Diwali 2025 Firecracker Guidelines: दिवाली 2025 (Diwali 2025) नज़दीक आते ही पटाखों (Crackers) पर प्रतिबंध और उसके नियम एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गए हैं। हर साल की तरह इस बार भी सरकार ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण की रक्षा के उद्देश्य से सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन नियमों का मकसद त्योहार की खुशियों को बनाए रखते हुए प्रदूषण को कम करना है। हालांकि कुछ पारंपरिक पटाखों पर रोक लगाई गई है, लेकिन “ग्रीन पटाखों” के रूप में सीमित छूट दी गई है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर इस साल दिवाली पर क्या फोड़ना मना है और क्या अनुमति दी गई है? आइए जानते हैं…
पटाखों पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया/Diwali 2025 Firecracker Guidelines
पटाखों पर प्रतिबंध (Ban On Firecrackers) का मुख्य कारण वायु प्रदूषण और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएँ हैं। दिवाली के दौरान जलने वाले पारंपरिक पटाखे हवा में भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर और धातु कण छोड़ते हैं, जो सांस लेने में दिक्कत, आँखों में जलन और अस्थमा जैसी बीमारियाँ बढ़ाते हैं। बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने समय-समय पर कई राज्यों को सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इस वर्ष भी वही नीति अपनाई गई है, जिसके तहत प्रदूषण फैलाने वाले सभी पारंपरिक पटाखों पर रोक जारी रहेगी। यह प्रतिबंध न केवल पर्यावरणीय ज़रूरत है बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा का भी हिस्सा है।

इस वर्ष क्या-क्या पटाखे जलाने की अनुमति है
दिवाली 2025 (Diwali 2025) के लिए सरकार ने “हरित पटाखों” के इस्तेमाल की अनुमति दी है। ये ऐसे पटाखे हैं जो पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30% तक कम धुआँ और शोर उत्पन्न करते हैं। इन्हें वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की मंजूरी मिली है और इनमें प्रदूषक रसायनों की मात्रा सीमित रखी गई है। इन पटाखों में बेरियम जैसे खतरनाक तत्वों का उपयोग नहीं किया जाता। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि पटाखे केवल निर्धारित समय सीमा के भीतर ही फोड़े जा सकते हैं — आमतौर पर रात 8 से 10 बजे के बीच। इसके अलावा, केवल लाइसेंस प्राप्त दुकानों से खरीदे गए उत्पाद ही मान्य माने जाएंगे।
ज़िम्मेदारी से मनाएँ पर्यावरण-अनुकूल दिवाली (150 शब्द)
हरित पटाखों (Green Crackers) की अनुमति के बावजूद, दिवाली को ज़िम्मेदारी के साथ मनाना आज की आवश्यकता है। इसका अर्थ है कि हम त्योहार की पारंपरिक खुशी और उत्साह को बनाए रखें, लेकिन पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना। कई शहरों में लोग अब पटाखों की जगह रोशनी, दीये और LED लाइट्स से घर सजाना पसंद कर रहे हैं। स्कूलों और सामाजिक संगठनों की ओर से भी जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि लोग सुरक्षित और स्वच्छ दिवाली मना सकें। परिवारों को बच्चों को यह सिखाने की जरूरत है कि असली खुशी दूसरों की सुरक्षा और पर्यावरण की रक्षा में है। यह बदलाव हमारी परंपराओं को आधुनिक जिम्मेदारी के साथ जोड़ता है।
नियम उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई
सरकार और स्थानीय प्रशासन ने साफ किया है कि इस बार भी नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई होगी। जिन लोगों को प्रतिबंधित रसायनों वाले पटाखे बेचते या फोड़ते हुए पकड़ा जाएगा, उन पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई दोनों की जा सकती हैं। तय समय सीमा के बाद पटाखे जलाना या खुले क्षेत्रों में अधिक शोर करने वाले बमों का उपयोग करना भी दंडनीय अपराध माना जाएगा। कई राज्यों में पुलिस ने निगरानी बढ़ाने के लिए विशेष टीमें गठित की हैं और ड्रोन्स के ज़रिए भी मॉनिटरिंग की जाएगी। इन कदमों का उद्देश्य न केवल नियमों का पालन कराना है बल्कि दिवाली को एक सुरक्षित और प्रदूषण-मुक्त पर्व बनाना भी है।
समुदाय की भूमिका और स्थायी परंपराएँ
दिवाली (Diwali) को पर्यावरण-अनुकूल बनाने में समाज और समुदाय की भागीदारी बेहद अहम है। मोहल्लों और सोसाइटियों में सामूहिक रूप से दीये जलाने, पेड़ लगाने और “नो पटाखा” अभियानों का आयोजन सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कई परिवार अब पर्यावरण के अनुकूल रंगोली और मिट्टी के दीपक अपनाकर परंपराओं को नया रूप दे रहे हैं। इस दिशा में छोटे-छोटे बदलाव भी बड़ा असर डाल सकते हैं। 2025 में लागू यह पटाखा नीति परंपरा और जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है — जिसमें त्योहार की रौनक बरकरार रखते हुए प्रकृति की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। यह बदलाव आने वाले वर्षों में स्थायी और स्वच्छ दिवाली की राह दिखा सकता है।