इंदौर नगर निगम में रिश्वतखोरी का बड़ा खुलासा: सफाई दरोगा और सुपरवाइजर रंगेहाथों गिरफ्तार

इंदौर शहर में नगर निगम की कार्यप्रणाली को लेकर लंबे समय से शिकायतें उठती रही हैं। लोग कहते हैं कि कई बार कर्मचारियों से काम करवाना मुश्किल होता है और तभी काम होता है जब ‘दिल करे’। इसी माहौल के बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है। लोकायुक्त टीम ने नगर निगम के जोन क्रमांक 22 में चल रहे कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक सफाई दरोगा और एक सुपरवाइजर को रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ लिया। यह मामला सामने आने के बाद निगम कर्मचारियों की कार्यप्रणाली और नैतिकता पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। लोकायुक्त की इस कार्रवाई ने न केवल आरोपियों की पोल खोली, बल्कि आम लोगों को भी राहत की उम्मीद दी है।

शिकायत से कार्रवाई तक

यह मामला तब सामने आया जब मनोज चौहान नामक व्यक्ति ने लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई। चौहान का आरोप था कि उसका ट्रैक्टर C-21 मॉल का मलबा उसकी साइट पर लाता है, जिसके बदले उसे प्रति फेरा 500 रुपए मिलते हैं। 24 सितंबर को नगर निगम के जोन क्रमांक 22 के दरोगा गोपाल पटौना और थर्ड आई कंपनी के सुपरवाइजर भरत मुराड़िया ने उसका ट्रैक्टर रोक लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मलबे के साथ कचरा भी डाला जा रहा है और 10,000 रुपए की रिश्वत मांगी। न देने पर ट्रैक्टर जब्त करने की धमकी दी गई। इसी शिकायत के बाद लोकायुक्त टीम ने कार्रवाई की तैयारी शुरू की।

रिश्वत मांगने और लेने की कहानी

मनोज चौहान की शिकायत के अनुसार, भरत मुराड़िया ने उसी समय 2,000 रुपए ले लिए और बाकी 3,000 रुपए अगले दिन यानी 25 सितंबर को देने के लिए बुलाया। आरोपियों ने चौहान का मोबाइल भी अपने पास रख लिया और कहा कि बाकी पैसे देकर ही फोन ले जाना। इसके बाद लोकायुक्त टीम ने एक ट्रैप दल गठित किया। तय योजना के तहत, गोपाल पटौना ने 3,000 रुपए लिए और भरत को दे दिए। इतना ही नहीं, आरोप है कि गोपाल ने इसी दौरान अपने लिए मासिक बंदी की भी मांग रखी। इस पूरे घटनाक्रम को लोकायुक्त दल ने बारीकी से रिकॉर्ड किया।

ट्रैप ऑपरेशन और रंगेहाथों गिरफ्तारी

25 सितंबर को लोकायुक्त की इंदौर टीम ने जाल बिछाकर आरोपियों को रंगेहाथों पकड़ने की योजना बनाई। जैसे ही गोपाल पटौना ने 3,000 रुपए की बाकी रिश्वत ली और भरत को दी, उसी समय आसपास तैनात लोकायुक्त दल ने दोनों को पकड़ लिया। इस कार्रवाई ने नगर निगम के कर्मचारियों में हड़कंप मचा दिया। यह घटना दिखाती है कि किस तरह सिस्टम के भीतर काम करने वाले कुछ लोग आम नागरिकों को परेशान करके अवैध वसूली करते हैं। लोकायुक्त की त्वरित कार्रवाई ने भ्रष्टाचार के इस जाल को उजागर कर दिया।

कानूनी कार्रवाई और टीम की भूमिका

गिरफ्तार किए गए सफाई दरोगा गोपाल पटौना और सुपरवाइजर भरत मुराड़िया के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 की धारा 7 और 61(2) के तहत कार्रवाई की जा रही है। इस ट्रैप ऑपरेशन में निरीक्षक प्रतिभा तोमर, सऊनि रहीम खान, प्रधान आरक्षक आशीष शुक्ल, आरक्षक शैलेन्द्र बघेल, आदित्य भदौरिया, कमलेश परिहार, राकेश मिश्रा और चालक शेरसिंह शामिल थे। यह मामला साबित करता है कि शिकायत करने पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाए जा सकते हैं। अब देखना यह होगा कि आगे की जांच में और कौन-कौन से नाम सामने आते हैं और क्या नगर निगम की कार्यप्रणाली में सुधार होता है।

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