New Threat Against India: भारत के POK पर कूटनीतिक और रणनीतिक दांव से पाकिस्तान (Pakistan) बुरी तरह घबराया हुआ दिख रहा है। अब खबर है कि वो भारत की हर संभावित कार्रवाई को रोकने के लिए बेहद खतरनाक तैयारी में जुट गया है। अमेरिका की एक नई रिपोर्ट ने पाकिस्तान की इस गुप्त चाल से पर्दा उठा दिया है। रिपोर्ट में पाकिस्तान के उस हथियार कार्यक्रम का जिक्र है, जिसे भारत के खिलाफ “रणनीतिक जवाबी कार्रवाई” के तौर पर विकसित किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस बार पाकिस्तान का साथ दे रहा है उसका पारंपरिक सहयोगी– चीन। सवाल यह है कि पाकिस्तान की यह तैयारी सिर्फ डर की उपज है या किसी बड़े खतरे की शुरुआत?
अमेरिकी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा/New Threat Against India
अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) की 2025 की थ्रेट एसेसमेंट रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान चीन की मदद से छोटे-छोटे परमाणु बम तैयार कर रहा है। इस रिपोर्ट में चीन और पाकिस्तान (China and Pakistan) के बीच बढ़ते परमाणु सहयोग को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान भारत को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है और इसी सोच के तहत वह लो-यील्ड न्यूक्लियर वेपन (LYNW) यानी कम क्षमता वाले परमाणु हथियारों का जखीरा बना रहा है। अमेरिकी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान इन हथियारों के जरिए युद्धक्षेत्र में “नियंत्रित जवाबी कार्रवाई” का दावा करता है, लेकिन इसका वास्तविक उद्देश्य भारत के किसी भी सैन्य कदम को रोकना है।

पाकिस्तान की ‘नस्र’ मिसाइल और खतरनाक नीति
पूर्व पाकिस्तानी डिप्लोमेट लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई (Khalid Kidwai) ने 2011 में भारत के कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत के जवाब में नस्र मिसाइल सिस्टम की बात कही थी। यह मिसाइल कम दूरी पर परमाणु बम दागने में सक्षम है और इसका मकसद युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियारों का प्रयोग आसान बनाना था। नस्र मिसाइल पाकिस्तान के “पूर्ण-स्पेक्ट्रम प्रतिरोध सिद्धांत” का हिस्सा मानी जाती है, जिसके तहत पाकिस्तान पारंपरिक हमलों के जवाब में भी परमाणु हथियारों का “पहले इस्तेमाल” कर सकता है। यह नीति न केवल आत्मघाती है बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा भी बन सकती है।
छोटे बम, पर प्रभाव विनाशकारी
पाकिस्तान जिन लो-यील्ड न्यूक्लियर वेपन्स (LYNW) की बात कर रहा है, वे तकनीकी रूप से 20 किलोटन से कम क्षमता के परमाणु बम होते हैं। ऑब्जर्वर्स रिसर्च फाउंडेशन (ORF) की रिपोर्ट बताती है कि इतने कम क्षमता वाले बम भी विनाशकारी साबित होते हैं। उदाहरण के तौर पर, जापान के हिरोशिमा और नागासाकी (Hiroshima and Nagasaki) पर 16 से 21 किलोटन के बम गिराए गए थे, जिनसे लाखों लोग मारे गए और शहर दशकों तक रेडिएशन से प्रभावित रहे। ऐसे में “टैक्टिकल” शब्द सिर्फ एक भ्रम है, क्योंकि इसका प्रभाव किसी भी पारंपरिक परमाणु हमले जितना ही भयानक होता है। यही कारण है कि विशेषज्ञ पाकिस्तान की इस रणनीति को बेहद खतरनाक मानते हैं।
भारत की ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति और जवाबी रणनीति
भारत (Bharat) की परमाणु नीति “नो फर्स्ट यूज” (NFU) पर आधारित है, यानी भारत पहले परमाणु हमला नहीं करेगा। लेकिन अगर कोई देश भारत पर परमाणु हथियारों से हमला करता है, तो उसका जवाब भारत “मैसिव रिटैलिएशन” यानी भारी विनाशक हमले से देगा। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति पाकिस्तान जैसे देशों को चेतावनी देती है कि भारत पर किसी भी प्रकार का परमाणु हमला, चाहे लो-यील्ड क्यों न हो, विनाशकारी परिणाम देगा। भारत के इस सिद्धांत से यह साफ है कि पाकिस्तान का छोटे परमाणु बमों पर भरोसा आत्मघाती कदम साबित हो सकता है।
दक्षिण एशिया में बढ़ता अस्थिरता का खतरा
पाकिस्तान (Pakistan) के इन नए हथियारों की दौड़ ने पूरे दक्षिण एशिया में तनाव का स्तर और बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि LYNW जैसे हथियार परमाणु युद्ध की सीमा को खतरनाक रूप से नीचे ले आते हैं, जिससे किसी भी सैन्य संघर्ष में इनका इस्तेमाल आसान हो सकता है। पाकिस्तान पहले से ही “पहले इस्तेमाल” की नीति अपनाए हुए है, और अब छोटे परमाणु बमों का निर्माण उसे और अधिक अस्थिर बना रहा है। ऐसे में यह सवाल गंभीर है कि क्या पाकिस्तान की यह रणनीति क्षेत्रीय सुरक्षा को खत्म करने की दिशा में एक और कदम नहीं है? भारत की रणनीतिक तैयारी और कूटनीतिक जवाब आने वाले समय में इसका निर्धारण करेगी।










