Wages Rule 50% Basic Salary: पीएफ-ग्रेच्युटी वृद्धि से बदलेगा Salary Structure, कर्मचारियों की Take-Home पर क्या होगा असर?

Wages Rule 50% Basic Salary: पीएफ-ग्रेच्युटी वृद्धि से बदलेगा Salary Structure, कर्मचारियों की Take-Home पर क्या होगा असर?

Wages Rule 50% Basic Salary: भारत सरकार (Government Of India) ने लंबे समय से लंबित चारों नए लेबर कोड्स को 21 नवंबर 2025 से लागू करने का बड़ा फैसला ले लिया है। इससे देशभर के करोड़ों कर्मचारियों के वेतन, PF, ग्रेच्युटी और रिटायरमेंट लाभों में व्यापक बदलाव होने जा रहा है। नए प्रावधानों के तहत ‘वेजेज’ की परिभाषा पूरी तरह बदल दी गई है और बेसिक सैलरी को 50% तक अनिवार्य करने से कंपनियों के सैलरी स्ट्रक्चर पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करेगा, लेकिन वहीं Take-home Salary पर संभावित असर को लेकर कई सवाल भी उठ खड़े हुए हैं। सरकार का मानना है कि यह सुधार श्रम कानूनों के आधुनिकीकरण की दिशा में ऐतिहासिक बदलाव साबित होगा।

पूरी घटना क्या है?/Wages Rule 50% Basic Salary

चार प्रमुख श्रम संहिताओं—‘कोड ऑन वेजेज 2019’, ‘इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020’, ‘कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020’ और ‘ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020’—को भारत सरकार ने लंबे समय से लंबित चर्चा के बाद आखिरकार लागू करने की घोषणा कर दी है। यह कदम नई दिल्ली (New Delhi) में आयोजित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सामने आया, जिसके बाद श्रमिक संगठनों से लेकर उद्योग जगत तक हलचल बढ़ गई। इन नई संहिताओं का मकसद 29 पुराने और जटिल श्रम कानूनों को सरल बनाकर एक आधुनिक, पारदर्शी और एकसमान ढांचा तैयार करना है। सरकार का दावा है कि यह सुधार न केवल श्रमिकों के अधिकारों को मजबूत करेगा, बल्कि रोजगार और औद्योगिक उत्पादन में स्थिरता भी लाएगा। इसके तहत वेतन संरचना से लेकर कामकाजी माहौल, सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और छुट्टियों के नियमों तक कई महत्वपूर्ण प्रावधानों में बदलाव किया गया है, जो कर्मचारियों और कंपनियों दोनों पर गहरा प्रभाव डालेंगे।

मुख्य खुलासा और घटनाक्रम

सबसे बड़ा बदलाव ‘कोड ऑन वेजेज’ (Code On Wedges) के तहत लागू किए गए उस नियम का है, जिसमें कर्मचारियों की कुल कमाई का कम से कम 50% हिस्सा अब बेसिक सैलरी माना जाएगा। इस बदलाव से प्रोविडेंट फंड (PF) और ग्रेच्युटी (Gratuity) की गणना सीधे बढ़े हुए बेसिक पर होगी, जिससे रिटायरमेंट लाभों में स्वाभाविक बढ़ोतरी सुनिश्चित होगी। पहले कंपनियां बेसिक सैलरी कम रखकर अन्य भत्तों जैसे HRA, स्पेशल अलाउंस, कन्वेयंस का हिस्सा बढ़ा देती थीं, जिससे PF और ग्रेच्युटी का योगदान कम रहता था। लेकिन नया नियम इस प्रैक्टिस को समाप्त करेगा। इसके साथ ही सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगले 45 दिनों के भीतर इन संहिताओं के नियम जारी किए जाएंगे, जिसके बाद सभी निजी व सरकारी कंपनियों को अपने सैलरी स्ट्रक्चर में आवश्यक बदलाव करने होंगे। हालांकि इससे कर्मचारियों की Take-home Salary कुछ घट सकती है, लेकिन रिटायरमेंट फंड में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

जांच, बयान या प्रतिक्रियाएं

नए लेबर कोड्स को लेकर उद्योग विशेषज्ञों और श्रमिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं अलग-अलग दिख रही हैं। इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुचिता दत्ता (Suchita Dutta) का कहना है कि ‘वेजेज’ की नई परिभाषा से PF और ग्रेच्युटी अधिक पारदर्शी और लाभकारी होंगे, लेकिन कंपनियां यदि खर्च नियंत्रण के लिए अलाउंस में कटौती करती हैं, तो कर्मचारियों की Take-home Salary पर प्रभाव पड़ सकता है। नांगिया ग्रुप की पार्टनर अंजलि मल्होत्रा (Anjali Malhotra) ने कहा कि नए प्रावधानों में बेसिक पे, डियरनेस अलाउंस (DA) और रिटेनिंग अलाउंस (RA) को ‘वेजेज’ में शामिल करना एकरूपता लाएगा, जिससे सामाजिक सुरक्षा लाभों की गणना आसान होगी। दूसरी ओर कुछ कर्मचारी संगठनों ने आशंका जताई है कि नई व्यवस्था से कंपनियों पर वित्तीय दबाव बढ़ेगा, जिससे शुरुआती चरण में लागत प्रबंधन को लेकर चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं।

वर्तमान स्थिति और आगे की कार्रवाई

सरकार द्वारा 21 नवंबर 2025 से नए लेबर कोड लागू किए जाने के बाद अब अगला चरण इनकी विस्तृत नियमावली जारी करने का है, जिसके लिए 45 दिनों की समयसीमा तय की गई है। कंपनियों और उद्योग संगठनों को इस अवधि के भीतर नए प्रावधानों का अध्ययन कर अपने वेतन ढांचे को अद्यतन करना होगा। खासकर IT, रिटेल, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में इसका व्यापक प्रभाव दिखने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि शुरुआती महीनों में कर्मचारियों की Take-home Salary में हल्की गिरावट दिख सकती है, लेकिन लंबे समय में PF, ग्रेच्युटी, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा कवरेज में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। सरकार का कहना है कि इन संहिताओं को लागू कर भारत एक आधुनिक और वैश्विक मानकों वाला श्रम ढांचा अपनाएगा, जिससे उद्योगों में पारदर्शिता और श्रमिक कल्याण—दोनों को मजबूत आधार मिल सकेगा।

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