Political Storm In Maharashtra Government: महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। शिवसेना (Shiv Sena – Thackeray faction) के नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने ऐसा दावा किया है जिसने सत्ता गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के करीब 35 विधायक जल्द ही गुट छोड़ सकते हैं। राउत ने यह भी आरोप लगाया कि नगरपालिका और नगर पंचायत चुनावों में पैसों का बेहिसाब इस्तेमाल हो रहा है, जिसमें महायुति सरकार की अहम भूमिका है। रवींद्र चव्हाण (Ravindra Chavan) को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने को भी उन्होंने राजनीतिक संकेतों से जोड़ा है। राउत का दावा है कि शिंदे गुट सिर्फ “बीजेपी द्वारा बनाया गया प्रोजेक्ट” है। इन बयानों ने राज्य की राजनीतिक हवा को और तेज कर दिया है। पूरा मामला क्या है विस्तार से जानिये…
महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक बढ़ता तनाव/Political Storm In Maharashtra Government
महाराष्ट्र (Maharashtra) में पिछले दो वर्षों से सत्ता समीकरण लगातार बदलते रहे हैं। एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व में शिवसेना के बड़े धड़े के टूटने से शुरू हुई राजनीतिक हलचल अब एक बार फिर तीव्र हो गई है। नगर पंचायत और नगरपालिका चुनावों ने इस तनाव को नई दिशा दे दी है। शिवसेना (Uddhav Balasaheb Thackeray) और महायुति के सहयोगी दलों के बीच खींचतान खुलकर सामने आने लगी है। पहले रवींद्र चव्हाण (Ravindra Chavan) को अचानक बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने ने कई सवाल उठाए, फिर बीजेपी नेताओं के बयानों ने गठबंधन में असंतोष की झलक दिखाई। इसके साथ ही विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहा है कि शिंदे गुट लोकतांत्रिक सिद्धांतों से हटकर सत्ता में बना है। इसी माहौल में संजय राउत (Sanjay Raut) के नए दावों ने राजनीतिक हवा को और तेज कर दिया है।

शिंदे के 35 विधायक टूटने के कगार पर
शिवसेना (ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने मीडिया के सामने आते ही राजनीतिक बम फोड़ा। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के करीब 35 विधायक जल्द ही गुट छोड़ने वाले हैं। राउत के अनुसार, यह असंतोष अंदर ही अंदर लंबे समय से simmer कर रहा था और अब यह खुलकर सामने आने वाला है। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी ने रवींद्र चव्हाण (Ravindra Chavan) को इसलिए प्रदेश अध्यक्ष बनाया है ताकि इस संभावित टूट को संभाला जा सके। राउत का कहना है कि शिंदे गुट सिर्फ “बीजेपी द्वारा तैयार किया गया प्रोजेक्ट” है और अब उसकी अंदरूनी कमजोरी उजागर हो रही है। राउत ने तीखे शब्दों में कहा कि शिंदे दिल्ली के नेताओं के भरोसे रहकर गलतफहमी पाले हुए हैं, लेकिन समय आने पर वही नेता उनके साथ नहीं खड़े होंगे। उनके इस बयान ने राजनीतिक हलकों में जोरदार चर्चा छेड़ दी है।
चुनावों में पैसे के खेल का आरोप
संजय राउत (Sanjay Raut) ने चुनावी माहौल में पैसों के भारी इस्तेमाल पर भी कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि नगरपालिका और नगर पंचायत चुनावों में पहले कभी इतना पैसा नहीं बहाया गया था। राउत के मुताबिक, अब एक-एक उम्मीदवार 10–15 करोड़ रुपये तक खर्च कर रहा है और प्रचार के लिए 5–6 हेलिकॉप्टर तक लगाए जा रहे हैं। उनका दावा है कि यह सब महायुति सरकार—जिसमें बीजेपी (BJP) और शिंदे गुट शामिल हैं- की “आंतरिक स्पर्धा” का नतीजा है। उन्होंने कहा कि जब मंत्री खुलेआम कहते हैं कि 1 तारीख को “लक्ष्मी दर्शन” होगा, तो यह सीधा संकेत है कि चुनाव में पैसों का लेन-देन हो रहा है। राउत ने चुनाव आयोग (Election Commission) से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है और चेतावनी दी है कि इस प्रक्रिया ने महाराष्ट्र की चुनावी संस्कृति को क्षति पहुंचाई है।
संजय राउत के दावे से शिंदे दल में खलबली
महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति इस समय अनिश्चितता के दौर में है। संजय राउत (Sanjay Raut) के दावों से जहां शिंदे शिवसेना (Shinde Shiv Sena) में बेचैनी बढ़ सकती है, वहीं बीजेपी (BJP) के अंदर भी इन बयानों ने हलचल पैदा की है। यदि वास्तव में 35 विधायक शिंदे गुट से अलग होते हैं, तो यह राज्य की सत्ता संरचना को पूरी तरह बदल सकता है। दूसरी ओर, महायुति नेता इन दावों को खारिज कर रहे हैं और इसे राजनीति का “प्रोपेगेंडा” बता रहे हैं। लेकिन हालिया बयानों, पदों में बदलाव और चुनावी तनाव से यह साफ है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। आने वाले नगरपालिका चुनाव और संभावित राजनीतिक बैठकें ही इस विवाद की दिशा तय करेंगी। फिलहाल पूरा महाराष्ट्र उस फैसले का इंतज़ार कर रहा है, जो राज्य की राजनीति को फिर से हिला सकता है।










