Raebareli Mass Marriage Scam: उत्तर प्रदेश सरकार की सबसे चर्चित और गरीब परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही ‘मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना’ रायबरेली जिले में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। जो योजना गरीब माता-पिता के लिए बेटी की शादी का बोझ हल्का करने के लिए शुरू की गई थी, उसी में अब करोड़ों रुपए के घपले-घोटाले की खबरें जोरों पर हैं। स्थानीय लोगों और सूत्रों का साफ कहना है कि जिला समाज कल्याण विभाग के कुछ अधिकारी और उनकी पसंदीदा ठेकेदार कंपनी मिलकर सारी योजना को निजी जेब भरने का धंधा बना चुके हैं।
सबसे बड़ा खेल, L-1 को छोड़कर L-4 फर्म को दे दिया ठेका
इस बार का सबसे तगड़ा आरोप यह है कि टेंडर में सबसे कम रेट (L-1) लगाने वाली कंपनी को दरकिनार करके चौथे नंबर की सबसे महँगी दर (L-4) वाली फर्म को पूरा ठेका दे दिया गया। यानी सरकार को लाखों-करोड़ों रुपए का सीधा नुकसान पहुँचाया गया। नियम तो साफ है कि सबसे कम बोली लगाने वाली ईमानदार कंपनी को काम मिलना चाहिए, लेकिन यहाँ नियमों को ताक पर रखकर मनपसंद ठेकेदार को फायदा पहुँचाया गया।

जब यह बात बाहर आने लगी और सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय अखबारों में खबर चलने लगी, तब जाकर मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) ने दिखावे के लिए एक तीन सदस्यीय जाँच कमेटी बना दी। लेकिन कमाल की बात यह है कि जाँच को जानबूझकर लटकाया गया। पूरा सामूहिक विवाह कार्यक्रम खत्म हो गया, शादियाँ हो गईं, सामान बँट गया, लेकिन आज तक जाँच रिपोर्ट किसी को नहीं दिखाई गई। लोग कह रहे हैं कि रिपोर्ट को दबा दिया गया है ताकि सच बाहर न आए।
सामान खरीद में भी भयंकर धाँधली
सूत्र बता रहे हैं कि शादी में बाँटने वाली साड़ी, बर्तन, बिस्तर, श्रृंगार का सामान आदि की खरीदारी में भी भारी गोलमाल हुआ है। जितनी भी चीजें खरीदी गईं, उनका रेट और क्वालिटी चेक करने के लिए बनी कमेटी के सदस्यों से अप्रूवल तक नहीं लिया गया। जिला समाज कल्याण अधिकारी ने ऊपर के बड़े अफसर का नाम लेकर सबके फाइल पर जबरदस्ती दस्तखत करा लिए। यानी पूरा खेल ऊपर से नीचे तक सेट था।
एक ही चहेती फर्म को बार-बार मिल रहा ठेका
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि पिछले कई सामूहिक विवाह कार्यक्रमों में भी यही एक फर्म ठेका लेती आई है। हर बार नए-नए बहाने बनाकर बाकी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाता है और इसी फर्म को काम सौंप दिया जाता है। विभाग के अंदर बैठे कई ईमानदार कर्मचारी-अधिकारी खुलेआम कह रहे हैं कि बिना ऊँचे स्तर के बड़े अधिकारियों की मौन सहमति के इतना बड़ा खेल चल ही नहीं सकता।
धमकियाँ भी दी जा रही हैं
खबर यहाँ तक आ रही है कि समाज कल्याण विभाग के एक रसूखदार पटल सहायक फोन करके ठेकेदारों और जाँच कमेटी के सदस्यों को खुलेआम धमका रहे हैं कि “ज्यादा उछलोगे तो देख लेंगे”। जाँच करने वाले अफसर भी दबाव में हैं और चुप्पी साधे बैठे हैं।
जनता में गुस्सा, गरीब बेटियों का पैसा लूटा जा रहा
गरीब परिवार की बेटियों की शादी के लिए सरकार जो पैसा देती है, उसे ही कुछ लालची अधिकारी और ठेकेदार मिलकर हड़प रहे हैं। गाँव-गाँव में लोग आपस में बात कर रहे हैं कि यह पैसा तो सीधे-सीधे हमारी बेटियों के हिस्से का था, इसे लूट लिया गया। सामाजिक संगठन और आम नागरिक अब खुलकर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर जिलाधिकारी और सीडीओ चुप क्यों हैं? अब तक कोई सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
अगर ईमानदार जाँच नहीं हुई तो आंदोलन तय है
फिलहाल पूरा मामला गर्माता जा रहा है। जिले के कई सामाजिक कार्यकर्ता और युवा एकजुट हो रहे हैं। उनका साफ कहना है कि अगर जल्दी से जल्दी पारदर्शी और निष्पक्ष जाँच नहीं हुई, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो रायबरेली में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा।
लोग पूछ रहे हैं – क्या योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति सिर्फ कागजों तक सीमित है? रायबरेली जैसे जिले में जब इतने बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा हो और अधिकारी खामोश बैठे हों तो आम जनता भला किससे उम्मीद करे










