Raebareli News : इंदिरा नगर में गंदगी से भरी और बदबूदार नालियाँ दे रही गंभीर बीमारियों को दावत, स्थानीय लोग रोज़ दे रहे बयान

नगर पालिका की लापरवाही से स्वच्छ भारत मिशन पर सवाल

Raebareli News : रायबरेली शहर के कोतवाली नगर क्षेत्र अंतर्गत इंदिरा नगर में पिछले कई महीनों से नालियाँ पूरी तरह चोक हैं। गंदगी और मच्छरों का अंबार लगा हुआ है तथा नालियों से उठ रही भयंकर दुर्गंध ने पूरे मोहल्ले का जीना मुहाल कर दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट ‘स्वच्छ भारत मिशन’ यहाँ कागजों तक ही सीमित रह गया है, जबकि हकीकत में नगर पालिका परिषद की घोर लापरवाही के कारण स्वच्छता की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।

आज दोपहर करीब 12 बजे जब हमारी टीम इंदिरा नगर पहुंची तो नजारा देखकर रोंगटे खड़े हो गए। मुख्य सड़क से लेकर गलियों तक हर तरफ नालियाँ ओवरफ्लो हो रही थीं। काला-गंदा पानी सड़कों पर बह रहा था और उसकी दुर्गंध से गुजरना भी मुश्किल हो रहा था। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएँ इस गंदगी के बीच मजबूरी में जीने को मजबूर हैं।

स्थानीय लोगों ने क्या कहा?

  • एक बुजुर्ग निवासी रामलखन यादव ने गुस्से में कहा, “यहाँ पिछले 6 महीने से नाली साफ नहीं हुई। मच्छरों ने डेंगू-मलेरिया फैलाया हुआ है। बच्चे लगातार बीमार पड़ रहे हैं। नगर पालिका वाले सिर्फ़ वोट मांगने आते हैं, काम कोई नहीं करता।”
  • मोहल्ले की महिलाएँ शकुंतला देवी और राधा गुप्ता ने बताया, “घर के बाहर दुर्गंध के कारण खाना तक नहीं खाया जा रहा। बच्चे खेल भी नहीं पाते। बार-बार शिकायत करने पर भी कोई सुनवाई नहीं।”
  • युवा विवेक सिंह ने कहा, “स्वच्छ भारत अभियान का ढोल तो पूरे देश में पीटा जा रहा है, लेकिन हमारे रायबरेली में यहाँ की नालियाँ ही बता रही हैं कि अभियान फेल हो चुका है। अगर यही हाल रहा तो कोई बड़ी बीमारी फैल जाएगी।”

नगर पालिका की चुप्पी

इस पूरे मामले में नगर पालिका परिषद के किसी भी अधिकारी ने बोलने से साफ इंकार कर दिया। न तो ईओ साहब मिले और न ही सफाई निरीक्षक। फोन उठाने पर भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। स्थानीय पार्षद का भी कहना था कि “फंड की कमी है, इसलिए काम नहीं हो पा रहा।”

लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर एक सप्ताह के अंदर नालियों की सफाई और ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त नहीं किया गया तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे और सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

इंदिरा नगर की यह स्थिति सिर्फ एक मोहल्ले की नहीं, बल्कि रायबरेली शहर के कई वार्डों की हकीकत है। सवाल यह है कि आखिर कब तक ‘स्वच्छ भारत’ सिर्फ नारे तक सीमित रहेगा और कब जमीनी हकीकत बदलेगी?

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