Modi Meets Mongolian President: भारत-मंगोलिया की दोस्ती हुई और गहरी, पीएम मोदी बोले – “हम हैं आध्यात्मिक पड़ोसी”

Modi Meets Mongolian President: मंगोलिया के राष्ट्रपति का भारत दौरा! पीएम मोदी ने किया जोरदार स्वागत, कही बड़ी बात

Modi Meets Mongolian President: भारत और मंगोलिया (India and Mongolia) के रिश्तों में एक नई ऊष्मा देखने को मिली है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने मंगोलिया के राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना और उनके प्रतिनिधिमंडल का भारत आगमन पर गर्मजोशी से स्वागत किया। यह यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक है, क्योंकि छह वर्षों के बाद कोई मंगोलियाई राष्ट्रपति भारत आए हैं। इस वर्ष दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष और रणनीतिक साझेदारी के 10 वर्ष पूरे कर रहे हैं, जिससे यह मुलाकात और भी खास बन गई है।

साझा विरासत का प्रतीक बना विशेष डाक टिकट/Modi Meets Mongolian President

इस विशेष अवसर पर भारत और मंगोलिया (India and Mongolia) ने मिलकर एक संयुक्त डाक टिकट जारी किया। यह टिकट दोनों देशों की साझा विरासत, सांस्कृतिक विविधता और प्राचीन सभ्यतागत संबंधों का प्रतीक है। इस पहल को द्विपक्षीय संबंधों को और गहराई देने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से हुई मुलाकात की शुरुआत

पीएम मोदी (PM Modi) ने अपने संबोधन में बताया कि मुलाकात की शुरुआत ‘एक पेड़ मां के नाम’ (Ek Ped Maa Ke Naam) अभियान के तहत वृक्षारोपण से हुई। राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना (Khurelsukh Ukhna) ने अपनी स्वर्गीय माताजी के नाम एक वटवृक्ष लगाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पेड़ दोनों देशों की मित्रता और पर्यावरण के प्रति साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक रहेगा।

पिछले दशक में साझेदारी को मिला नया विस्तार

मोदी ने कहा कि 10 वर्ष पहले मंगोलिया यात्रा (Mongolia Visit) के दौरान दोनों देशों के संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदल दिया गया था। पिछले दशक में रक्षा, सुरक्षा, और सांस्कृतिक सहयोग के हर आयाम में नई गहराई आई है। उन्होंने बताया कि भारत और मंगोलिया अब वैश्विक मंचों पर भी विकासशील देशों की आवाज़ को मज़बूती से उठा रहे हैं।

हमारे रिश्ते आत्मीय और आध्यात्मिक बंधन पर आधारित

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और मंगोलिया के रिश्ते केवल राजनयिक सीमाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह आत्मीय और आध्यात्मिक बंधन से जुड़े हैं। उन्होंने कहा, “सदियों से दोनों देश बौद्ध धर्म के सूत्र में बंधे हैं, इसलिए हमें ‘स्पिरिचुअल सिबलिंग’ कहा जाता है।” मोदी ने घोषणा की कि अगले वर्ष भगवान बुद्ध के दो महान शिष्यों – सारिपुत्र और मौद्गल्या-यन के पवित्र अवशेष मंगोलिया भेजे जाएंगे, जिससे बौद्धिक और धार्मिक संबंध और गहरे होंगे।

भारत भेजेगा संस्कृत शिक्षक, ई-वीजा सुविधा भी शुरू

भारत सरकार (Government Of India) ने घोषणा की कि वह मंगोलिया की प्रसिद्ध ‘गंदन मॉनेस्ट्री’ में एक संस्कृत शिक्षक भेजेगा, ताकि वहां बौद्ध ग्रंथों के अध्ययन को बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही, मंगोलियाई नागरिकों के लिए मुफ्त ई-वीजा सुविधा भी शुरू की जाएगी, जिससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क और यात्राओं में आसानी हो।

नए युग की साझेदारी की दिशा में कदम

पीएम मोदी ने कहा, “हमारी सीमाएं भले न जुड़ी हों, लेकिन हमारे दिल जुड़े हैं।” इस ऐतिहासिक बैठक को भारत-मंगोलिया के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और रणनीतिक सहयोग के नए युग की शुरुआत माना जा रहा है। दोनों देशों की मित्रता अब और गहरी होती दिख रही है — ‘आध्यात्मिक पड़ोसी’ होने का यह रिश्ता आने वाले वर्षों में और मजबूत होगा।

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