Global Arms Ranking 2025: दुनिया की हथियार उद्योग से जुड़ी सबसे विश्वसनीय सूची सिपरी (SIPRI) टॉप-100 जारी हो गई है और इस बार इसमें भारत का प्रभाव पहले से कहीं ज्यादा मजबूत दिख रहा है। ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) और ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Atma Nirbhar Bharat) के तहत जिस स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा था, उसका प्रभाव अब वैश्विक रैंकिंग में साफ दिखाई देने लगा है। अमेरिका और इंग्लैंड जैसी महाशक्तियों के बीच भारत की तीन बड़ी कंपनियों ने अपनी महत्वपूर्ण मौजूदगी दर्ज कराते हुए देश की तकनीकी क्षमता और उत्पादन बढ़त को सशक्त संदेश दिया है। रिपोर्ट में जहां टॉप-5 में चार अमेरिकी कंपनियों ने दबदबा बनाया, वहीं भारतीय पीएसयू कंपनियों का लगातार ऊपर चढ़ना उद्योग के तेज विस्तार को दर्शाता है। तो चलिए जानते हैं पूरी खबर क्या है…
वैश्विक हथियार बाजार में भारत का दबदबा/Global Arms Ranking 2025
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) हर वर्ष दुनिया की टॉप-100 हथियार और रक्षा सेवाएं बनाने वाली कंपनियों की रैंकिंग जारी करता है, जिसे वैश्विक सैन्य अर्थव्यवस्था का सबसे मान्यताप्राप्त आकलन माना जाता है। दुनिया के बढ़ते रक्षा बजट, नई तकनीकों की मांग और बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय हथियार उद्योग की स्थिति का व्यापक संकेत देती है। अमेरिका, रूस, चीन और यूरोप जैसे देशों की कंपनियां इस सूची में वर्षों से मजबूत स्थिति बनाए हुए हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारत (India) ने भी अपने स्वदेशी रक्षा तंत्र को गति दी है। ‘मेक इन इंडिया’, निर्यात बढ़ोतरी, और नई रक्षा नीतियों के चलते भारत की कंपनियों का वैश्विक सूची में लगातार प्रवेश देश के बढ़ते सामरिक प्रभाव को दर्शाता है। इस संदर्भ में 2025 की रिपोर्ट का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें भारतीय कंपनियों की स्थिति पहले से बेहतर दिखाई देती है।

सिपरी टॉप-100 में भारत की तीन कंपनियों की एंट्री
सिपरी की ताजा रैंकिंग में भारत की तीन प्रमुख सरकारी रक्षा निर्माता कंपनियों का शामिल होना बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) जो लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस जैसे स्वदेशी फाइटर जेट बनाती है सूची में 44वें स्थान पर रही, जो उसकी बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा को दर्शाता है। इसके बाद भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) 58वें नंबर पर रही, जो रडार, मिसाइल गाइडेंस और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम के लिए जानी जाती है। इसी तरह मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (MDL), जो युद्धपोतों और पनडुब्बियों के निर्माण में अहम भूमिका निभाती है, 91वें स्थान पर शामिल हुई। यह रैंकिंग साफ संकेत देती है कि भारत का रक्षा उत्पादन अब सिर्फ घरेलू जरूरतों तक सीमित नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी अपनी मजबूत जगह बना रहा है। इससे भारत की तकनीकी विश्वसनीयता और रक्षा निर्यात क्षमता दोनों में बढ़ोतरी का संकेत मिलता है।
अमेरिका का दबदबा भी कायम, टॉप-5 में जगह
रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्तर पर अमेरिकी कंपनियों का वर्चस्व एक बार फिर टॉप-5 में स्पष्ट दिखा। लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin), RTX, नॉर्थरोप ग्रुमैन (Northrop Grumman) और जनरल डायनामिक्स (General Dynamics) जैसी चार अमेरिकी कंपनियों ने पहले पांच स्थानों में अपनी जगह बनाई है। इनके बीच इंग्लैंड (UK) की दिग्गज कंपनी BAE सिस्टम्स (BAE Systems) ने चौथा स्थान हासिल किया। 2024 में टॉप-100 हथियार कंपनियों की कुल आय बढ़कर 679 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, जो वैश्विक हथियार बाजार की आक्रामक वृद्धि को दर्शाती है। सिर्फ अमेरिका की टॉप-3 कंपनियों- लॉकहीड मार्टिन, नॉर्थरोप ग्रुमैन और जनरल डायनामिक्स- की संयुक्त आय 3.8% बढ़कर 334 अरब डॉलर तक पहुंच गई। अमेरिका की 39 कंपनियों में से 30 की आय में बढ़ोतरी दर्ज होना बताता है कि वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है और हथियार उद्योग आर्थिक रूप से और मजबूत होता जा रहा है।
भारत की बढ़ती क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भविष्य
भारतीय कंपनियों का इस सूची में शामिल होना सिर्फ एक उपलब्धि नहीं, बल्कि स्वदेशी रक्षा उद्योग के लिए नए अवसरों का संकेत भी है। रक्षा मंत्रालय और उद्योग जगत दोनों ही उत्पादन क्षमता बढ़ाने, नई तकनीक विकसित करने और निर्यात के लिए नए बाजार तलाशने पर जोर दे रहे हैं। HAL, BEL और MDL का रैंकिंग में होना भारत (India) को वैश्विक हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में मजबूत पहचान देता है। भविष्य में अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, नेक्स्ट-जेन रडार, यूएवी सिस्टम, समुद्री सुरक्षा प्लेटफॉर्म और मिसाइल टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में भारत की भूमिका और बढ़ सकती है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा और तकनीकी उत्कृष्टता की चुनौती हमेशा बनी रहेगी। फिर भी, मौजूदा रिपोर्ट यह संकेत देती है कि भारत की रक्षा कंपनियां वैश्विक दौड़ में स्थिरता के साथ आगे बढ़ रही हैं और आने वाले वर्षों में उच्च रैंकिंग हासिल करने की क्षमता रखती हैं।










