Negligence Of Municipality On Chhath Puja : छठ पूजा पर्व के तीसरे दिन रायबरेली के कोतवाली नगर क्षेत्र स्थित राजघाट पर सई नदी किनारे बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे। महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की। हालांकि, जिला प्रशासन के निर्देशों के बावजूद नगर पालिका प्रशासन की तैयारियां पूरी तरह फेल साबित हुईं। चेंजिंग रूम की व्यवस्था नहीं होने से महिलाओं को खासी दिक्कतें हुईं, जबकि सुरक्षा के नाम पर पुलिस बल तो तैनात किया गया, लेकिन मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया गया। स्थानीय लोगों ने इसे नियमों और मानकों की धज्जियां उड़ाने वाला कदम बताया है।
छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलता है और तीसरा दिन अर्घ्य का मुख्य दिन होता है। रायबरेली में राजघाट पर सई नदी के घाट को मुख्य केंद्र बनाया गया था। शाम होते ही हजारों की संख्या में महिलाएं और उनके परिवार वाले यहां पहुंचे। महिलाओं ने पारंपरिक रूप से सूप में फल, ठेकुआ और अन्य प्रसाद रखकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। पूजा के दौरान व्रतधारी महिलाएं नदी में खड़ी होकर घंटों तक पूजा करती रहीं। अगले दिन यानी चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूजा संपन्न होगी, जिसमें नहाय-खाय की रस्म भी शामिल है।

जिला प्रशासन ने छठ घाटों की सफाई, प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा और चेंजिंग रूम बनाने के सख्त निर्देश दिए थे। लेकिन नगर पालिका की ओर से की गई तैयारियां पूरी तरह अव्यवस्थित रहीं। सबसे बड़ी लापरवाही चेंजिंग रूम को लेकर सामने आई। महिलाओं के स्नान और कपड़े बदलने के लिए गुप्त तरीके से चेंजिंग रूम बनाने के आदेश थे, लेकिन घाट पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई। इससे महिलाओं को खुले में ही कपड़े बदलने पड़े, जिससे उनकी निजता भंग हुई और असुरक्षा की भावना पैदा हुई। कई महिलाओं ने शिकायत की कि बांस-बल्लियों से बने अस्थायी चेंजिंग रूम तो बनाए गए थे, लेकिन वे अधूरे और असुरक्षित थे। बारिश या हवा चलने पर ये गिर सकते थे, और अंदर कोई पर्दा या लाइट की व्यवस्था नहीं थी।
स्थानीय निवासी रामू यादव ने कहा, “प्रशासन ने वादे तो बड़े-बड़े किए, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं हुआ। महिलाएं घंटों नदी में खड़ी रहती हैं, स्नान करती हैं, लेकिन चेंजिंग रूम नहीं होने से उन्हें शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है। यह छठ मइया का अपमान है।” एक अन्य श्रद्धालु महिला ने बताया, “हम दूर-दूर से आते हैं, लेकिन यहां सुविधाएं नाममात्र की हैं। नगर पालिका ने सिर्फ दिखावा किया।”
सुरक्षा व्यवस्था के मोर्चे पर हालांकि कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई। घाट पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। कोतवाली पुलिस, पीएसी और महिला पुलिसकर्मी मौजूद रहीं। ड्रोन से निगरानी की गई और बैरिकेडिंग कर भीड़ को नियंत्रित किया गया। लेकिन सुविधाओं की कमी ने पूरे आयोजन को खराब कर दिया। घाट पर सीढ़ियां टूटी हुई थीं, कचरा बिखरा पड़ा था और पेयजल की व्यवस्था भी अपर्याप्त थी।
नगर पालिका अधिशासी अधिकारी से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि “तैयारियां पूरी थीं, लेकिन भीड़ ज्यादा होने से कुछ दिक्कतें आईं।” हालांकि, स्थानीय लोग इसे बहाना बता रहे हैं। विपक्षी पार्टियों ने भी प्रशासन पर हमला बोला है। समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा, “यह सरकार की उदासीनता है। छठ पूजा बिहार-यूपी की संस्कृति का प्रतीक है, लेकिन यहां महिलाओं की सुविधा तक नहीं सोची गई।”
छठ पूजा के अंतिम दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी चल रही है। उम्मीद है कि प्रशासन अब सुधार करेगा, वरना श्रद्धालुओं का गुस्सा बढ़ सकता है। यह घटना रायबरेली में प्रशासनिक अव्यवस्थाओं की एक और मिसाल बन गई है।










