UP Battle for 2027 Begins: यूपी में बीजेपी के इस संभावित फैसले से बढ़ सकती है सपा की टेंशन!

UP Battle for 2027 Begins: क्या ब्राह्मण या महिला चेहरा संभालेगा UP BJP? लखनऊ से दिल्ली तक मची हलचल

UP Battle for 2027 Begins: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर लंबे समय से चल रही चर्चाओं ने अब सियासी हलचल तेज कर दी है। पंचायत चुनाव 2026 और विधानसभा चुनाव 2027 को देखते हुए पार्टी ऐसा कदम उठाने की तैयारी में है, जो सीधे समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की रणनीति पर असर डाल सकता है। ब्राह्मण चेहरा हो या महिला नेतृत्व—बीजेपी जिस दिशा में बढ़ रही है, वह सपा के पीडीए (PDA) फार्मूले को चुनौती देने वाला माना जा रहा है। ताजा दावे बताते हैं कि पार्टी किसी ऐसे नाम पर मुहर लगा सकती है जो राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल दे।

बीजेपी अध्यक्ष पद पर चल रही सुगबुगाहट/UP Battle for 2027 Begins

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बीजेपी अध्यक्ष पद को लेकर चर्चा वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद शुरू हो गई थी। पहले अनुमान लगाया गया कि महाकुंभ 2025 से पहले नाम तय हो जाएगा, फिर कहा गया कि मकर संक्रांति 2025 के बाद घोषणा होगी। लेकिन 29 जनवरी 2025 को महाकुंभ में हुई भगदड़ ने पार्टी को बड़ा ऐलान करने से रोक दिया। इसके बाद रणनीति बदली और निर्णय बिहार विधानसभा चुनाव के बाद तक टाल दिया गया। इस बीच संगठनात्मक प्रक्रिया को जारी रखते हुए पार्टी ने 98 में से 84 जिला अध्यक्षों की घोषणा कर दी, जिससे कोरम पूरा हो गया और अध्यक्ष चयन की जमीन तैयार हो गई। अब माना जा रहा है कि बीजेपी इस प्रक्रिया को फिर गति देगी और अध्यक्ष पद का ऐलान किसी भी समय करके चुनावी रणनीति को नए स्वरूप में डाल सकती है।

पीडीए की काट खोजने में जुटी बीजेपी

राजनीतिक गलियारों में यह दावा जोर पकड़ रहा है कि बीजेपी, समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की पीडीए (Pichhda, Dalit, Alpsankhyak) रणनीति को संतुलित करने के लिए बड़ा निर्णय ले सकती है। बीजेपी द्वारा घोषित किए गए 84 जिलाध्यक्षों में 45 सवर्ण, 32 ओबीसी और 7 अनुसूचित जाति से हैं—जिससे साफ संकेत मिलता है कि पार्टी जातीय समीकरणों को फिर से व्यवस्थित कर रही है। अब चर्चा है कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर ब्राह्मण या महिला चेहरे की ताजपोशी हो सकती है। यह कदम सवर्णों को साधने, ओबीसी समुदाय को संदेश देने और राजनीतिक नैरेटिव को रीसेट करने की दिशा में बड़ा प्रभाव डाल सकता है। अगर यह फैसला होता है, तो यूपी की राजनीति में बीजेपी की अगली चाल सपा की रणनीति को चुनौती देती नजर आएगी।

ब्राह्मण चेहरे से लेकर साध्वी तक क्यों छिड़ी चर्चा?

वर्ष 2017 में महेंद्र नाथ पांडेय (Mahendra Nath Pandey) को अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने ब्राह्मण समुदाय—जो यूपी में लगभग 12% है—को साधने की कोशिश की थी। 2027 के चुनाव से पहले फिर यही फार्मूला अपनाने की संभावना खुली है, क्योंकि 2022 में कई ब्राह्मण बहुल सीटों पर बीजेपी को कड़ी चुनौती मिली थी। दूसरी ओर, पूर्व सांसद साध्वी निरंजन ज्योति (Sadhvi Niranjan Jyoti) का नाम अचानक तब उछला जब उन्हें बिहार में विधायक दल के नेता के चयन में सह-पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया। इससे महिला नेतृत्व और हिन्दुत्व दोनों की चर्चा तेज हुई। बीजेपी ने अभी तक कभी यूपी में महिला अध्यक्ष नहीं चुना है- और यह फैसला पार्टी को चुनावी रूप से कई फायदे दे सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में महिलाओं के बड़े समर्थन को देखकर यूपी में महिला नेतृत्व पर गंभीरता से विचार हो सकता है।

कौन बनेगा नया अध्यक्ष?

नए साल के बाद किसी भी समय बीजेपी यूपी अध्यक्ष का नाम घोषित कर सकती है। रेस में कई नाम सामने हैं। ब्राह्मण चेहरों में असम प्रभारी और बस्ती (Basti) के पूर्व सांसद हरीश चंद्र द्विवेदी (Harish Chandra Dwivedi) सबसे आगे माने जा रहे हैं। ओबीसी वर्ग से योगी सरकार के मंत्री धर्मपाल सिंह (Dharmpal Singh), केंद्रीय मंत्री बी.एल. वर्मा (BL Verma) और सांसद बाबूराम निषाद (Baburam Nishad) भी प्रमुख दावेदार हैं। यदि पार्टी दलित नेतृत्व को आगे लाने की रणनीति बनाए, तो रामशंकर कठेरिया (Ram Shankar Katheria) और एमएलसी विद्या सागर सोनकर (Vidya Sagar Sonkar) महत्वपूर्ण विकल्प हो सकते हैं। कुल मिलाकर, फैसला चाहे जो भी हो, लेकिन यह तय है कि बीजेपी की यह नियुक्ति 2027 विधानसभा चुनाव के राजनीतिक समीकरणों पर गहरा असर डालेगी और सपा के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकती है।

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