Jharkhand Assembly Winter Session Chaos: झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही गरमाया हुआ। 8 दिसंबर को दूसरे दिन की कार्यवाही में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर टकराव देखने को मिला। मुख्य मुद्दा था पूर्वी सिंहभूम के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के ‘सात निश्चय’ का। विपक्ष का आरोप है कि ये वादे कागजों पर ही रह गए हैं, जबकि सत्ताधारी दल झामुमो-कांग्रेस गठबंधन का दावा है कि विकास की गति तेज है। सदन के अंदर और बाहर हंगामा, नारेबाजी और वेल में उतरकर प्रदर्शन ने पूरे दिन की कार्यवाही को प्रभावित किया। अनुपूरक बजट पेश होने के बावजूद सदन ठीक से नहीं चल सका।
यह सत्र राज्य की राजनीति में कई मोड़ ला सकता है। विपक्षी गठबंधन एनडीए, खासकर भाजपा ने सत्र से पहले ही रणनीति बना ली थी। रविवार को भाजपा विधायक दल की बैठक में गिरती कानून व्यवस्था, कोयला-बालू लूट, छात्रवृत्ति देरी और धान खरीद जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। भाजपा प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा, “हम सदन में सरकार को कटघरे में खड़ा करेंगे। जनता के सवालों का जवाब देना होगा।” वहीं, झामुमो के मनोज पांडेय ने तंज कसा कि भाजपा हर सत्र से पहले ऐसी बैठकें करती है, लेकिन नतीजा शून्य रहता है।

‘सात निश्चय’ के वादे अधूरे, विपक्ष ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप/Jharkhand Assembly Winter Session Chaos
‘सात निश्चय’ झारखंड के पूर्वी सिंहभूम क्षेत्र के विकास के लिए रघुबर दास द्वारा दिए गए सात वचन थे। इनमें बेहतर सड़कें, पानी की आपूर्ति, बिजली, स्कूल-बोर्डिंग, रोजगार, कृषि सुविधाएं और स्वास्थ्य सेवाएं शामिल थीं। विपक्ष का कहना है कि तीन साल बाद भी ये वादे धरातल पर नहीं उतरे। एनडीए विधायक जनार्दन पासवान, नीरा यादव, नवीन जयसवाल और राज सिंहा ने कल्याण मंत्री चमरा लिंडा पर छात्रहित की उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “सात निश्चय सहित कई योजनाएं कागजों में सिमट गईं। राज्य में बेरोजगारी चरम पर है, युवा भटक रहे हैं।”
सदन के बाहर भाजपा विधायकों ने तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया। नारों में ‘धान खरीद शुरू करो’, ‘छात्रवृत्ति दो’ और ‘सात निश्चय पूरा करो’ गूंजे। वीडियो फुटेज में दिखा कि विधायक सदन के गेट पर धरना दे रहे थे। एक विधायक ने कहा, “सरकार किसानों को धान बेचने का मौका नहीं दे रही। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद बंद होने से हजारों किसान परेशान हैं।” विपक्ष ने विधि व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। खरसावां गोलीकांड के शहीदों की पहचान के लिए न्यायिक आयोग की मांग की गई। झामुमो विधायक दशरथ गागराई ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में कहा, “1948 के इस कांड में आदिवासी शहीद हुए, लेकिन उनकी पहचान आज तक नहीं। सरकार को कमेटी बनानी चाहिए।”
सत्ता पक्ष ने इन आरोपों को खारिज किया। संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा, “विपक्ष सदन बाधित करने के बजाय मुद्दों पर बहस करे। हम विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं।” मंत्री ने आश्वासन दिया कि धान खरीद जल्द शुरू होगी और छात्रवृत्ति का भुगतान प्रक्रिया में है। लेकिन विपक्ष को यह जवाब पर्याप्त नहीं लगा।
अनुपूरक बजट पेश, लेकिन शून्यकाल में हंगामा चरम पर
सोमवार को वित्त मंत्री ने 7,721.25 करोड़ रुपये का दूसरा अनुपूरक बजट पेश किया। इसमें विकास योजनाओं के लिए फंड आवंटित किया गया, लेकिन सदन में इसे चर्चा का मौका ही नहीं मिला। शून्यकाल शुरू होते ही विपक्ष के विधायक वेल में उतर आए। नारेबाजी तेज हो गई। अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने कई बार शांत रहने की अपील की और उन्होंने कहा कि आप जनता के संवेदनशील सवालों को क्यों नहीं चलने देते? सर्वदलीय बैठक का फायदा क्या अगर हंगामा ही करेंगे?
सत्ता पक्ष के विधायक भी वेल में पहुंच गए। दोनों पक्षों के बीच धक्कामुक्की की नौबत आ गई। अध्यक्ष ने नाराजगी जताई, “ऐसे आचरण से सदन कैसे चलेगा?” आखिरकार कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष ने छात्रवृत्ति भुगतान में देरी को बड़ा मुद्दा बनाया। एसटी, एससी, ओबीसी छात्रों को दो साल से स्कॉलरशिप नहीं मिली। एक विधायक ने कहा, “यह सरकार छात्र-विरोधी है। परीक्षा फीस बढ़ोतरी के खिलाफ भी मार्च हुए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं।”
इस हंगामे ने सत्र के एजेंडे को प्रभावित किया। कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में तय हुआ था कि 8 दिसंबर को विधि व्यवस्था सहित मुद्दों पर एक घंटे की विशेष चर्चा होगी। लेकिन हंगामा इतना बढ़ गया कि कई सवाल अनुत्तरित रह गए। विपक्ष ने एमबीबीएस नामांकन में गड़बड़ी पर सीबीआई जांच की मांग भी की। बाबूलाल मरांडी जैसे नेता भड़क उठे।
सत्ता पक्ष का बचाव, विकास योजनाएं पटरी पर, विपक्ष का नकारात्मक रुख
सत्ताधारी दल ने विपक्ष के हमलों का जवाब देते हुए कहा कि झारखंड में विकास की रफ्तार तेज है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। एक मंत्री ने बताया, “धान खरीद के लिए केंद्र से बात चल रही है। छात्रवृत्ति का पोर्टल अपडेट हो रहा है। सात निश्चय जैसे पुराने वादों पर हम नई योजनाओं से आगे बढ़ रहे हैं।” उन्होंने विपक्ष पर राज्य को बदनाम करने का आरोप लगाया।
कार्यमंत्रणा में सत्ता पक्ष ने सहमति जताई कि सवालों के जवाब सही दिए जाएंगे। लेकिन विपक्ष का कहना है कि जवाब टालमटोल हैं। सत्र के पहले दिन भी हंगामा हुआ था। छात्रवृत्ति और धान खरीद पर ही बहस हुई। अब सत्र के बाकी दिनों में और तनाव की आशंका है।
जनता के मुद्दे सदन तक, लेकिन हंगामा बाधक बना
यह सत्र राज्य की जनता के कई मुद्दों को उजागर कर रहा है। बेरोजगारी, किसानों की परेशानी, शिक्षा में खामियां—ये सब विपक्ष उठा रहा है। लेकिन हंगामा ऐसा कि चर्चा नहीं हो पा रही। विशेषज्ञों का कहना है कि सत्ता को विपक्ष के सवालों का स्पष्ट जवाब देना चाहिए, ताकि सत्र फलदायी बने।










