Google Real-Time Scam Shield : भारत जैसे तेजी से डिजिटल होते देश में ऑनलाइन फ्रॉड, स्कैम कॉल्स और साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे माहौल में गूगल (Google) ने भारतीय यूजर्स की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए कई नए AI-आधारित फीचर्स लॉन्च किए हैं, जो फोन को रियल-टाइम सिक्योरिटी गार्ड की तरह काम करेंगे। इनमें Gemini Nano आधारित स्कैम डिटेक्शन, फाइनेंशियल ऐप्स की ऑन-स्क्रीन प्रोटेक्शन, ePNV वेरिफिकेशन और SynthID जैसे एडवांस्ड टूल शामिल हैं। गूगल का दावा है कि भारत अब ग्लोबल AI-सिक्योरिटी के लिए सबसे बड़ा ‘टेस्टिंग ग्राउंड’ बन चुका है और यही वजह है कि यहां सबसे पहले इन फीचर्स को लागू किया जा रहा है। ये अपग्रेड्स सिर्फ तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि डिजिटल सुरक्षा को एक नए स्तर पर ले जाने का संकेत हैं। तो चलिए जानते हैं पूरा मामला क्या है, विस्तार से…
भारत में बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड की पृष्ठभूमि

भारत (India) दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते डिजिटल बाजारों (Digital Market) में से एक है, जहां मोबाइल इंटरनेट (Mobile Internet), डिजिटल पेमेंट्स (Digital Payments) और ऐप-आधारित सेवाओं का उपयोग तेजी से बढ़ा है। लेकिन इसी के साथ साइबर क्राइम, फिशिंग कॉल्स, UPI फ्रॉड और सोशल इंजीनियरिंग स्कैम भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुके हैं। हर दिन हजारों लोग बैंकिंग विवरण साझा करने, स्क्रीन शेयरिंग या नकली ऐप इंस्टॉल करने के चलते धोखाधड़ी का शिकार बनते हैं। इन चुनौतियों को देखते हुए गूगल (Google) ने महसूस किया कि पारंपरिक सुरक्षा उपाय अब पर्याप्त नहीं हैं। डिजिटल खतरे तेज़ी से विकसित हो रहे हैं और स्कैमर्स लगातार नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए कंपनी ने भारत को उन्नत AI-संचालित सुरक्षा तकनीकों के शुरुआती परीक्षण के लिए चुना। उद्देश्य यह है कि एक ऐसा सुरक्षा ढांचा बनाया जाए जो उपयोगकर्ताओं को वास्तविक समय में चेतावनी देकर स्कैम के जोखिम को काफी हद तक कम कर सके।
ऑन-डिवाइस AI से कॉल के दौरान स्कैम डिटेक्शन
गूगल (Google) ने अपनी पिक्सल (Pixel) सीरीज़ में एक क्रांतिकारी फीचर पेश किया है, जिसे रियल-टाइम स्कैम डिटेक्शन कहा जा रहा है। यह तकनीक Gemini Nano पर आधारित है और फोन पर ही/ऑफलाइन तरीके से संदिग्ध बातचीत को पहचानती है। जैसे ही कोई अज्ञात या संदिग्ध नंबर कॉल करता है, सिस्टम सक्रिय हो जाता है और कॉल के दौरान एक बीप या सिग्नल के माध्यम से यूजर को तुरंत चेतावनी देता है। इस प्रक्रिया में न तो कॉल रिकॉर्ड होती है और न ही डेटा कहीं भेजा जाता है, गोपनीयता पूरी तरह सुरक्षित रहती है। यह फीचर डिफ़ॉल्ट रूप से बंद रहेगा और उपयोगकर्ता इसे मैन्युअली ऑन कर सकेंगे। आवश्यकता पड़ने पर इसे कभी भी बंद भी किया जा सकता है। इसका उद्देश्य सिर्फ एक है- संदिग्ध कॉल को उसी समय पहचानकर धोखाधड़ी होने से पहले ही उसे रोक पाना।
फाइनेंशियल ऐप्स की सुरक्षा पर फोकस
भारत में होने वाले अधिकांश ऑनलाइन फ्रॉड UPI या फाइनेंशियल ऐप्स से जुड़े होते हैं। यही वजह है कि गूगल (Google) ने Google Pay, PayTM और Navi जैसे लोकप्रिय ऐप्स के साथ मिलकर एक नया एंटी-फ्रॉड फीचर टेस्ट किया है। यदि कोई यूजर इन ऐप्स का इस्तेमाल करते हुए अपनी स्क्रीन शेयर करता है, तो ऐप में तुरंत एक बड़ा चेतावनी संदेश दिखाई देता है, जिसमें स्क्रीन शेयरिंग बंद करने की सलाह दी जाती है। यह सुरक्षा उपाय स्कैमर्स के लिए स्क्रीन शेयरिंग के ज़रिए खाते की जानकारी चुराने की कोशिश को रोकने में बेहद मददगार होगा। साथ ही, गूगल प्ले प्रोटेक्ट (Google Play Protect) ने खुलासा किया कि उसने भारत में 11.5 करोड़ से अधिक खतरनाक या संभावित स्कैम ऐप्स के इंस्टॉल प्रयासों को ब्लॉक किया है। टेक एक्सपर्ट्स और साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों ने इस कदम को भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में ऐतिहासिक फैसला बताया है।
ePNV, SynthID और मजबूत सुरक्षा इकोसिस्टम
गूगल (Google) ने आगे बढ़ते हुए Enhanced Phone Number Verification (ePNV) तकनीक पेश की है, जो पारंपरिक SMS OTP के बजाय सुरक्षित SIM-आधारित वेरिफिकेशन का उपयोग करती है। इससे सिम-स्वैपिंग और OTP इंटरसेप्शन जैसे जोखिम काफी कम हो जाएंगे। इसके साथ ही गूगल की SynthID तकनीक भी भारत में लॉन्च की गई है, जो AI-जनित कंटेंट की पहचान करने में सक्षम है। गलत सूचना, फर्जी वीडियो और AI डीपफेक्स से लड़ने में यह तकनीक बड़ी भूमिका निभाएगी। गूगल ने Jagran, PTI और India Today जैसे भारतीय मीडिया संगठनों के साथ मिलकर इसे शुरुआती प्रयोग में शामिल किया है। आने वाले समय में इन फीचर्स का विस्तार एंड्रॉइड इकोसिस्टम और अधिक ऐप्स तक किया जाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह पहल भारत में डिजिटल सुरक्षा का नया अध्याय शुरू कर सकती है और स्कैमर्स की रणनीतियों को काफी हद तक निष्प्रभावी बना देगी।










