समुदाय से जेडीयू ने 1 मंत्री शामिल कर अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कैबिनेट सामाजिक समीकरण के लिहाज़ से बेहद सोची-समझी रणनीति का परिणाम है, जो आने वाले चुनावी चक्र में गठबंधन की मजबूती सुनिश्चित कर सकती है।

किन-किन समाजों को कितनी जगह मिली?

नई कैबिनेट में अगड़ी जाति (Savarn) से कुल 8 मंत्री बने हैं। इनमें दो भूमिहार, चार राजपूत, एक ब्राह्मण और एक कायस्थ समुदाय से मंत्री शामिल हैं। बीजेपी (BJP) ने अगड़ी जाति से अपने पांच प्रतिनिधि चुने—भूमिहार समुदाय से विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) को उपमुख्यमंत्री बनाकर स्पष्ट संदेश दिया गया। ब्राह्मण समाज से मंगल पांडेय (Mangal Pandey) को जगह मिली है, जबकि राजपूत समाज से संजय सिंह ‘टाइगर’ (Sanjay Singh Tiger) और श्रेयसी सिंह (Shreyasi Singh) को शामिल किया गया है। कायस्थ समाज से नितिन नबीन (Nitin Navin) को एक बार फिर मंत्री पद मिला। जेडीयू (JDU) ने राजपूत समाज से लेशी सिंह (Leshi Singh) और भूमिहार समाज से विजय कुमार चौधरी (Vijay Kumar Chaudhary) को मंत्री बनाया। एलजेपी (रामविलास) (LJP-R) ने भी राजपूत समुदाय के संजय कुमार सिंह (Sanjay Kumar Singh) को मंत्रिमंडल में शामिल कर अगड़ी जाति की हिस्सेदारी को पूरा किया।

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