Protect Your Heart This Diwali: दिवाली ( खुशियों, रौशनी और उत्साह का पर्व है, लेकिन इसी उत्सव की चकाचौंध के बीच पटाखों की तेज आवाज़ हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी बन सकती है। जहां पटाखों का शोर (Crackers Noise) उल्लास का प्रतीक माना जाता है, वहीं यह दिल के मरीजों और बुजुर्गों के लिए गंभीर जोखिम का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तेज धमाकों से ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ सकता है और हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कि पटाखों की आवाज़ से दिल पर क्या असर पड़ता है, किन लोगों को सबसे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है और इस दिवाली कैसे रखें अपने हार्ट को सुरक्षित।
पटाखों की आवाज़ का दिल पर असर/Protect Your Heart This Diwali
दिवाली (Diwali) के दौरान फोड़ने वाले पटाखों की आवाज़ (Crackers Noise) सामान्य सीमा से कहीं अधिक होती है। एक सामान्य पटाखे की आवाज़ लगभग 130 से 143 डेसीबल (dB) तक पहुंच सकती है, जबकि मानव कान की सुरक्षित सीमा 85 डेसीबल तक होती है। इतनी तेज आवाज सुनने पर शरीर की तनाव प्रतिक्रिया (Stress Response) सक्रिय हो जाती है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, दिल की धड़कन तेज होती है और हार्ट पर दबाव बढ़ जाता है। अगर यह शोर लगातार सुना जाए, तो यह हृदय की मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है और हार्ट अटैक या अरेस्ट का खतरा बढ़ा सकता है। यही कारण है कि डॉक्टर दिवाली के दौरान अधिक शोर वाले इलाकों से दूर रहने और मानसिक शांति बनाए रखने की सलाह देते हैं।

किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा होता है?
पटाखों की तेज आवाज़ से सबसे अधिक प्रभावित वे लोग होते हैं जो पहले से ही हृदय संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं।
हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों के लिए यह आवाज बेहद खतरनाक हो सकती है क्योंकि इससे उनका प्रेशर अचानक बढ़ जाता है।
बुजुर्गों की हृदय प्रणाली पहले से कमजोर होती है, जिससे उनके दिल पर अधिक दबाव पड़ता है।
गर्भवती महिलाएं भी इस स्थिति में संवेदनशील होती हैं, क्योंकि तेज आवाज उनके हार्मोनल संतुलन और हार्ट रेट को प्रभावित कर सकती है।
इसके अलावा, जिन लोगों को चिंता या घबराहट (Anxiety) की समस्या होती है, उन्हें भी इस तेज आवाज से मानसिक और शारीरिक दोनों तरह का तनाव झेलना पड़ सकता है।
दिल की सेहत के लिए अपनाएं ये सावधानियां
अगर आप या आपके परिवार में कोई दिल के मरीज हैं, तो दिवाली के दौरान कुछ सावधानियां जरूर अपनाएं।
पटाखों की तेज आवाज से दूरी बनाए रखें और संभव हो तो घर के अंदर रहें।
खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें ताकि बाहरी शोर अंदर न आए।
अगर बाहर जाना जरूरी हो तो इयरप्लग या नॉइज़-कैंसलिंग हेडफोन का उपयोग करें।
गहरी सांसें लेना, मेडिटेशन या हल्का योग तनाव को कम करने में मदद करता है।
ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट की नियमित जांच करते रहें।
इन छोटे-छोटे उपायों से आप न सिर्फ अपने दिल को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि दिवाली का आनंद शांति और सेहत के साथ ले सकते हैं।
संतुलित दिवाली ही है स्वस्थ दिवाली
दिवाली (Diwali) का असली अर्थ रोशनी फैलाना, खुशियां बांटना और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना है। यह जरूरी नहीं कि हर जश्न पटाखों की आवाज़ से ही पूरा हो। जब पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों पर पटाखों का असर दिख रहा है, तो साइलेंट या इको-फ्रेंडली दिवाली (Eco-Friendly) मनाना एक समझदारी भरा कदम है। ऐसी दिवाली मनाएं जिसमें दीयों की रोशनी, मिठाइयों की खुशबू और अपनों की मुस्कान हो, लेकिन शोर और प्रदूषण न हो। स्वस्थ दिल और स्वच्छ वातावरण ही इस त्योहार की असली खुशी हैं– क्योंकि जब दिल शांत और स्वस्थ होगा, तभी दीपावली की रौशनी सच में उजियारा फैलाएगी।