Student Faints After Being Beaten by Principal : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के महाराजगंज विकास खंड में एक सरकारी कंपोजिट विद्यालय में छात्रों के साथ मारपीट का शर्मनाक मामला सामने आया है। शनिवार को कंपोजिट विद्यालय टूक के प्रधानाचार्य संजय कुमार पर आरोप लगा है कि उन्होंने एक 10 वर्षीय मासूम छात्र अनुज कुमार को इतनी बेरहमी से पीटा कि वह बेहोश हो गया। यह घटना न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ी कर रही है, बल्कि बाल अधिकारों के उल्लंघन का भी गंभीर उदाहरण प्रस्तुत कर रही है। परिजनों ने स्कूल प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं हुई, तो वे कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराने के साथ-साथ जिला शिक्षा अधिकारी, उत्तर प्रदेश बाल अधिकार आयोग और उच्च न्यायालय तक मामला पहुंचा देंगे। क्षेत्र में यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है, और स्थानीय लोगों ने इसे ‘शिक्षा मंदिर’ में ‘अत्याचार का अड्डा’ बताते हुए निंदा की है।
घटना का पूरा विवरण: एक छोटी सी शिकायत से शुरू हुई बर्बरता

कंपोजिट विद्यालय टूक, जो महाराजगंज विकास खंड के अंतर्गत आता है, जिले के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का प्रमुख केंद्र है। यहां करीब 200 से अधिक छात्र पढ़ते हैं, जिनमें अधिकांश गरीब और किसान परिवारों के बच्चे शामिल हैं। शनिवार दोपहर करीब 1 बजे की घटना बताई जा रही है, जब कक्षा 5 का छात्र अनुज कुमार कक्षा में अपनी सहपाठी की शिकायत पर थोड़ा शोर मचा रहा था। आरोप है कि प्रधानाचार्य संजय कुमार, जो स्कूल के प्रमुख प्रबंधक हैं, ने छात्र को कक्षा से बाहर बुलाया और बिना किसी उचित कारण के पहले तो उसे डांटा-फटकारा। लेकिन गुस्से की हद तब पार हो गई जब उन्होंने अनुज को लाठी और मुक्कों से पीटना शुरू कर दिया।
गवाह छात्रों के अनुसार, “प्रधानाचार्य सर इतने गुस्से में थे कि उन्होंने अनुज को जमीन पर पटक दिया और उसके सिर और पीठ पर कई बार प्रहार किए। अनुज चिल्ला रहा था, लेकिन कोई शिक्षक आगे नहीं आया। कुछ ही मिनटों में वह बेहोश हो गया।” एक अन्य छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्कूल में पहले भी छोटी-मोटी मारपीट की घटनाएं होती रही हैं, लेकिन इतनी बर्बरता कभी नहीं देखी गई। अनुज के बेहोश होने के बाद सहपाठी छात्रों ने ही उसे स्कूल के बाहर लाकर परिजनों को सूचना दी।
अनुज कुमार, जो ग्राम पूरे भान का पुरवा का निवासी है, एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखता है। उसके पिता राम प्रसाद (42 वर्ष) खेतों में मजदूरी करते हैं, जबकि मां सुनीता देवी (38 वर्ष) घर संभालती हैं। परिवार में अनुज के अलावा दो छोटे भाई-बहन भी हैं। अनुज की उम्र महज 10 वर्ष है, और वह स्कूल में औसत छात्र है। परिजनों का कहना है कि अनुज कभी शरारती नहीं रहा; वह हमेशा समय पर स्कूल जाता है और घर पर होमवर्क पूरा करता है। इस घटना ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है।
तत्काल चिकित्सा: स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार, लेकिन दो दिनों तक बिस्तर पर
घटना की सूचना मिलते ही अनुज के चाचा राजेश कुमार ने उसे स्कूल से उठाकर नजदीकी आनंद भान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। वहां डॉक्टरों ने छात्र की हालत गंभीर बताते हुए प्राथमिक उपचार किया। डॉ. अजय वर्मा, जो स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक हैं, ने बताया, “छात्र को सिर में सूजन, पीठ पर कोड़े के निशान और हल्का सदमा लगा था। हमने एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं दीं और आराम की सलाह दी। चूंकि मामला गंभीर था, इसलिए हमने जिला अस्पताल रेफर करने की सिफारिश की, लेकिन परिजनों ने घर लाने का फैसला किया।” उपचार के बाद अनुज को घर भेज दिया गया, लेकिन अगले दो दिनों तक वह बिस्तर से उठ ही नहीं सका। रविवार को उसकी हालत स्थिर रही, लेकिन भोजन करने में कठिनाई हो रही थी। सोमवार सुबह जब परिवार ने उसे सामान्य देखा, तभी स्कूल जाकर प्रधानाचार्य से बात करने का फैसला लिया।
परिजनों ने अनुज के शरीर पर लगे निशानों की तस्वीरें ली हैं, जो घटना के सबूत के रूप में इस्तेमाल की जा सकती हैं। राम प्रसाद ने भावुक होकर कहा, “मेरा बेटा स्कूल पढ़ने जाता है, न कि सजा भुगतने। अगर प्रधानाचार्य को गुस्सा आया तो डांट क्यों नहीं दी? इतनी बेरहमी से पीटना तो हत्या का प्रयास है। हम मजदूर हैं, लेकिन अपने बच्चे के लिए लड़ेंगे।”
परिजनों का स्कूल पर धावा: इनकार पर भड़का गुस्सा, चेतावनी दी
सोमवार सुबह करीब 10 बजे अनुज के पिता राम प्रसाद, चाचा राजेश और अन्य परिजन स्कूल पहुंचे। उन्होंने प्रधानाचार्य संजय कुमार से मुलाकात की मांग की। लेकिन आरोप है कि संजय कुमार ने घटना से पूरी तरह इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मैंने किसी छात्र को नहीं पीटा। यह सब झूठा आरोप है। बच्चा शायद खेलते हुए गिर गया होगा।” इस जवाब से परिजन भड़क गए। उन्होंने स्कूल गेट पर हंगामा मचाया और अन्य अभिभावकों को भी बुला लिया। करीब आधे घंटे तक चली इस नोकझोंक में स्कूल के कुछ अन्य शिक्षकों ने बीच-बचाव किया।
नाराज परिजनों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि 24 घंटे के अंदर प्रधानाचार्य के खिलाफ विभागीय जांच नहीं शुरू हुई, तो वे महाराजगंज कोतवाली में लिखित शिकायत दर्ज कराएंगे। इसके अलावा, मामला उत्तर प्रदेश राज्य बाल न्याय आयोग, जिला शिक्षा अधिकारी और बेसिक शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। राम प्रसाद ने कहा, “हमारे बच्चे सुरक्षित रहें, इसके लिए हम कोर्ट भी जाएंगे। यह सिर्फ अनुज की नहीं, सभी बच्चों की सुरक्षा का सवाल है।”
स्कूल प्रशासन की चुप्पी: प्रधानाचार्य पर पहले भी शिकायतें
कंपोजिट विद्यालय टूक एक सरकारी स्कूल है, जो बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन संचालित होता है। यहां प्रधानाचार्य संजय कुमार पिछले तीन वर्षों से पदस्थ हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, उनके कार्यकाल में छात्रों की शिकायतों पर सख्ती के कई मामले सामने आ चुके हैं। एक वर्ष पूर्व भी एक छात्र पर ‘अनुशासनहीनता’ के नाम पर डांटने का विवाद हुआ था, लेकिन कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) के सदस्य रामू प्रसाद ने बताया, “हमने प्रधानाचार्य से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे फोन नहीं उठा रहे। विभाग को सूचना दे दी गई है।” जिला शिक्षा अधिकारी (BSA) कार्यालय से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि जांच टीम गठित की जा रही है।