Woman Becomes Victim Of in laws Atrocities : ससुराल वालों के जुल्म का शिकार बनी महिला, बहन से छेड़छाड़, पुलिस से लगाई न्याय की गुहार?

Woman Becomes Victim Of in laws Atrocities : ससुराल वालों ने महिला को किया प्रताड़ित, पुलिस ने दिया आश्वासन,मिशन शक्ति पर उठे सवाल?

Woman Becomes Victim Of in laws Atrocities : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के कोतवाली नगर क्षेत्र के मटिहा इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना ने महिलाओं की सुरक्षा और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक विवाहित महिला ने अपने पति समेत ससुराल वालों पर न केवल मारपीट का आरोप लगाया है, बल्कि अपनी बहन के साथ छेड़छाड़ और अमानवीय व्यवहार का भी खुलासा किया है। घटना के बाद पीड़िता ने जिला अस्पताल में भर्ती रहते हुए डायल 112 पर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर आज कोतवाली नगर पहुंचकर फिर से न्याय की गुहार लगाई। हालांकि, पुलिस ने केवल आश्वासन देकर महिला को लौटा दिया, जिससे पीड़िता और उसके परिजनों में आक्रोश फैल गया है।

घटना की पूरी कथा: ससुराल में जुल्म की हदें पार

पीड़ित महिला (नाम गोपनीय रखा गया है) ने बताया कि कुछ दिनों पहले मटिहा क्षेत्र के अपने ससुराल में एक पारिवारिक विवाद के दौरान उसके पति और अन्य ससुराली जनों ने उसके साथ जमकर मारपीट की। यह मारपीट इतनी बेरहमी से की गई कि महिला को गंभीर चोटें आईं और उसे तुरंत जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। महिला के अनुसार, विवाद के बीच बचाव के लिए उसकी बहन भी ससुराल पहुंची थी, लेकिन ससुराली जनों ने बहन के साथ भी कोई कसर न छोड़ी। आरोप है कि ससुराल वालों ने महिला की बहन को न केवल पीटा, बल्कि उसके साथ छेड़छाड़ की, उसके अंगों को पकड़कर कमरे में घसीटा और अत्यंत गलत व्यवहार किया।

“मेरी बहन सिर्फ मेरी मदद करने आई थी, लेकिन वे लोग इतने क्रूर हो गए कि उन्होंने उसके साथ बलात्कार जैसा व्यवहार किया। उसे घसीटते हुए कमरे में ले जाकर बुरी तरह पीटा और छेड़छाड़ की कोशिश की। हम दोनों की चीखें सुनकर पड़ोसी भी डर गए,” पीड़िता ने आंसू भरी आंखों से बताया। यह घटना इतनी भयावह थी कि पीड़िता और उसकी बहन दोनों को चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता पड़ी।

अस्पताल में धमकी: डायल 112 पर शिकायत, फिर भी उदासीनता

मारपीट की घटना के बाद पीड़िता को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां इलाज के दौरान ससुराल वाले फिर से हावी हो गए। पीड़िता ने आरोप लगाया कि अस्पताल पहुंचे ससुराल वालों ने उसे और उसके परिजनों को बुरी तरह डराया-धमकाया। “वे अस्पताल के कमरे में घुस आए और जान से मारने की धमकी देने लगे। कहने लगे कि अगर हमने कुछ कहा तो हमें और हमारे परिवार को खत्म कर देंगे,” पीड़िता ने कहा। डर के मारे पीड़िता ने तुरंत डायल 112 पर कॉल किया और पूरी घटना की शिकायत दर्ज कराई।

हालांकि, डायल 112 की टीम ने मौके पर पहुंचकर ससुराल वालों को चेतावनी तो दी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। “पुलिस ने कहा कि मामला सुलझा लो, लेकिन सुलझाने का मतलब क्या है? वे तो हमें मार ही डालेंगे,” पीड़िता के परिजनों ने नाराजगी जताई। निराश होकर पीड़िता ने आज दोबारा कोतवाली नगर थाने का रुख किया। वहां तहरीर सौंपकर छेड़छाड़, मारपीट और धमकी के आरोप में मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई। लेकिन थाने पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने केवल आश्वासन देकर पीड़िता को वापस भेज दिया। कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई, न ही आरोपी ससुराल वालों को हिरासत में लिया गया।

मिशन शक्ति का ढोंग? पुलिस की लापरवाही से सवालों का सिलसिला

यह घटना तब और भी शर्मनाक लगती है जब उत्तर प्रदेश सरकार ‘मिशन शक्ति’ अभियान चला रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना, उनके उत्पीड़न के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना और लिंग आधारित हिंसा को रोकना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा प्रचारित इस योजना के तहत महिलाओं के लिए हेल्पलाइन, जागरूकता कैंप और सख्त कानूनी प्रावधानों का वादा किया गया है। लेकिन रायबरेली की यह घटना सरकारी दावों को खोखला साबित कर रही है।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिला संगठनों ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। “मिशन शक्ति का मतलब सिर्फ पोस्टर लगाना नहीं है। जब एक घायल महिला अस्पताल से शिकायत करती है और पुलिस उदासीन रहती है, तो यह अभियान कैसे सफल होगा? कोतवाली पुलिस की यह कार्यशैली न केवल पीड़िता के लिए अन्याय है, बल्कि पूरे समाज के लिए खतरे की घंटी है,” एक महिला कार्यकर्ता ने कहा। पीड़िता के परिजनों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे उच्च अधिकारियों से लेकर मीडिया तक इस मामले को उजागर करेंगे।

कानूनी पहलू: आईपीसी की धाराओं के तहत हो सकती है कार्रवाई

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323 (मारपीट), 354 (महिला के साथ छेड़छाड़), 506 (आपराधिक धमकी) और पॉस्को एक्ट या घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता है। साथ ही, मिशन शक्ति के तहत विशेष महिला हेल्पलाइन को सक्रिय किया जाना चाहिए। लेकिन पुलिस की सुस्ती से पीड़िता को न्याय मिलना मुश्किल लग रहा है।

जिला प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार

जिला प्रशासन और एसएसपी रायबरेली के कार्यालय से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। पीड़िता के वकील ने बताया कि अगर 24 घंटे के अंदर एफआईआर नहीं दर्ज हुई तो वे कोर्ट का रुख करेंगे। यह घटना रायबरेली जिले में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा की पृष्ठभूमि में और भी चिंताजनक है। पिछले कुछ महीनों में जिले में ससुराल संबंधी विवादों के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन कार्रवाई की कमी से अपराधी बेखौफ हो रहे हैं।

पीड़िता ने अंत में कहा, “मैं सिर्फ न्याय चाहती हूं। मेरी और मेरी बहन की इज्जत बचाओ, वरना हम कहां जाएं?” यह सवाल न केवल रायबरेली पुलिस, बल्कि पूरे सिस्टम के सामने खड़ा हो गया है। उम्मीद है कि इस घटना से जागरूक होकर प्रशासन त्वरित कार्रवाई करेगा, ताकि मिशन शक्ति का सपना हकीकत बने।

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