रायबरेली के गदागंज थाना क्षेत्र में हुई एक घटना ने समाज में व्याप्त हिंसा की गहन तस्वीर पेश की है और पुलिस व्यवस्था की गंभीर लापरवाही को भी उजागर किया है। 1 अक्टूबर की रात, एक युवक, हरिओम, जिसकी संदिग्ध हरकतों ने लोगों में शक पैदा किया, स्थानीय ढाबे पर भीड़ की नज़रों में फंस गया। सूचना मिलने के बावजूद तत्काल कार्रवाई न होने से उसकी जान खतरे में पड़ गई। युवक भागते हुए ऊंचाहार की ओर गया, जहां उसकी भीड़ ने बेरहमी से हत्या कर दी। इस घटना ने स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। सवाल यह उठता है कि अगर पुलिस समय रहते सही कदम उठाती, तो क्या हरिओम की जान बच सकती थी? आखिर क्या है पूरा मामला लिए जानते हैं।
घटना की शुरुआत – ढाबे पर उग्र भीड़ का घेराव
1 अक्टूबर की शाम, गदागंज थाना क्षेत्र के एक व्यस्त ढाबे पर अचानक अफरा-तफरी मच गई। हरिओम नामक युवक, जिसकी संदिग्ध हरकतों ने आसपास के लोगों को शक में डाल दिया, ढाबे पर रुक गया। उसकी अजीब बड़बड़ाहट और इधर-उधर भटकने की आदत ने 50-60 ग्रामीणों की भीड़ को एकत्रित कर दिया। भीड़ ने युवक को घेरकर पूछताछ शुरू कर दी। जैसे-जैसे भीड़ में उग्रता बढ़ी, हालात किसी भी पल बेकाबू हो सकते थे। रात 9:14 बजे, एक स्थानीय निवासी ने गदागंज थाने के प्रभारी अधिकारी दयानंद तिवारी को घटना की जानकारी दी। कॉल रिकॉर्डिंग में स्पष्ट है कि अधिकारी ने केवल “ठीक है, दिखवा रहा हूं” कहा। गदागंज थाना ढाबे से महज 5-7 मिनट की दूरी पर होने के बावजूद कोई पुलिसकर्मी तत्काल नहीं पहुंचा। इस देरी ने स्थिति को और भयावह बना दिया, जिससे युवक डर के साये में रह गया और भीड़ का दबाव लगातार बढ़ता गया।

पुलिस की सुस्ती ने ली युवक की जान
पुलिस की सुस्ती ने युवक को असुरक्षित छोड़ दिया। भीड़ का गुस्सा बढ़ता गया और हरिओम भागने को मजबूर हुआ। स्थानीय लोगों ने बताया कि यदि पुलिस तुरंत हस्तक्षेप करती, तो युवक को सुरक्षित थाने ले जाकर उसकी पहचान की जा सकती थी और स्थिति नियंत्रित की जा सकती थी। पुलिस की संवेदनहीनता ने युवक को असहाय बना दिया और उसने पैदल ही ऊंचाहार की ओर रुख किया, जो घटनास्थल से लगभग 10-12 किलोमीटर दूर था। इस दौरान स्थानीय निवासी भी खतरनाक स्थिति को रोकने में असफल रहे। पुलिस की देरी ने युवक को भीड़ के हाथों मौत की ओर धकेल दिया। घटना ने यह भी दिखाया कि स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली कितनी असंगठित और संवेदनहीन हो सकती है, जबकि एक मिनट की देरी किसी की जिंदगी की कीमत पर भारी पड़ सकती है।
डायल 112 पर कॉल और पीआरवी टीम का आगमन
रात 9:48 बजे, एक जागरूक युवक ने हेल्पलाइन 112 पर कॉल की। मोबाइल नंबर 8081361135 से की गई इस कॉल के इवेंट आईडी PO1102521460 के तहत तुरंत पीआरवी गाड़ी RBI1770 को घटनास्थल भेजा गया। गाड़ी में होमगार्ड नरेंद्र यादव और अनिरुद्ध तिवारी मौजूद थे। उन्होंने युवक से प्रारंभिक पूछताछ की और उसकी मानसिक अस्वस्थता का अनुमान लगाया। उन्होंने प्रभारी जय सिंह यादव को सूचना दी। लेकिन जय सिंह का रवैया असंवेदनशील रहा। उन्होंने होमगार्ड को फटकार लगाई और युवक को जाने देने का निर्देश दे दिया। पीआरवी टीम ने युवक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बजाय उसे भीड़ के खतरे में छोड़ दिया।
युवक का भागना और ऊंचाहार की ओर जाना
पीआरवी की गाड़ी लौट गई, और युवक, अब असहाय और भयभीत, पैदल ही ऊंचाहार की ओर बढ़ा। स्थानीय लोगों के अनुसार, भीड़ का दबाव उसके डर को और बढ़ा रहा था। युवक लगभग 10-12 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करता हुआ ऊंचाहार की ओर गया, जबकि पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। यह दूरी युवक के लिए घातक साबित हुई। पुलिस की उदासीनता ने उसकी सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया। स्थानीय लोग कहते हैं कि अगर तत्काल सर्च ऑपरेशन होता और युवक को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाता, तो उसकी जान बच सकती थी।
दारोगा का बहाना – “खाना खाने जा रहा हूं”
रात 10:12 बजे, थाने से दारोगा प्रेम सिंह ने ढाबे के मालिक को निर्देश दिया कि वह युवक को तब तक वहीं रखे जब तक वे खाना खा रहे हों। इस दौरान हरिओम वहां से जा चुका था। प्रेम सिंह रात 11 बजे के बाद ढाबे पर पहुंचे, लेकिन तब तक घटना का बड़ा हिस्सा घट चुका था। उनका रवैया गंभीर स्थिति को हल्के में लेने जैसा था। पुलिस की यह उदासीनता युवक की मौत का एक महत्वपूर्ण कारण बनी।
भीड़ ने युवक की बेरहमी से हत्या की
भागते हुए हरिओम ऊंचाहार के ईश्वरदासपुर गांव पहुंचा। रात करीब 1 बजे, वहां की भीड़ ने उसे घेर लिया। संदिग्ध मानते हुए उन्होंने लाठियों और डंडों से युवक की बेरहमी से पिटाई की। सुबह उसके शव की पहचान हरिओम के रूप में हुई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पिटाई से चोटें और आंतरिक रक्तस्राव को मौत का कारण बताया गया।
पुलिस की लापरवाही और समाज का संदेश
घटना ने रायबरेली पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। एसओ दयानंद तिवारी, प्रभारी जय सिंह और दारोगा प्रेम सिंह की संवेदनहीनता ने युवक की जान को खतरे में डाल दिया। जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। यह दुखद घटना समाज को यह संदेश देती है कि संदिग्ध या मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के प्रति संवेदनशीलता और तत्परता जरूरी है। अगर तत्काल और सही कार्रवाई होती, तो शायद एक जिंदगी बच सकती थी। ऐसी लापरवाही और उदासीनता भविष्य में और अधिक जिंदगियां खतरे में डाल सकती है।