Kharge Strong Attack on BJP: ‘RTI कानून को कमजोर कर रही भाजपा, लोकतंत्र हो रहा खोखला’ — खरगे का मोदी सरकार पर गंभीर आरोप

Kharge Strong Attack on BJP: लोकतंत्र खोखला हो रहा है, RTI कानून को भाजपा कमजोर कर रही है! खरगे का मोदी सरकार पर गंभीर आरोप

Kharge Strong Attack on BJP: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) पर एक बार फिर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार धीरे-धीरे सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून को कमजोर कर रही है, जिससे लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की जड़ें हिल रही हैं। खरगे का कहना है कि जिस कानून ने पारदर्शिता और जवाबदेही की नींव रखी थी, उसे अब संशोधनों और नई नीतियों के जरिए निष्प्रभावी किया जा रहा है। 2019 में आरटीआई एक्ट में किए गए बदलाव और 2023 के डेटा संरक्षण कानून को उन्होंने “भ्रष्टाचार छुपाने का औजार” बताया है। चलिए जानते हैं कि खरगे ने अपने बयान में और क्या कहा है।

खरगे का मोदी सरकार पर हमला/Kharge Strong Attack on BJP

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने रविवार को एक्स पर पोस्ट करते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार लगातार आरटीआई कानून को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि 20 साल पहले जब मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार (Congress) ने 2005 में यह कानून लागू किया था, तब देश में पारदर्शिता और जवाबदेही का एक नया युग शुरू हुआ था। लेकिन बीते 11 वर्षों में इस कानून की आत्मा को धीरे-धीरे खत्म किया गया है। खरगे के मुताबिक, आरटीआई कानून का उद्देश्य नागरिकों को सरकार से जवाब मांगने का अधिकार देना था, लेकिन मौजूदा नीतियां इस अधिकार को सीमित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अब सरकार जवाब देने के बजाय जानकारी छिपाने का प्रयास कर रही है।

आरटीआई संशोधन पर खरगे के आरोप

खरगे ने कहा कि मोदी सरकार (Modi Government) ने 2019 में आरटीआई एक्ट में बदलाव करके सूचना आयुक्तों की नियुक्ति, वेतन और कार्यकाल पर नियंत्रण कर लिया। इससे स्वतंत्र संस्थाएं सरकार के अधीन आ गईं और सूचना आयोग की स्वायत्तता खत्म हो गई। इसके साथ ही 2023 का डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट भी आरटीआई कानून की धारा को कमजोर करता है, जिसमें सार्वजनिक हित की जानकारी का दायरा सीमित कर दिया गया है। खरगे ने इस संशोधन को भ्रष्टाचार छिपाने का एक नया माध्यम बताया और कहा कि अब सरकार के पास जवाबदेही से बचने का कानूनी तरीका मौजूद है।

सूचना आयोग की स्थिति पर सवाल

खरगे ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग बिना प्रमुख के चल रहा है और यह पिछले 11 वर्षों में सातवीं बार हुआ है जब आयोग प्रमुखविहीन है। उन्होंने बताया कि आयोग में 15 महीनों से आठ पद खाली पड़े हैं, जिससे अपील की प्रक्रिया ठप हो गई है और हजारों नागरिकों को न्याय नहीं मिल रहा। खरगे ने कहा कि सरकार की इस उपेक्षा से यह स्पष्ट है कि पारदर्शिता को बढ़ाने के बजाय उसे रोकने की नीति अपनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि जो संस्थान नागरिकों को सूचना तक पहुंच दिलाते थे, वही अब निष्क्रिय कर दिए गए हैं।

‘नो डेटा अवेलेबल’ मानसिकता पर निशाना

खरगे ने अपने बयान में सरकार की ‘नो डेटा अवेलेबल’ (No Data Available) नीति को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि कोरोना से हुई मौतों, NSSO 2017-18, ASUSE 2016-2020 और PM CARES जैसे मामलों में सरकार पारदर्शिता से बच रही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि 2014 से अब तक 100 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। उनका कहना है कि यह प्रवृत्ति इस बात का संकेत है कि सच्चाई बताने वालों में डर का माहौल बनाया जा रहा है और विरोध की आवाज को कुचला जा रहा है।

खरगे का लोकतंत्र पर संदेश

अपने बयान के अंत में खरगे ने कहा कि सरकार आरटीआई (RTI) जैसे मजबूत लोकतांत्रिक औजार को कमजोर कर जवाबदेही से बच रही है। उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार का दायरा घटाकर सरकार ने नागरिकों की भागीदारी को सीमित कर दिया है, जिससे लोकतंत्र खोखला हो रहा है। खरगे ने दोहराया कि पारदर्शिता लोकतंत्र की आत्मा है और उसे कमजोर करना नागरिकों के अधिकारों पर सीधा हमला है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और सरकार से जवाब मांगने का हक बनाए रखें।

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