रायबरेली : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के मुंशीगंज क्षेत्र में स्थित गढ़ी मुतवल्ली बस्ती में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सेवा विभाग ‘सेवा भारती’ द्वारा आयोजित एक अनूठे कन्या पूजन कार्यक्रम ने समाज में व्याप्त असमानता की दीवारों को तोड़ने का संकल्प लिया। नवरात्रि के पावन अवसर पर यह आयोजन उन कन्याओं के सम्मान के लिए समर्पित था, जिन्हें सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से हाशिए पर धकेल दिया जाता है। वरिष्ठ पत्रकार सैयद अख्तर हुसैन की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को सामाजिक समरसता का प्रतीक बना दिया, जहां उन्होंने न केवल कन्याओं का पूजन किया, बल्कि पूरे समाज को विविधता में एकता का महत्वपूर्ण संदेश भी दिया।
कार्यक्रम का विस्तार:

शोषित कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजन
गढ़ी मुतवल्ली, मुंशीगंज, रायबरेली की इस बस्ती में रहने वाली कन्याएं अक्सर गरीबी, सामाजिक उपेक्षा और आर्थिक अभाव का शिकार होती हैं। समाज द्वारा इन्हें ‘शोषित, उपेक्षित और निर्धन’ के दंघल में धकेल दिया जाता है, जिससे ये अपनी सनातन संस्कृति और धार्मिक परंपराओं से भी वंचित रह जाती हैं। ‘सेवा भारती’ ने इसी अन्याय को चुनौती देते हुए इन कन्याओं का विधि-विधान से पूजन आयोजित किया। कार्यक्रम में कन्याओं को देवी का साक्षात रूप मानकर उनका स्वागत किया गया।
सैयद अख्तर हुसैन, जो एक वरिष्ठ पत्रकार के रूप में सामाजिक मुद्दों पर गहन विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं, ने स्वयं इस पूजन में भाग लिया। उन्होंने कन्याओं के माथे पर चुनरी बांधी, उनके चरण धोए और आरती उतारी। पूजन के दौरान उन्होंने कहा, “भारत विविधता में एकता की परंपरा वाला देश है। मैंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को गहराई से समझा है। संघ की सेवा कार्य धर्म, पंथ या जाति नहीं देखती। संघ की राष्ट्रभक्ति अद्भुत है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज को एकजुट करने का माध्यम है।” उनके इस कथन ने उपस्थित लोगों में गहरा भावनात्मक प्रभाव छोड़ा और सामाजिक समरसता की भावना को मजबूत किया।
सेवा भारती का उद्देश्य
धार्मिक अनुष्ठान से आगे सामाजिक परिवर्तन
‘सेवा भारती’ के इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य केवल नवरात्रि के धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करना नहीं था, बल्कि समाज में व्याप्त असमानता को चुनौती देना था। संगठन का मानना है कि हमारी संस्कृति में हर कन्या, चाहे उसकी सामाजिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, देवी का स्वरूप है और उसे पूर्ण सम्मान प्राप्त होना चाहिए। इस आयोजन ने सिद्ध किया कि सेवा का भाव जाति, धर्म या वर्ग की सीमाओं से परे होना चाहिए।
आरएसएस के जिला कार्यवाह अमित ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “यह पहल समाज को एक साथ लाने और सबके प्रति सेवा भाव रखने के संघ के मूल विचार को पुष्ट करती है। हमारा प्रयास है कि ऐसी कन्याओं को भी अपनी संस्कृति से जोड़ा जाए, ताकि वे हाशिए से मुख्यधारा में आ सकें। समाज अनजाने में ही सही, इन बच्चियों को अपनी परंपराओं से दूर कर एक अक्षम्य पाप करता है। आज हम इस पाप को मिटाने का संकल्प लेते हैं।” अमित ने आगे जोर देकर कहा कि ऐसे कार्यक्रम सामाजिक समरसता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जहां हर व्यक्ति को बराबरी का हक मिले।

प्रमुख उपस्थितजन और आयोजन की झलक
कार्यक्रम में सेवा भारती के प्रमुख गया प्रसाद शुक्ला ने कन्याओं को भोजन, वस्त्र और उपहार वितरित किए। शिवम सेवा भारती के सुशील गुप्ता और सुरेश गुप्ता ने पूजन की व्यवस्था संभाली। इसके अलावा, स्थानीय स्वयंसेवक, बस्तीवासी और संघ के अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे। आयोजन स्थल को फूलों और दीपों से सजाया गया था, जहां कन्याओं को विशेष आसन पर विराजमान किया गया। पूजन के बाद सामूहिक भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सभी ने मिलकर प्रसाद ग्रहण किया।
सैयद अख्तर हुसैन ने समापन पर कहा, “संघ की सेवा कार्यों में कोई भेदभाव नहीं है। यह राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है, जो हमें सिखाता है कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।” उनके इस संदेश ने उपस्थित सैकड़ों लोगों को प्रेरित किया और कार्यक्रम समापन पर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
समाज के लिए बड़ा संदेश: एकता और सेवा का पाठ
यह कन्या पूजन कार्यक्रम न केवल नवरात्रि की धार्मिक परंपरा को जीवंत करता है, बल्कि सामाजिक समरसता का एक मजबूत संदेश भी देता है। आज के विभाजित समाज में, जहां जाति-धर्म के नाम पर भेदभाव आम है, ‘सेवा भारती’ का यह प्रयास एक मिसाल कायम करता है। सैयद अख्तर हुसैन जैसे प्रगतिशील विचारकों की भागीदारी ने इसे और व्यापक बनाया। यह आयोजन हमें याद दिलाता है कि भारत की असली ताकत विविधता में एकजुटता है, और सेवा ही समाज को मजबूत बनाने का सबसे शक्तिशाली हथियार है।
‘सेवा भारती’ के इस नेक प्रयास की सराहना करते हुए स्थानीय लोगों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से बस्तियों में सकारात्मक बदलाव आएगा। रायबरेली जिला प्रशासन ने भी इस पहल का स्वागत किया है और भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए सहयोग का आश्वासन दिया है। नवरात्रि के इस पावन पखवाड़े में यह घटना समाज को नई दिशा देने वाली साबित हो रही है।