Strict order of Additional Chief Secretary : उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों और अध्यापकों के संबद्धीकरण (अस्थायी संलग्नता) को लेकर एक महत्वपूर्ण और सख्त कदम उठाया है। अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने तत्काल प्रभाव से सभी अनधिकृत संबद्धीकरण आदेशों को निरस्त करने का आदेश जारी किया है। यह निर्देश विशेष रूप से उन मामलों पर केंद्रित है जहां अधीनस्थ अधिकारियों ने शासन की अनुमति के बिना अध्यापकों, अधिकारियों और कर्मचारियों को उनकी मूल तैनाती से अलग अन्य कार्यालयों में संलग्न किया गया है।
यह आदेश सरकारी प्रशासनिक व्यवस्था में अनियमितताओं को रोकने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ाएगा, बल्कि कर्मचारियों की मूल जिम्मेदारियों को मजबूत करेगा, जिससे विभागीय कार्यों में सुधार होगा।

आदेश का पृष्ठभूमि और विवरण
उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा, जो 1994 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, ने इस आदेश को जारी किया है। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शासन की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी अधीनस्थ अधिकारी द्वारा जारी संबद्धीकरण आदेश अमान्य माने जाएंगे। यह निर्देश सभी विभागों—शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासनिक सेवाओं आदि—के लिए लागू होगा।
आदेश के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
- अनधिकृत संबद्धीकरण पर रोक : शासन की अनुमति के बिना अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा विभिन्न आदेशों के माध्यम से अध्यापकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों का संबद्धीकरण उनकी मूल तैनाती के अलावा अन्य कार्यालयों में किया जाना पूरी तरह अनुचित है। इससे प्रशासनिक अराजकता फैलती है और मूल कार्य प्रभावित होता है।
- तत्काल निरस्तीकरण : यदि कोई अध्यापक, अधिकारी या कर्मचारी अपनी मूल तैनाती के स्थान के अतिरिक्त कहीं और संबद्ध किया गया है, तो उसके संबद्धीकरण आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। साथ ही, संबंधित व्यक्ति को अपनी मूल तैनाती के स्थान पर वापस भेजा जाए।
- कार्यान्वयन की समयसीमा : सभी संबंधित विभागों के प्रमुख सचिवों, निदेशकों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 72 घंटों के अंदर सभी संबद्धीकरण आदेशों की समीक्षा करें और अनधिकृत मामलों को निरस्त करें। अनुपालन न करने पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है।
आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि भविष्य में कोई भी संबद्धीकरण केवल शासन स्तर से प्राप्त अनुमति के बाद ही किया जाएगा। यह कदम हाल के वर्षों में देखी गई अनियमित तैनातियों—जैसे शिक्षा विभाग में अतिरिक्त अध्यापकों की अनधिकृत संलग्नता या स्वास्थ्य विभाग में स्टाफ की गलत जगह पोस्टिंग—को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है।
आदेश का प्रभाव और महत्व
यह आदेश उत्तर प्रदेश के लगभग 8.32 लाख राज्य कर्मचारियों को सीधे प्रभावित करेगा। सरकारी सूत्रों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में कम से कम 5,000 से अधिक संबद्धीकरण के मामले अनधिकृत पाए गए थे, जिनमें से अधिकांश शिक्षा और स्वास्थ्य विभागों से जुड़े थे। इन अनियमितताओं से न केवल विभागीय कार्य प्रभावित हो रहा था, बल्कि कर्मचारियों के बीच असंतोष भी बढ़ रहा था।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने में मददगार साबित होगा, क्योंकि मूल तैनाती पर लौटने से स्थानीय स्तर पर बेहतर शिक्षा सुनिश्चित होगी। इसी प्रकार, स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की सही जगह तैनाती से मरीजों को बेहतर सुविधा मिलेगी।
पार्थ सारथी सेन शर्मा, जो एक अनुभवी नौकरशाह के साथ-साथ लेखक भी हैं (उनकी पुस्तकें जैसे ‘हम हैं राही प्यार के’ प्रसिद्ध हैं), ने हाल ही में कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक में भी इसी मुद्दे पर चर्चा की थी। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा, “यह लंबे समय से लंबित मांग थी। इससे कर्मचारियों को अपनी मूल जिम्मेदारियों पर फोकस करने का अवसर मिलेगा।”
सरकारी प्रतिक्रिया और भविष्य की योजनाएं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने हाल के महीनों में प्रशासनिक सुधारों पर जोर दिया है। इस आदेश से पहले, जनवरी 2025 में संपत्ति विवरण ऑनलाइन दर्ज न करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई का आदेश जारी किया गया था, जिसमें 52% कर्मचारियों ने ही अनुपालन किया था। अब यह नया निर्देश उसी श्रृंखला का हिस्सा लगता है।
शासन ने सभी जिलों में इस आदेश के पालन की मॉनिटरिंग के लिए एक विशेष सेल गठित करने का फैसला लिया है। साथ ही, अनधिकृत संबद्धीकरण करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
कर्मचारी संगठनों ने मांग की है कि इस आदेश के साथ-साथ मूल तैनाती पर लौटने वाले कर्मचारियों को यात्रा भत्ता और अन्य लाभ प्रदान किए जाएं। शासन इस पर विचार कर रहा है।
यह आदेश न केवल प्रशासनिक सुव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश को एक पारदर्शी और कुशल शासन मॉडल के रूप में स्थापित करने में योगदान देगा। अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक शासन पोर्टल up.gov.in पर उपलब्ध आदेश देखें।










