Crowd Of Patients In The District Hospital : दीपावली के उत्साह भरे त्यौहार के ठीक बाद उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या में अचानक आई तेजी ने स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव डाल दिया है। बुधवार को दोपहर करीब 4 बजे तक ओपीडी के बाहर लंबी-लंबी कतारें लग गईं, जहां सांस फूलने, सर्दी-जुकाम, बुखार और अन्य मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या हजारों में पहुंच गई। इस भीड़भाड़ वाली स्थिति को संभालने में जुटे चिकित्सकों ने व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए हैं, जबकि जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर सलीम ने एक विशेष बयान जारी कर मरीजों को सलाह दी है।
दीपावली जैसे प्रमुख त्यौहार के बाद मौसम में अचानक आए बदलाव और पटाखों के धुएं के असर से लोगों में श्वास संबंधी समस्याएं बढ़ गई हैं। जिला अस्पताल के ओपीडी में सुबह से ही मरीजों का तांता बंधा नजर आया। आंकड़ों के मुताबिक, सामान्य दिनों में जहां ओपीडी में औसतन 500-600 मरीज ही आते हैं, वहीं आज यह संख्या 2,000 से अधिक हो गई। सांस लेने में तकलीफ, खांसी, जुकाम, बुखार और बच्चों में डायरिया जैसी शिकायतों वाले मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा रही। कई मामलों में मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ा, जिससे अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

इस स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर सलीम ने कहा, “दीपावली के बाद मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हो गया है। पटाखों के धुएं और ठंडी हवाओं के कारण सांस फूलना, सर्दी-जुकाम और बुखार के केस बढ़े हैं। हमारी टीम पूरे प्रयास कर रही है, लेकिन व्यवस्थाओं का बोझ बढ़ गया है। मरीजों से अपील है कि छोटी-मोटी बीमारियों के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों पर ही इलाज करवाएं और जिला अस्पताल को केवल गंभीर मामलों के लिए इस्तेमाल करें। साथ ही, मास्क पहनें, हाथ धोते रहें और घर पर ही आराम करें। यदि लक्षण गंभीर हों तो तुरंत संपर्क करें।” डॉक्टर सलीम का यह बयान सोशल मीडिया और स्थानीय चैनलों पर तेजी से वायरल हो रहा है, जहां उन्होंने अस्पताल की क्षमता को ध्यान में रखते हुए रेफरल सिस्टम को मजबूत करने की भी मांग की है।
जिला अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, मौजूदा व्यवस्था में डॉक्टरों की संख्या पर्याप्त नहीं है। सामान्य ओपीडी के अलावा इमरजेंसी वार्ड में भी 50 से अधिक मरीज भर्ती हो चुके हैं। एक मरीज के परिजन ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हम सुबह 8 बजे से लाइन में खड़े हैं, लेकिन अभी तक नंबर नहीं आया। बच्चे की हालत बिगड़ रही है।” इसी तरह, कई बुजुर्ग मरीजों ने भी व्यवस्था में सुधार की मांग की है।
जिला प्रशासन ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए अतिरिक्त डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई है और नोडल अधिकारी वेंकटेश्वर लू ने अस्पताल का निरीक्षण कर निर्देश दिए हैं कि सीएचसी और पीएचसी स्तर पर ही अधिकांश मरीजों का इलाज हो, ताकि जिला अस्पताल पर अनावश्यक बोझ न पड़े। जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने भी कहा कि त्यौहार के बाद स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए 20 अस्पतालों में 24 घंटे इमरजेंसी सेवा शुरू की गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि दीपावली के बाद प्रदूषण स्तर बढ़ने से ऐसी स्थितियां आम हैं। पर्यावरण विभाग के अनुसार, रायबरेली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 150 से ऊपर पहुंच गया है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। डॉक्टर सलीम ने अपने बयान में आगे जोर देकर कहा, “हमारी प्राथमिकता मरीजों की जान बचाना है, लेकिन जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। पटाखों से दूर रहें और स्वच्छता का पालन करें।”
यह घटना न केवल रायबरेली बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी देखने को मिल रही है, जहां त्यौहार के बाद स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों की संख्या में 30-40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अनावश्यक घबराहट न करें और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। यदि आप या आपके परिवार में कोई लक्षण दिखे, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाएं।










