Private Buses Running Against The Norms : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में उपसंभागीय परिवहन विभाग की लापरवाही और निष्क्रियता के कारण निजी बसों का संचालन मनमाने तरीके से हो रहा है। यहां बस संचालक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए वाहनों को चला रहे हैं, जिसकी वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं। विभाग के अधिकारी इन अनियमितताओं पर आंखें मूंदे बैठे हैं, जबकि हाल ही में राजस्थान के जैसलमेर में हुए एक भीषण बस हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया था। उस हादसे से सबक लेने की बजाय, यहां की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
शाम करीब 5:00 बजे रायबरेली जनपद के मिल एरिया थाना क्षेत्र में स्थित सारस चौराहे पर एक बार फिर निजी बसों की लापरवाही सामने आई। यहां निजी संचालकों द्वारा चलाई जा रही प्राइवेट बसें नियमों को ताक पर रखकर संचालित की जा रही हैं। इन बसों में नंबर प्लेट के पीछे मानक के विपरीत जाली लगा दी जाती है, जिससे नंबर प्लेट आसानी से दिखाई नहीं देती। इससे न केवल नियमों का उल्लंघन होता है, बल्कि हादसे की स्थिति में वाहन की पहचान भी मुश्किल हो जाती है।बीच हाइवे पर ही रोककर सवारियां भरते हैं।

इसके अलावा, इन बसों में क्षमता से ज्यादा सवारियां भरी जा रही हैं। कई बार तो ओवरलोडिंग इतनी ज्यादा होती है कि बसें असंतुलित हो जाती हैं, जो सीधे तौर पर हादसों का कारण बनती है। लग्जरी बसें भी हाईवे के किनारे अचानक रुककर सवारियां भरती रहती हैं, जो यातायात में बाधा पैदा करती हैं और दुर्घटनाओं को न्योता देती हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ये बसें तेज गति से चलती हैं और ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करतीं, जिससे आम लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है।
उपसंभागीय परिवहन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता इस समस्या को और बढ़ावा दे रही है। विभाग को इन अनियमितताओं की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। स्थानीय लोगों ने बताया कि बस संचालकों और विभाग के बीच सांठ-गांठ की वजह से चेकिंग अभियान सिर्फ दिखावा बनकर रह जाता है।
इस संदर्भ में राजस्थान के जैसलमेर में हाल ही में हुए बस हादसे का जिक्र करना जरूरी है। वहां एक बस दुर्घटना में 21 लोगों की मौत हो गई थी। बस में आग लगने से लोग अंदर ही फंस गए और तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। वे बस के दरवाजे और खिड़कियों से बाहर नहीं निकल पाए। इस हादसे के बाद प्रशासन ने सख्त निर्देश दिए थे, जिसके तहत कुछ दिनों तक उपसंभागीय परिवहन विभाग ने चेकिंग अभियान चलाया। लेकिन यह अभियान महज एक-दो दिन चला और उसके बाद सब कुछ पहले जैसा हो गया। रायबरेली में भी यही स्थिति है, जहां हादसों से सबक नहीं लिया जा रहा।
स्थानीय निवासी और यात्री इस लापरवाही से बेहद परेशान हैं। एक यात्री ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हम रोजाना इन बसों में सफर करते हैं, लेकिन कभी भी हादसा हो सकता है। विभाग के अधिकारी सिर्फ कागजी कार्रवाई करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं बदलता।” विशेषज्ञों का मानना है कि ओवरलोडिंग, अनुचित पार्किंग और वाहन मानकों का उल्लंघन सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण हैं।
परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि विभाग नियमित रूप से चेकिंग करता है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण सभी बसों पर नजर रखना मुश्किल है। हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही सख्त अभियान चलाया जाएगा। लेकिन स्थानीय लोगों को इस पर भरोसा नहीं है, क्योंकि पहले भी ऐसे वादे किए जाते रहे हैं।
इस समस्या के समाधान के लिए विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि विभाग को डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम अपनाना चाहिए, जैसे जीपीएस ट्रैकिंग और सीसीटीवी कैमरे। साथ ही, बस संचालकों पर जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने जैसी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। यदि जल्द ही कदम नहीं उठाए गए, तो रायबरेली में बड़े हादसे की आशंका बनी रहेगी।










