Modi Govt Plans Tax Gift: अगले केंद्रीय बजट की तैयारियां जोरों पर हैं, और इस बार मोदी सरकार (Modi Government) आम करदाताओं को राहत देने की दिशा में बड़ा कदम उठा सकती है। उद्योग जगत ने सरकार को कई महत्वपूर्ण सिफारिशें भेजी हैं, जिनमें मध्यम वर्ग पर टैक्स बोझ घटाने की बात प्रमुख है। अगर ये सुझाव माने जाते हैं, तो 50 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स दरों में बड़ी कटौती देखी जा सकती है। यह कदम न केवल आम लोगों के जेब पर असर डालेगा, बल्कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी तेज कर सकता है। आइए जानते हैं, आखिर क्या हैं ये सिफारिशें और कितना बदल सकता है टैक्स स्ट्रक्चर देश में।
टैक्स स्लैब में बदलाव की सिफारिश/Modi Govt Plans Tax Gift
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने वित्त मंत्रालय को एक अहम प्रस्ताव सौंपा है। संगठन का सुझाव है कि 50 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले लोगों के लिए टैक्स स्लैब को आसान बनाया जाए। फिलहाल नए टैक्स रेजीम में 24 लाख रुपये से अधिक आय पर 30% की दर लागू होती है। संगठन चाहता है कि इस सीमा को बढ़ाकर 50 लाख रुपये किया जाए ताकि मध्यम वर्ग को राहत मिल सके। इससे न केवल कर अनुपालन बढ़ेगा, बल्कि अधिक लोग नए टैक्स ढांचे की ओर आकर्षित होंगे। राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कदम से टैक्स का दायरा बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था में खपत को बढ़ावा मिलेगा।

उद्योग जगत का तर्क — टैक्स घटाओ, मांग बढ़ाओ
उद्योग जगत का कहना है कि मौजूदा टैक्स ढांचा मध्यम वर्ग पर अधिक बोझ डाल रहा है। अगर टैक्स दरें घटाई जाती हैं, तो लोगों की डिस्पोजेबल इनकम बढ़ेगी, जिससे वे अधिक खर्च कर सकेंगे। इससे बाजार में मांग को बल मिलेगा और जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) में भी सकारात्मक असर पड़ेगा। PHDCCI का मानना है कि टैक्स ढांचे में लचीलापन लाने से सरकार को राजस्व में भी कोई बड़ी हानि नहीं होगी, बल्कि टैक्स कलेक्शन बेहतर होगा क्योंकि अधिक लोग ईमानदारी से टैक्स भरेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि “आर्थिक विकास को रफ्तार देने के लिए टैक्स राहत सबसे प्रभावी तरीका हो सकता है।”
कॉरपोरेट टैक्स पर भी राहत की मांग
PHDCCI ने अपने सुझावों में केवल व्यक्तिगत करदाताओं की नहीं, बल्कि कॉरपोरेट सेक्टर की चिंताओं को भी उठाया है। संगठन का सुझाव है कि कॉरपोरेट टैक्स को 25% से घटाकर 22% या उससे कम किया जाए। जब पिछली बार टैक्स दर 35% से घटाकर 25% की गई थी, तब टैक्स कलेक्शन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018-19 में ₹6.63 लाख करोड़ का कलेक्शन था, जो अब ₹8.87 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है। उद्योग जगत का मानना है कि टैक्स दरों में कमी से कंपनियों को निवेश और विस्तार के लिए प्रेरणा मिलेगी, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
नया टैक्स स्ट्रक्चर — राहत के साथ सरलता
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में व्यक्तिगत आयकर की अधिकतम दर 30% है, लेकिन सेस और सरचार्ज जोड़ने के बाद यह 39% तक पहुंच जाती है। PHDCCI ने सुझाव दिया है कि 30 लाख तक की आय पर 20% और 30 से 50 लाख के बीच आय पर अधिकतम 25% टैक्स लगे। 50 लाख से ऊपर की कमाई पर ही 30% दर रखी जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया, तो यह मध्यम वर्ग के लिए ऐतिहासिक राहत साबित होगी और टैक्स प्रणाली को अधिक पारदर्शी व सरल बनाएगी। अब सबकी नजरें 2026 के बजट पर टिकी हैं, जहां से उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस दिशा में बड़ा ऐलान कर सकती है।










