EdelGive Hurun Report 2025: भारत के सबसे बड़े परोपकारी बने शिव नाडर: रोज़ाना ₹7.4 करोड़ का दान, अंबानी-अडानी भी लिस्ट में

EdelGive Hurun Report 2025: शिव नाडर फिर बने देश के नंबर-1 दानवीर, जानें टॉप 10 की पूरी लिस्ट

EdelGive Hurun Report 2025: भारत में अब उद्योग जगत (Industry) सिर्फ मुनाफे तक सीमित नहीं रहा — समाजसेवा इसकी नई पहचान बन रही है। एडलगिव-हुरुन इंडिया परोपकार सूची 2025 ने इस बदलाव की तस्वीर पेश की है, जिसमें देश के 191 सबसे अमीर लोगों ने बीते वर्ष कुल ₹10,380 करोड़ का दान किया। इस सूची में एक बार फिर HCL टेक्नोलॉजीज के संस्थापक शिव नाडर (Shiv Nadar) शीर्ष पर रहे, जिन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के लिए करोड़ों रुपए दान किए। रिपोर्ट बताती है कि भारत में अब परोपकार केवल परंपरा नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट कल्चर का हिस्सा बन चुका है। आइए जानते हैं- कौन हैं भारत के सबसे बड़े परोपकारी, किसने कितना दान किया, और क्यों ये रिपोर्ट देश के सामाजिक परिदृश्य को नया आयाम देती है।

सबसे बड़े परोपकारी, ₹7.4 करोड़ रोज़ाना दान/EdelGive Hurun Report 2025

शिव नाडर (Shiv Nadar), HCL टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और चेयरमैन एमेरिटस, इस वर्ष फिर देश के सबसे बड़े परोपकारी घोषित हुए हैं। उन्होंने 2024-25 में कुल ₹2,708 करोड़ का दान किया, यानी औसतन ₹7.4 करोड़ प्रतिदिन। यह लगातार दूसरा साल है जब नाडर ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। उनका यह योगदान मुख्यतः शिक्षा, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य जैसे सामाजिक क्षेत्रों में लगाया जा रहा है। उनकी संस्था ‘शिव नाडर फाउंडेशन’ (Shiv Nadar Foundation) देशभर में विश्वविद्यालय, स्कूल और रिसर्च सेंटर संचालित करती है। रिपोर्ट के अनुसार, नाडर परिवार ने व्यक्तिगत दान के मामले में भी ₹2,537 करोड़ का योगदान देकर बाकी सभी दानवीरों को पीछे छोड़ दिया। उनका प्रयास है कि भारत के हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और डिजिटल सशक्तिकरण का अवसर मिले।

टॉप 10 परोपकारियों की सूची: अंबानी-अडानी भी शामिल

2025 की परोपकार सूची में भारत के नामचीन उद्योगपतियों ने भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।
शीर्ष 10 परोपकारी इस प्रकार हैं:
शिव नाडर और परिवार – ₹2,708 करोड़
मुकेश अंबानी और परिवार – ₹626 करोड़
बजाज परिवार – ₹446 करोड़
कुमार मंगलम बिड़ला और परिवार – ₹440 करोड़
गौतम अडाणी और परिवार – ₹386 करोड़
नंदन निलेकणी – ₹365 करोड़
हिंदुजा परिवार – ₹298 करोड़
रोहिणी निलेकणी – ₹204 करोड़
सुधीर और समीर मेहता – ₹189 करोड़
निखिल और नितिन कामत – ₹147 करोड़

रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने इस साल CSR के तहत ₹1,309 करोड़ खर्च किए — यह उनकी अनिवार्य राशि से ₹261 करोड़ अधिक था।

महिला और युवा दानवीर: नई पीढ़ी ने बढ़ाया कदम

महिला परोपकारियों में रोहिणी निलेकणी (Rohini Nilekani) शीर्ष पर रहीं, जिन्होंने ₹204 करोड़ का दान किया। वे शिक्षा, जल प्रबंधन और महिला सशक्तिकरण के लिए दशकों से काम कर रही हैं। दूसरे स्थान पर किरण मजूमदार-शॉ रहीं, जिन्होंने ₹83 करोड़ का योगदान दिया। युवा उद्यमियों में ज़ेरोधा (Zerodha) के संस्थापक निखिल और नितिन कामत (उम्र 39 और 46 वर्ष) ₹147 करोड़ दान कर शीर्ष पर रहे। दूसरे नंबर पर फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर बिन्नी बंसल ₹18 करोड़ के दान के साथ रहे। इन नई पीढ़ी के दानवीरों ने पर्यावरण, मानसिक स्वास्थ्य, डिजिटल एजुकेशन और सतत विकास पर केंद्रित कई प्रोजेक्ट शुरू किए हैं, जिससे कॉर्पोरेट फिलांथ्रॉपी को नया दृष्टिकोण मिला है।

CSR और पेशेवरों की नई भूमिका: बढ़ता जिम्मेदारी का भाव

इस वर्ष कई ऐसी कंपनियों और पेशेवरों ने भी परोपकार में योगदान दिया जो किसी बड़े औद्योगिक घराने से नहीं जुड़े हैं। L&T के पूर्व चेयरमैन ए.एम. नाइक ने ₹54 करोड़, अमित और अर्चना चंद्रा (Archana Chandra) ने ₹47 करोड़, जबकि वेंचर कैपिटलिस्ट प्रशांत प्रकाश और अमिता प्रशांत ने ₹17 करोड़ का दान दिया। कई बड़ी कंपनियों ने अपने CSR फंड में भी अनिवार्य सीमा से अधिक राशि दी- रिलायंस इंडस्ट्रीज (₹1,309 करोड़), रुंगटा सन्स (₹181 करोड़) और जिंदल स्टील एंड पावर (₹267 करोड़)। ये धनराशियां शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में लगाई जा रही हैं। रिपोर्ट बताती है कि बीते साल के ₹2,153 करोड़ की तुलना में इस साल शिव नाडर का योगदान 26% बढ़ा, जो भारत में बढ़ते सामाजिक उत्तरदायित्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।

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