Raebareli Hari Om Dalit Murder Case : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में दलित युवक हरिओम की हत्या के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी द्वारा भेजे गए अधिवक्ताओं के एक प्रतिनिधि मंडल और स्थानीय पुलिस के बीच तीखी झड़प हो गई। यह घटना मृतक हरिओम के परिवार से मिलने की कोशिश के दौरान हुई, जब पुलिस ने प्रतिनिधि मंडल को रोक दिया। झड़प का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। मामला सदर कोतवाली क्षेत्र के तुराबाली पुरवा गांव का है, जहां हरिओम की हत्या के बाद से तनाव व्याप्त है।
घटना का विवरण

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस पार्टी ने हरिओम की हत्या के मामले में न्याय की मांग को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल गठित किया था, जिसमें अधिवक्ता और पार्टी कार्यकर्ता शामिल थे। यह मंडल मृतक के परिवार से मिलकर उन्हें कानूनी सहायता और समर्थन देने का इरादा रखता था। शुक्रवार दोपहर को जब प्रतिनिधि मंडल हरिओम के घर पहुंचा, तो पुलिस ने उन्हें परिवार से मिलने से रोक दिया। पुलिस का कहना था कि क्षेत्र में तनाव को देखते हुए बाहरी लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकती।
इस रोक-टोक से अधिवक्ता और कांग्रेस कार्यकर्ता भड़क उठे। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि वे परिवार को न्याय से वंचित रखने की कोशिश कर रहे हैं और मामले को दबाने की साजिश रच रही है। बहस जल्द ही झड़प में बदल गई, जिसमें धक्का-मुक्की और नारेबाजी हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, अधिवक्ता पुलिस की कार्रवाई से आग-बबूला हो गए और जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। झड़प मृतक हरिओम के घर के ठीक बाहर हुई, जहां परिवार के सदस्य भी मौजूद थे।
वीडियो वायरल होने से बढ़ा विवाद
झड़प के दौरान किसी ने वीडियो रिकॉर्ड कर लिया, जो अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे एक्स (पूर्व ट्विटर), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर तेजी से फैल रहा है। वीडियो में पुलिस और प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों के बीच तीखी बहस और हाथापाई साफ नजर आ रही है। कई यूजर्स ने इस घटना को ‘पुलिस की मनमानी’ करार दिया है, जबकि कुछ ने कांग्रेस पर ‘राजनीतिक फायदा उठाने’ का आरोप लगाया है। वायरल वीडियो ने मामले को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है, और विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है।
हरिओम हत्या मामले की पृष्ठभूमि
हरिओम, जो दलित समुदाय से ताल्लुक रखते थे, की हत्या कुछ दिन पहले तुराबाली पुरवा गांव में हुई थी। पुलिस के अनुसार, यह हत्या पुरानी रंजिश के चलते हुई, लेकिन परिवार का आरोप है कि इसमें जातीय हिंसा का एंगल है। हरिओम के परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। कांग्रेस पार्टी ने इस मामले को उठाते हुए कहा है कि दलितों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर सरकार चुप है। पार्टी ने प्रतिनिधि मंडल भेजकर परिवार को कानूनी मदद देने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की रोकथाम ने विवाद को और बढ़ा दिया।
पुलिस और कांग्रेस का पक्ष
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए सख्ती बरती गई। सदर कोतवाली के इंस्पेक्टर ने बताया, “हमने किसी भी तरह की राजनीतिक हस्तक्षेप से बचने के लिए प्रतिनिधि मंडल को रोका। परिवार की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।” वहीं, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “यह लोकतंत्र की हत्या है। पुलिस सरकार के इशारे पर काम कर रही है और पीड़ित परिवार को न्याय से दूर रखना चाहती है। हम इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे।”
आगे की कार्रवाई
झड़प के बाद पुलिस ने अतिरिक्त बल तैनात कर दिया है, ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे। कांग्रेस ने घटना की जांच की मांग की है और कहा है कि वे परिवार से मिलने की कोशिश जारी रखेंगे। meanwhile, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने अन्य राजनीतिक दलों को भी सक्रिय कर दिया है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी इस मामले पर बयान जारी कर दलित न्याय की मांग की है।
यह घटना उत्तर प्रदेश में दलित अधिकारों और राजनीतिक हस्तक्षेप के मुद्दे को फिर से उजागर कर रही है। पुलिस ने मामले की जांच तेज करने का आश्वासन दिया है, लेकिन परिवार और विपक्षी दलों का दबाव बढ़ता जा रहा है। आगे की अपडेट्स के लिए बने रहें।