Elephant Rampage Ramgarh Jharkhand: हाथियों की वजह से मचा पूरे क्षेत्र में तांडव,किसानों की फसल हो रही तबाह

Elephant Rampage Ramgarh Jharkhand: रामगढ़ जिले में फिर हाथियों का आतंक, ग्रामीण दहशत में, फसलें तबाह और घरों को नुकसान

Elephant Rampage Ramgarh Jharkhand: झारखंड के रामगढ़ (Ramgarh) जिले में जंगली हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। कई महीनों से यहां हाथियों का झुंड गांवों में घुसकर कोहराम मचा रहा है। कभी लोगों की जान ले रहा है, तो कभी किसानों की मेहनत से उगाई फसलों को रौंदकर बर्बाद कर रहा है।

कल रात बड़ागांव में हाथियों ने मचाया उत्पात/Elephant Rampage Ramgarh Jharkhand

हाल ही में मांडू प्रखंड के बड़ागांव पंचायत में हाथियों ने फिर से तांडव मचाया। कल रात करीब 8 बजे दो अलग-अलग झुंडों ने गांवों पर हमला बोल दिया। एक झुंड ने मदोरा टोला, भुयांडीह और चैनपुर में उत्पात मचाया, तो दूसरा बड़ा झुंड बड़ागांव में घुस आया।

इस हमले में कई किसानों की आलू की फसल पूरी तरह तबाह हो गई। साथ ही घरों की चारदीवारी तोड़ दी गई। पीड़ितों में सरजू रविदास, सरोज प्रजापति, दुखिया रविदास, कुणाल कुमार और पुरुषोत्तम शर्मा जैसे किसानों का नाम शामिल है। इन लोगों ने बताया कि हाथियों का झुंड इतना बड़ा था कि करीब 40-45 हाथी एक साथ थे। उन्होंने न सिर्फ फसलों को रौंदा, बल्कि घरों के गेट और दीवारें भी तोड़ डालीं। एक अन्य जगह रामकुमार प्रसाद के घर के गेट पर भी हाथियों ने हमला कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया।

किसानों का लाखों का नुकसान, मुआवजे की गुहार

किसान बताते हैं कि उन्होंने दिन-रात मेहनत करके आलू की फसल लगाई थी। अब सब कुछ बर्बाद हो गया। लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है। एक किसान ने कहा, “हम गरीब लोग हैं, बैंक से कर्ज लेकर खेती करते हैं। अब फसल गई तो कर्ज कैसे चुकाएंगे? परिवार का पेट कैसे भरेंगे?” पीड़ित परिवार सरकार से मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं। वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द नुकसान का आकलन कर उन्हें मदद दी जाए।

पिछले महीनों में कई मौतें, आतंक जारी

यह कोई नई बात नहीं है। रामगढ़ जिले में पिछले कई महीनों से हाथियों का आतंक जारी है। एक महीना पहले ही जिले के घाटों क्षेत्र में एक महिला को हाथियों ने कुचलकर मार डाला था। उसके कुछ दिन बाद सटे बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड में तिलैया बस्ती के दो ग्रामीणों को हाथियों ने पटक-पटक कर जान से मार दिया। उसी इलाके की कुंदा पंचायत में खाखड़ा बस्ती की एक महिला भी हाथियों के झुंड का शिकार बनी। उसे पैरों तले कुचल दिया गया।

ग्रामीणों में दहशत, प्रशासन पर गुस्सा

अब फिर रामगढ़ में हाथियों का झुंड सक्रिय हो गया है। ग्रामीण बताते हैं कि हाथी अभी भी उसी क्षेत्र में घूम रहे हैं। लोग डर के मारे घरों से बाहर नहीं निकल रहे। रात में कोई सोने की हिम्मत नहीं कर रहा। बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा डरे हुए हैं। गांव में दहशत का माहौल है। लोग मशाल जलाकर पहरा दे रहे हैं, लेकिन हाथियों के सामने यह सब बेकार साबित हो रहा है।

सबसे बड़ी बात यह है कि घटना के इतने घंटे बीत जाने के बाद भी न तो स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और न ही वन विभाग का कोई रेंजर या टीम। ग्रामीणों का गुस्सा विभाग पर फूट रहा है। उनका आरोप है कि वन विभाग और पुलिस केवल बालू और कोयले की तस्करी में व्यस्त रहते हैं। रुपये वसूली में लगे रहते हैं, लेकिन जब लोगों की जान-माल का सवाल आता है तो कोई दिखाई नहीं देता। ग्रामीणों ने कहा, “हमें कोई सुविधा नहीं मिलती। न हाथियों को भगाने का इंतजाम, न सुरक्षा। हम अकेले कैसे लड़ें इन विशाल जानवरों से?”

मानव-हाथी संघर्ष की जड़ें और समाधान की जरूरत

झारखंड (Jharkhand) में हाथी और इंसान का यह संघर्ष नई समस्या नहीं है। जंगलों के कटने, खनन और विकास कार्यों की वजह से हाथियों के रास्ते बंद हो रहे हैं। वे भोजन और पानी की तलाश में गांवों की ओर आ रहे हैं। राज्य में हर साल कई लोग हाथियों के हमले में मारे जाते हैं। फसलें बर्बाद होती हैं, घर टूटते हैं। लेकिन समाधान दूर-दूर तक नजर नहीं आता।

ग्रामीणों की मांग है कि वन विभाग तुरंत टीम भेजकर हाथियों को जंगल की ओर खदेड़े। साथ ही पीड़ितों को तत्काल मुआवजा दिया जाए। पुलिस को भी गांव में गश्त बढ़ानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो ग्रामीण आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

यह घटना एक बार फिर सवाल उठाती है कि कब तक इंसान और हाथी इस तरह आमने-सामने होते रहेंगे? दोनों की जान बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। वन विभाग को ज्यादा सक्रिय होना पड़ेगा। लोगों को जागरूक करना पड़ेगा कि हाथियों से दूर रहें, लेकिन साथ ही हाथियों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर बनाने होंगे। तभी यह आतंक रुकेगा।

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