- बुखार में सूई लगवाकर केमिकल फैक्ट्री में ठेकेदार करवा रहा था काम
- सभी मोबाईल कर लिये थे जब्त
- एक मोबाईल के सहारे बाल मजदूरों ने घरों में भेजवाई संदेश
कसमार प्रखंड के 13 मजदूर जो आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में फंसे हुए थे, उसकी सकूशल घर वापसी हो गई। मंगलवार को सभी मजदूरों की आने की खुशी में स्वजनों ने जश्न मनाते हुए सूबे के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री योगेंद्र प्रसाद महतो के प्रति आभार व्यक्त किया है। मंत्री के प्रयास से सभी मजदूर अपने घर 48 घंटे के अंदर लौट सके हैं। इस दौरान मंत्री ने सभी मजदूरों को रांची से कसमार प्रखंड के सिल्लीसाडम गांव तक विशेष बस की व्यवस्था करके सुरक्षित उनके घर तक पहुंचा दिया।
स्कूली बच्चों को प्रलोभन देकर विशाखापट्टनम ले गया था दलाल

आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में बंधक बने 13 मजदूरों में से पांच-छह मजदूर स्कूली बच्चे हैं, जो दांतु स्थित प्लस टू उच्च विद्यालय दांतू के नौवीं व दशवी के छात्र हैं। इन सभी बच्चों को विहार के ठेकेदार धर्मेंद्र कुमार विशाखापट्टनम में पैसा व नौकरी का प्रलोभन देकर सभी आदिवासी बच्चों को केमिकल फैक्ट्री में काम के लिए ले गया था। सबसे पहले ठेकेदार धर्मेंद्र ने गांव के 17 वर्षीय अजीत टूडू को अपने जाल में फंसाकर काम करवाने के लिए विशाखापट्टनम ले गया। उसके बाद अजीत टूडू के माध्यम से गांव के अन्य नाबालिग बच्चों को नौकरी का प्रलोभन देकर विशाखापट्टनम बुलाने की बात कही गई। इसके बाद प्लस टू उच्च विद्यालय दांतु में कक्षा नौवीं में पढ़ने वाला छात्र सुनील मरांडी जिसकी उम्र 16 वर्ष,संदीप सोरेन, उम्र 17 वर्ष, राजेन्द्र कुमार हेंब्रम, प्रेमचंद मांझी सभी छात्रों को विशाखापट्टनम में एक पाउडर कंपनी में पैकिंग कराने का काम करवाने के नियत से ले गया। इसके बाद सभी बाल मजदूरों को केमिकल फैक्ट्री में जबरजस्ती काम करवाया जाने लगा।
बाल मजदूर प्रेमचंद मांझी व राजेंद्र प्रसाद हेंब्रम ने अपनी व्यथा स्वजनों को सुनाते हुए बताया कि कंपनी के ठेकेदार जिस काम के लिए ले गया था वह काम ना करवाकर निकनम केमीकल प्राईवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा सभी मजदूरों को जबरन बंधक बनाकर प्रताड़ित किया जा रहा था। वहीं सभी मजदूरों के मोबाईल को भी कंपनी द्वारा जब्त कर लिया गया था। तबीयत खराब होने पर जबरजस्ती सूई लगवाकर केमिकल फैक्ट्री में काम करवाया जा रहा था। जिसके चलते हम सभी को पूरे शरीर में संक्रमण हो गया था। किसी तरह एक मोबाईल को छुपाकर जब पूरी घटना की जानकारी स्वजनों को दी तो आज हमारी जान बची। मालूम हो कि पांच सितंबर को प्रखंड के सोनपुरा पंचायत के सिल्लीसाडम गांव से कुल 13 मजदूरों को काम के बदले अच्छी मजदूरी का प्रलोभन देकर विशाखापट्टनम ले जाया गया था।