Gas Chamber Effect in NCR: दिल्ली के बाद अब नोएडा-गाजियाबाद में जहरीली हुई हवा, खतरनाक स्तर पर पहुँचा प्रदूषण

Gas Chamber Effect in NCR: दिल्ली के बाद नोएडा-गाजियाबाद में AQI 445 पार, लोगों का दम घुटने लगा

Gas Chamber Effect in NCR: दिल्ली (Delhi) में बढ़ते प्रदूषण के बाद अब नोएडा (Noida) और गाजियाबाद (Ghaziabad) भी गैस चैंबर जैसे हालातों की गिरफ्त में आ गए हैं। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कई जिलों में सर्दी बढ़ने और हवा की रफ्तार धीमी पड़ने से जहरीले कण जमीन के करीब जमने लगे हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुंच चुका है, जो “गंभीर” श्रेणी में माना जाता है। सुबह-शाम लोगों को सांस लेने में भारी तकलीफ और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगले कुछ दिनों में राहत की उम्मीद कम है। तो चलिए जानते हैं पूरा मामला क्या है…

NCR में ठंड, कोहरा और प्रदूषण ने बढ़ाई चिंता/Gas Chamber Effect in NCR

उत्तर भारत के कई राज्यों में तापमान लगातार गिर रहा है, जिसके साथ हवा की गति भी बेहद धीमी हो चुकी है। मौसम विभाग के अनुसार, सुबह और देर शाम घना कोहरा छा रहा है, जिससे हवा में मौजूद धूल और जहरीले कण ऊपर उठने के बजाय जमीन के पास ही फंस जाते हैं। यह स्थिति “स्मॉग” बनाती है, जो फेफड़ों तक गहराई में प्रवेश कर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कई शहर जैसे लखनऊ (Lucknow), वाराणसी (Varanasi) और कानपुर (Kanpur) पहले से प्रदूषण झेल रहे थे, लेकिन अब दिल्ली (Delhi) से सटे क्षेत्र नोएडा (Noida), ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) और गाजियाबाद (Ghaziabad) सबसे अधिक प्रभावित हो गए हैं। लगातार घटती दृश्यता और बढ़ते प्रदूषक लोगों के लिए सामान्य दिनचर्या भी मुश्किल बना रहे हैं।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में AQI 445 तक पहुँचा

20 नवंबर की सुबह भी प्रदूषण स्तर में कोई सुधार नहीं दिखा। इसके विपरीत, कई जगह AQI खतरनाक स्तर पर पहुँच गया। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के प्रमुख इलाकों में AQI 410 से 445 के बीच दर्ज किया गया। नॉलेज पार्क-5 में 445, नोएडा सेक्टर-116 में 443 और सेक्टर-62/सेक्टर-1 क्षेत्र में 416–428 AQI दर्ज हुआ। एयर क्वालिटी इंडेक्स का 400 पार करना इस बात का संकेत है कि हवा में मौजूद प्रदूषक स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़ों को भी प्रभावित कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ घंटों तक भी ऐसी हवा में रहना फेफड़ों के ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकता है। इन इलाकों में रहने वाले लोगों ने आंखों में जलन, गले में खराश और सरदर्द की शिकायतें तेजी से बढ़ने की सूचना दी है।

गाजियाबाद में दमघोंटू हालात

गाजियाबाद (Ghaziabad) भी प्रदूषण के गंभीर स्तर से जूझ रहा है। लोनी में AQI 432, वसुंधरा में 429, इंदिरापुरम में 427 और संजय नगर में 420 दर्ज किया गया। ये सभी स्थान “गंभीर” श्रेणी में आते हैं, जहां हवा अत्यंत जहरीली होती है। आसपास के जिलों हापुड़ (Hapur), बागपत (Baghpat) और मेरठ (Meerut) में स्थिति ‘बेहद खराब’ श्रेणी के बीच बनी हुई है। डॉक्टरों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि AQI 400 से ऊपर होने पर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा मरीजों के लिए खतरा कई गुना बढ़ जाता है। अस्पतालों में सांस फूलने, सीने में जकड़न, एलर्जी और अस्थमा अटैक के केस पिछले दो हफ्तों में तेज़ी से बढ़े हैं। चिकित्सकों ने लोगों को सुबह-शाम बाहर निकलने से बचने की सलाह दी है।

राहत की उम्मीद कम, सतर्कता जरूरी

वर्तमान हालात बताते हैं कि आगामी दिनों में प्रदूषण से राहत मिलना मुश्किल है। विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान में और गिरावट तथा हवा में नमी बढ़ने से स्मॉग की परत और घनी होगी। सरकार और स्थानीय प्रशासन ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुछ रोकथाम कदम जैसे पानी का छिड़काव, कचरा जलाने पर रोक और निर्माण कार्यों की निगरानी तेज़ की है, लेकिन इसका प्रभाव सीमित दिखाई दे रहा है। नागरिकों को घर से बाहर निकलने पर N-95 मास्क पहनने, एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने और सुबह की वॉक या कठोर गतिविधियों से बचने की सलाह दी जा रही है। नोएडा (Noida) और गाजियाबाद (Ghaziabad) जैसे इलाकों में गंभीर प्रदूषण अब स्वास्थ्य आपातकाल की चेतावनी दे रहा है, जिसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

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