रायबरेली: एसीएमओ डॉ. दशरथ यादव पर जन्मतिथि में हेरफेर कर चार वर्ष अधिक नौकरी करने का गंभीर आरोप, मुकदमा दर्ज और वेतन वसूली का आदेश

रायबरेली : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) डॉ. दशरथ यादव पर अपनी जन्मतिथि में हेरफेर कर चार वर्ष अधिक समय तक सरकारी नौकरी करने का आरोप लगा है। इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में उनके स्थानांतरण के लिए दस्तावेजों की जांच की गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. जीपी गुप्ता ने रायबरेली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को पत्र लिखकर डॉ. दशरथ यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के सख्त निर्देश दिए हैं। साथ ही, चार वर्षों के अवैध वेतन की वसूली का भी आदेश जारी किया गया है।

डॉ. दशरथ यादव का बैकग्राउंड और फर्जीवाड़े की शुरुआत

मूल रूप से प्रतापगढ़ जिले के निवासी डॉ. दशरथ यादव लंबे समय से उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में सेवा दे रहे हैं। उन्होंने अपनी नियुक्ति के बाद दस्तावेजों में छेड़छाड़ करके अपनी जन्मतिथि चार वर्ष कम करवा दी थी, जिससे उनकी सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ गई। यह हेरफेर जौनपुर में उनकी तैनाती के दौरान नवंबर 2020 में किया गया। पुरानी जन्मतिथि के अनुसार डॉ. यादव की रिटायरमेंट हो चुकी थी, लेकिन फर्जी दस्तावेजों के सहारे वे चार वर्ष अतिरिक्त सेवा में बने रहे।

डॉ. दशरथ यादव जुलाई 2023 में जौनपुर से स्थानांतरित होकर रायबरेली आए थे, जहां वे फरवरी 2024 तक एसीएमओ के पद पर तैनात रहे। इस दौरान उन्होंने रायबरेली जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का संचालन किया, लेकिन अब यह साबित हो गया है कि उनकी नियुक्ति ही अवैध थी।

खुलासे की प्रक्रिया: स्थानांतरण से जुड़ी जांच ने खोला राज

यह मामला तब उजागर हुआ जब डॉ. दशरथ यादव का लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में स्थानांतरण प्रस्तावित हुआ। स्थानांतरण के लिए शासन स्तर पर उनके सेवा अभिलेखों और दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया शुरू की गई। जांच के दौरान पता चला कि उनकी जन्मतिथि में असंगति है। मूल दस्तावेजों में दर्ज जन्मतिथि के विपरीत, नवंबर 2020 में जौनपुर में जारी किए गए नए प्रमाण-पत्र में चार वर्ष की कमी की गई थी। यह फर्जीवाड़ा इतना सुनियोजित था कि वर्षों तक किसी को शक नहीं हुआ, लेकिन शासन की सख्त जांच ने सब कुछ बेनकाब कर दिया।

प्रशासनिक कार्रवाई: मुकदमा और वेतन वसूली के आदेश

मामले की जानकारी मिलते ही अपर निदेशक डॉ. जीपी गुप्ता ने तत्काल कार्रवाई की। उन्होंने रायबरेली के सीएमओ डॉ. नवीन चंद्रा को पत्र लिखकर डॉ. दशरथ यादव के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के तहत भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह सरकारी खजाने के साथ धोखा है और दोषी को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

सीएमओ डॉ. नवीन चंद्रा ने इस निर्देश का पालन करते हुए रायबरेली के पुलिस अधीक्षक (एसपी) डॉ. यशवीर सिंह को पत्र भेजा। पत्र में मुकदमा दर्ज करने की औपचारिक अनुरोध किया गया है। इसके अलावा, अपर निदेशक ने डॉ. यादव के चार वर्षों के वेतन, भत्ते और अन्य लाभों की पूर्ण वसूली का भी आदेश दिया है। अनुमान है कि यह राशि लाखों रुपये में होगी, जिसकी गणना विभाग द्वारा की जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग में सनसनी: अन्य मामलों की जांच संभव

यह घटना उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में सनसनी फैला रही है। डॉ. दशरथ यादव जैसे वरिष्ठ अधिकारी पर लगे इस आरोप ने न केवल विभाग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि अन्य अधिकारियों के दस्तावेजों की जांच की मांग भी तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जन्मतिथि हेरफेर जैसे मामले स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं, क्योंकि सेवानिवृत्ति के बाद नए चिकित्सकों को अवसर मिलना चाहिए।

पुलिस विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया है और जल्द ही प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू करने की तैयारी है। डॉ. दशरथ यादव की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह मामला न केवल रायबरेली, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है।

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