DMFT Fund Sparks Controversy In Jharkhand: झारखंड में DMFT फंड पर मचा हड़कंप, सरकार ने दी गहन ऑडिट की मंजूरी

DMFT Fund Sparks Controversy In Jharkhand: खनन प्रभावित जिलों में DMFT फंड के दुरुपयोग की गूंज, पांच जिलों से होगी जांच की शुरुआत

DMFT Fund Sparks Controversy In Jharkhand: झारखंड (Jharkhand) में खनन से जुड़ी योजनाओं के लिए बने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड ट्रस्ट (DMFT) को लेकर राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई शुरू की है। लंबे समय से चल रही अनियमितताओं और फंड के मनमाने इस्तेमाल की शिकायतों ने प्रशासन को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। अब सरकार ने इस फंड के उपयोग की गहन ऑडिट कराने का निर्णय लिया है। शुरुआती चरण में पांच खनन-प्रभावित जिलों में जांच शुरू होगी। इस निर्णय से यह सवाल फिर से उठ खड़ा हुआ है कि क्या खनिज संपदा से मिलने वाला यह “लोकधन” सही मायनों में उन्हीं लोगों के कल्याण में लग रहा है, जिनकी जमीनें खनन से प्रभावित हुई हैं? पूरी रिपोर्ट में जानिए कि कैसे और क्यों यह ऑडिट झारखंड की वित्तीय पारदर्शिता के लिए अहम साबित हो सकता है।

16657 करोड़ की राशि पर उठे सवाल/DMFT Fund Sparks Controversy In Jharkhand

डीएमएफटी (DMFT) में अगस्त 2025 तक 16657.95 करोड़ रुपये का संग्रह हो चुका है। यह फंड केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKY) के अनुरूप गठित किया गया था, ताकि खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास में इसका उपयोग हो। इस फंड का मकसद स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, पर्यावरण संरक्षण, महिला कल्याण और कौशल विकास जैसी योजनाओं में निवेश करना है। लेकिन, हाल के वर्षों में इसके मनमाने उपयोग की शिकायतें लगातार बढ़ रही थीं। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने अब पांच जिलों — धनबाद, चाईबासा, चतरा, रामगढ़ और पलामू — में ऑडिट शुरू करने का आदेश दिया है। इसके लिए वित्त विभाग की पांच अलग-अलग टीमें गठित की जा रही हैं।

फंड के दुरुपयोग की चौंकाने वाली मिसालें

राज्य में कई जगहों पर डीएमएफटी (DMFT) के मूल उद्देश्य से इतर इसका उपयोग किए जाने की शिकायतें मिली हैं। पलामू जिले में मेदिनीनगर टाउन हॉल (Medininagar Town Hall) के निर्माण में ट्रस्ट की राशि से दो करोड़ रुपये खर्च किए गए। वर्ष 2021–22 में सामान्य विकास योजनाओं जैसे एंबुलेंस खरीद, नर्सिंग कॉलेज के ऑक्सीजन प्लांट और स्कूल की चहारदीवारी पर भी इस फंड का इस्तेमाल हुआ। ये सभी परियोजनाएँ खनन-प्रभावित क्षेत्रों के कल्याण से सीधे तौर पर जुड़ी नहीं थीं। वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया है कि ऐसी गड़बड़ियां अन्य जिलों में भी हो सकती हैं और इन्हें लेकर किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

PAG रिपोर्ट ने पहले ही किया था खुलासा

डीएमएफटी (DMFT) में अनियमितताओं का मुद्दा नया नहीं है। प्रिंसिपल ऑडिटर जनरल (PAG) की रिपोर्ट में पहले भी करीब 3000 करोड़ रुपये की गड़बड़ी उजागर की जा चुकी है। चतरा में पेयजल रखरखाव कार्यों पर फंड का अनियमित इस्तेमाल हुआ, जबकि बोकारो में हाईमास्ट लाइट और टैब लैब जैसी परियोजनाओं में टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी के आरोप लगे। कई जिलों में भुगतान दरें बाजार मूल्य से कहीं अधिक पाई गईं। इन मामलों के बाद यह साफ हो गया कि ट्रस्ट के पारदर्शी संचालन के लिए गहन ऑडिट जरूरी है।

जांच से खुलेगा पारदर्शिता का रास्ता

राज्य सरकार का मानना है कि इस ऑडिट से झारखंड (Jharkhand) में वित्तीय पारदर्शिता को नई दिशा मिलेगी। खनन प्रभावित जिलों जैसे धनबाद में जहां फंड का उपयोग स्वास्थ्य और पर्यावरण पर होना चाहिए था, वहां निर्माण कार्यों पर अधिक खर्च ने कई सवाल खड़े किए हैं। वहीं चाईबासा और चतरा में जल संरक्षण योजनाओं की कमी उजागर हुई है। ऑडिट टीम यह जांचेगी कि उपलब्ध राशि का उपयोग खनन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित परिवारों तक कितना लाभ पहुंचा पा रहा है।

साफ-सुथरी व्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम

डीएमएफटी (DMFT) का यह ऑडिट केवल जांच नहीं, बल्कि लोकधन की जवाबदेही तय करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। राज्य के कई हिस्सों में खनिज संसाधनों के दोहन से हजारों परिवारों की आजीविका प्रभावित होती है। ऐसे में सरकार चाहती है कि यह फंड उन्हीं लोगों के कल्याण में इस्तेमाल हो। वित्त मंत्री के निर्देश के बाद उम्मीद है कि यह कार्रवाई भविष्य में पारदर्शी शासन और जिम्मेदार प्रशासन की मिसाल बनेगी। यह भी संकेत है कि खनिज संपदा का लाभ अब सही मायनों में “जनकल्याण” के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

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