RJD Protests Against Dalit Attack: झारखंड (Jharkhand) के बिरसा चौक (Birsa Chowk) में दलित मुख्य न्यायाधीश पर हाल ही में हुए हमले के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने आक्रोश जताया। इस दौरान पार्टी के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का पुतला दहन कर केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। राजद ने इस घटना को देश की संवैधानिक संस्थाओं के अपमान के रूप में देखा और कहा कि बीजेपी और उसके नेताओं की मौन सहमति ने इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा दिया है। आइए जानते हैं पूरी खबर और विरोध की प्रमुख बातें।
सांसद के विवादित बयान और सरकार की प्रतिक्रिया/RJD Protests Against Dalit Attack
कुछ दिन पहले भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना (Chief Justice Sanjiv Khanna) पर आरोप लगाते हुए कहा कि देश में गृह युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। इस बयान पर ना तो किसी प्रकार की कार्रवाई की गई और ना ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर कोई दुख या अफसोस व्यक्त किया। राजद का कहना है कि केंद्र सरकार की मौन सहमति ने ही इस तरह की घटनाओं को हवा दी, जिससे संवैधानिक संस्थाओं और न्यायपालिका के प्रमुखों के खिलाफ हमले की स्थिति उत्पन्न हुई। इस बयान के बाद दलित समुदाय और विपक्षी दलों में विरोध और आक्रोश बढ़ा है।

जूते फेंकने की घटना और आक्रोश
सनातन धर्म (Sanatan Dharma) के नाम पर एक वकील द्वारा भारत के दलित मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना ने पूरे देश में हलचल मचा दी। राजद नेताओं (RJD Neta) ने इसे संवैधानिक संस्थाओं का अपमान बताते हुए कड़ी निंदा की। पार्टी प्रवक्ता घनश्याम चौधरी और बोकारो जिला अध्यक्ष बुद्ध नारायण यादव ने कहा कि इस हमले से साफ है कि केंद्र सरकार की नीति संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने वाली रही है। घटना ने देश में लोकतंत्र, न्यायपालिका और कानून के शासन के प्रति गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
बिरसा चौक में विरोध प्रदर्शन

इस घटना के विरोध में झारखंड में बिरसा चौक पर राजद नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। पीएम मोदी का पुतला दहन कर केंद्र सरकार के रवैये के खिलाफ आक्रोश जताया गया। इस अवसर पर नेताओं ने संवैधानिक संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और पब्लिक सेक्टर यूनिटों पर बीजेपी और आरएसएस के कथित कब्जे की आलोचना की। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में राजद कार्यकर्ता और समर्थक शामिल हुए और उन्होंने केंद्र सरकार पर लोकतांत्रिक ढांचे और संवैधानिक संस्थाओं के अपमान का आरोप लगाया।
नेताओं के विचार और चेतावनी
विरोध प्रदर्शन में राजद नेताओं ने कहा कि देश में मानसिक, आर्थिक और वैचारिक गुलामी के खतरे बढ़ रहे हैं। धर्म के नाम पर नफरत और मनुवादी मानसिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रवक्ता घनश्याम चौधरी ने चेताया कि यदि संवैधानिक संस्थाओं पर हमले नहीं रुके तो लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्थिरता पर गंभीर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राजद इस मुद्दे पर पूरी तरह सक्रिय है और देश की न्यायपालिका और संवैधानिक संस्थाओं के सम्मान की रक्षा के लिए आंदोलन जारी रखेगा।
प्रमुख उपस्थित नेता और जनता की भागीदारी

विरोध प्रदर्शन में महानगर अध्यक्ष रामजीत यादव, अशोक यादव, सीताराम यादव, प्रमोद सिंह, रामाकांत साह, सुनीता महतो, जितेन्द्र नारायण यादव, कुंदन गुप्ता, मनोज यादव, सरोज यादव, सुरेश यादव, संतोष गिरी, संतू कुमार, हरेंद्र सिंह, मालती देवी, सतेंद्र यादव, सोनेलाल, राजेश कुमार और उमेश तिवारी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे। सभी ने प्रधानमंत्री मोदी का पुतला दहन कर दलित मुख्य न्यायाधीश के अपमान के खिलाफ आक्रोश जताया। राजद ने स्पष्ट किया कि संवैधानिक संस्थाओं के सम्मान और न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए वे हर स्तर पर संघर्ष करते रहेंगे।