Govardhan Puja at Brajdham Govardhan : देशी-विदेशी भक्तों ने किया ‘गिर्राज जी’ का महाभिषेक, गौड़िया संप्रदाय की आस्था का सैलाब

Govardhan Puja at Brajdham Govardhan : ब्रजधाम गोवर्धन में गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पर्व के रूप में भी जाना जाता है, इस वर्ष भी अपार श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया। इस पावन अवसर पर देश-विदेश से हजारों भक्त भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय गोवर्धन पर्वत, जिन्हें ‘गिर्राज महाराज’ के रूप में पूजा जाता है, की पूजा-अर्चना और महाभिषेक करने के लिए गोवर्धन पहुंचे। यह पर्व विशेष रूप से गौड़िया संप्रदाय के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा, जिन्होंने सामूहिक रूप से गिरिराज जी का भव्य अभिषेक किया और भक्ति में डूबकर इस पर्व को यादगार बनाया।

भव्य महाभिषेक और अन्नकूट भोग

गोवर्धन पूजा के इस विशेष अवसर पर गौड़िया संप्रदाय के सैकड़ों भक्तों ने एकत्रित होकर गिरिराज महाराज का पंचामृत से महाभिषेक किया। भक्तों ने दूध, दही, घी, शहद और बूरा जैसे पवित्र द्रव्यों से अभिषेक किया, जो भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। अभिषेक के पश्चात, विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों और भोग सामग्री से तैयार अन्नकूट गिरिराज जी को अर्पित किया गया। अन्नकूट में चावल, दाल, सब्जियां, मिठाइयां और अन्य व्यंजनों का भोग लगाया गया, जो इस पर्व की विशेषता है। भक्तों ने इसे भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित करने की परंपरा के रूप में उत्साहपूर्वक पूरा किया।

भक्तों की आस्था और गोवर्धन का महत्व

गोवर्धन पूजा का यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के उस ऐतिहासिक कार्य को याद दिलाता है, जब उन्होंने ब्रजवासियों को देवराज इंद्र के प्रकोप और भारी वर्षा से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। भक्तों का मानना है कि गिरिराज जी की पूजा करना साक्षात भगवान श्रीकृष्ण की आराधना के समान है। इस अवसर पर देश-विदेश से आए भक्तों ने गिरिराज महाराज का पूजन और अभिषेक करने को अपने जीवन का परम सौभाग्य बताया। एक विदेशी भक्त ने भावुक होकर कहा, “गोवर्धन की इस पवित्र भूमि पर आकर और गिरिराज जी का अभिषेक कर मैं धन्य हो गया। यह अनुभव मेरे जीवन का सबसे आध्यात्मिक क्षण है।”

परिक्रमा और संकीर्तन से गूंजा गोवर्धन

गोवर्धन के परिक्रमा मार्ग और विभिन्न मंदिरों में इस दिन भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। परिक्रमा मार्ग पर देशी-विदेशी भक्तों का उत्साह चरम पर था। संतों और श्रद्धालुओं ने भक्ति भजनों और संकीर्तन के साथ गोवर्धन की 21 किलोमीटर लंबी परिक्रमा पूरी की। परिक्रमा के दौरान भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण और गिरिराज जी के भजनों में डूबकर अपनी भक्ति का प्रदर्शन किया। कई भक्त नंगे पांव परिक्रमा करते नजर आए, जो उनकी गहरी श्रद्धा का प्रतीक था। परिक्रमा मार्ग पर जगह-जगह भक्तों के लिए भंडारे और प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी की गई थी।

ब्रज की संस्कृति और वैश्विक आस्था का संगम

गोवर्धन पूजा का यह आयोजन एक बार फिर ब्रज की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक आस्था के संगम का प्रतीक बना। गौड़िया संप्रदाय के अलावा अन्य संप्रदायों के भक्तों ने भी इस पर्व में उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। विदेशी भक्तों की उपस्थिति ने गोवर्धन की वैश्विक आध्यात्मिक पहचान को और मजबूत किया। स्थानीय मंदिरों और आश्रमों में भक्ति संगीत, प्रवचन और धार्मिक आयोजनों ने वातावरण को और भी भक्तिमय बना दिया।

भक्तों की कामना और आयोजन की भव्यता

इस पर्व के दौरान भक्तों ने गिरिराज महाराज से सुख, समृद्धि और कल्याण की कामना की। आयोजन की भव्यता और भक्तों की श्रद्धा ने गोवर्धन को एक बार फिर आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बना दिया। स्थानीय प्रशासन और मंदिर समितियों ने भी इस अवसर पर सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए, ताकि भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

निष्कर्ष

गोवर्धन पूजा का यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह ब्रज की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को विश्व पटल पर ले जाता है। भक्ति, श्रद्धा और सेवा की भावना से ओत-प्रोत यह आयोजन भक्तों के लिए अविस्मरणीय रहा। गिरिराज महाराज की कृपा और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण करते हुए यह पर्व हर वर्ष भक्तों के दिलों में आस्था का दीप जलाता रहेगा।

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