Online Attendance Of Children Is Mandatory In Schools : बीएसए राहुल सिंह के सख्त निर्देश, अब सरकारी स्कूलों में बच्चों की ऑनलाइन अटेंडेंस अनिवार्य

Online Attendance Of Children Is Mandatory In Schools : उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग ( Basic Education Department ) में डिजिटलीकरण की नई लहर चल पड़ी है। जिले के नव नियुक्त बेसिक शिक्षा अधिकारी ( Basic Education Officer ) राहुल सिंह ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं की उपस्थिति को पूरी तरह ऑनलाइन करने का निर्देश दिया गया है। यह कदम सीएम डैशबोर्ड से सीधे जुड़ाव के माध्यम से उठाया गया है, जिसका उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाना है। हालांकि, इस आदेश पर शिक्षक संघों की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे हेडमास्टर और शिक्षक इसकी कार्यान्वयन प्रक्रिया को लेकर असमंजस में हैं।

ऑनलाइन अटेंडेंस का नया नियम: दैनिक रिपोर्टिंग अनिवार्य/ Online Attendance Of Children Is Mandatory In Schools

बीएसए राहुल सिंह के आदेश के अनुसार, अब प्रत्येक सरकारी स्कूल के हेडमास्टर को अपने विद्यालय के सभी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति प्रतिदिन ऑनलाइन दर्ज करनी होगी। यह प्रक्रिया सीएम डैशबोर्ड से लिंक की गई है, जो राज्य स्तर पर शिक्षा विभाग की निगरानी को आसान बनाएगी। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ऑनलाइन अटेंडेंस दर्ज न करने पर संबंधित स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई की जाएगी।

इस व्यवस्था का सबसे बड़ा प्रभाव अक्टूबर महीने में जिले की शिक्षा रैंकिंग पर पड़ेगा। रायबरेली जिले की समग्र रैंकिंग निर्धारण में छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन उपस्थिति का वजन अधिक रखा जाएगा। जिला शिक्षा अधिकारियों के अनुसार, यह कदम छात्रों की नियमितता बढ़ाने और ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए उठाया गया है। उच्च उपस्थिति प्रतिशत वाले स्कूलों को प्रोत्साहन राशि और बेहतर सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, जबकि लापरवाही पर सख्ती बरती जाएगी।

लापरवाही पर सख्त कार्रवाई: अधिकारियों की जिम्मेदारी तय

आदेश में लापरवाही को बर्दाश्त न करने का साफ संदेश दिया गया है। छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन अटेंडेंस के कार्य में किसी भी प्रकार की कोताही पर खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ), प्रधानाध्यापक और प्रभारी प्रधानाध्यापक के खिलाफ उत्तरदायित्वपूर्ण कार्रवाई की जाएगी। इसमें वेतन कटौती से लेकर विभागीय जांच तक के प्रावधान शामिल हैं। बीएसए राहुल सिंह ने अपने हालिया स्कूल निरीक्षणों के दौरान भी इस मुद्दे पर जोर दिया है, जहां उन्होंने शिक्षकों से डिजिटल टूल्स के उपयोग पर प्रशिक्षण लेने की सलाह दी।

पृष्ठभूमि: 20 जुलाई 2023 का ऐतिहासिक आदेश और डिजिटलीकरण की शुरुआत

यह नया निर्देश बेसिक शिक्षा विभाग के 20 जुलाई 2023 के व्यापक आदेश का हिस्सा है, जिसमें सभी सरकारी स्कूलों के 12 महत्वपूर्ण रजिस्टरों—जैसे उपस्थिति रजिस्टर, स्टॉक रजिस्टर, छात्र विवरण आदि—को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया था। विभाग का तर्क था कि पारंपरिक कागजी प्रक्रियाओं से सूचना संग्रहण और प्रसार में देरी होती है, जबकि डिजिटलीकरण से कार्यों में गति आएगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।

इसी क्रम में छात्र-छात्राओं की हाजिरी को भी ऑनलाइन मोड में स्थानांतरित किया गया। सीएम डैशबोर्ड से इसका एकीकरण अब पूरा हो चुका है, जिससे राज्य सरकार को वास्तविक समय में डेटा उपलब्ध हो सकेगा। यह व्यवस्था न केवल उपस्थिति ट्रैकिंग को आसान बनाएगी, बल्कि मिड-डे मील वितरण, छात्रवृत्ति वितरण और शैक्षिक योजनाओं की निगरानी में भी सहायक सिद्ध होगी।

शिक्षक संघों की चुप्पी: कार्यान्वयन पर असमंजस

हालांकि आदेश सख्त है, लेकिन बीएसए द्वारा जारी इस ऑनलाइन अटेंडेंस निर्देश पर अब तक किसी भी प्रमुख शिक्षक संघ—जैसे उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ या अन्य—की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसकी वजह से हेडमास्टर और शिक्षक दोहरी दुविधा में फंसे हुए हैं। कई शिक्षकों ने बताया कि उन्हें यह स्पष्ट नहीं है कि ऑनलाइन अटेंडेंस कैसे दर्ज करनी है—क्या मोबाइल ऐप के माध्यम से, या वेब पोर्टल पर? साथ ही, इसकी शुरुआत कब से होनी है—तत्काल या किसी निर्धारित तिथि से?

एक वरिष्ठ शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या है। बिना उचित प्रशिक्षण के यह व्यवस्था बोझ बन सकती है।” जिला शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि जल्द ही ऑनलाइन वर्कशॉप आयोजित की जाएंगी, लेकिन फिलहाल असमंजस बरकरार है।

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प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं

यह आदेश रायबरेली जिले के लगभग 2,500 सरकारी स्कूलों और 3 लाख से अधिक छात्रों को प्रभावित करेगा। यदि सफलतापूर्वक लागू हुआ, तो यह उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के लिए मॉडल बन सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि सफलता के लिए मजबूत इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों के लिए व्यापक प्रशिक्षण आवश्यक है। बीएसए राहुल सिंह, जो सितंबर 2025 में पदभार संभालने के बाद से सक्रिय रूप से स्कूल निरीक्षण कर रहे हैं, ने कहा है कि उनका लक्ष्य “शिक्षा को डिजिटल युग के अनुरूप बनाना” है।

शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, अगले कुछ दिनों में विस्तृत गाइडलाइंस जारी की जाएंगी, जो कार्यान्वयन की प्रक्रिया को स्पष्ट करेंगी। तब तक, शिक्षक समुदाय को सतर्क रहने और विभागीय निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जा रही है। यह कदम निश्चित रूप से शिक्षा क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ रहा है, लेकिन इसकी सफलता जमीन पर निर्भर करेगी।

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