Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Elections 2025) का बिगुल बज चुका है और अब सियासी पारे में तेजी आ गई है। लंबे इंतज़ार के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आखिरकार अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में अनुभवी चेहरों और सशक्त नेताओं को जगह दी गई है, जो पार्टी की रणनीति को और दिलचस्प बनाती है। सबसे अहम फैसला तारापुर (Tarapur) सीट के लिए लिया गया है, जिसे राजनीतिक गलियारों में एक बड़ा दांव माना जा रहा है। इस लिस्ट ने कई पुराने समीकरण भी बदल दिए हैं और नए संकेत दिए हैं कि बीजेपी अब हर सीट पर पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है। आइए जानते हैं पूरी खबर क्या है।
पहली सूची से शुरू हुआ चुनावी संग्राम/Bihar Assembly Elections 2025
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Elections 2025) के लिए बीजेपी ने अपनी पहली और बहुप्रतीक्षित सूची जारी कर दी है। इस सूची में कुल 71 नाम शामिल किए गए हैं, जो पार्टी की रणनीतिक सोच और आगामी चुनाव की दिशा को स्पष्ट करते हैं। पहली सूची में शामिल नेताओं में कई दिग्गज चेहरे हैं, जिन पर पार्टी ने दोबारा भरोसा जताया है। वहीं, कुछ ऐसे नाम भी हैं जिन्हें पहली बार मौका मिला है। यह सूची जारी होते ही राज्य की सियासत में हलचल मच गई है। राजनीतिक विश्लेषक इसे बीजेपी की शुरुआती चाल मान रहे हैं, जिसके जरिए पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों में जोश भरने की कोशिश की है।

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर भरोसा, तारापुर से उम्मीदवार
बीजेपी की इस सूची में सबसे चर्चित नाम उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) का है। पार्टी ने उन्हें तारापुर विधानसभा (Tarapur Vidhansabha) सीट से मैदान में उतारा है। यह सीट उनके पैतृक क्षेत्र से जुड़ी मानी जाती है और यहाँ से उन्हें चुनाव लड़ाने का फैसला पार्टी का एक बड़ा राजनीतिक दांव समझा जा रहा है। सम्राट चौधरी इस समय राज्य की राजनीति के केंद्र में हैं और पार्टी ने उनके नेतृत्व कौशल पर विश्वास जताया है। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला संगठन को मजबूत करने और पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी और वरिष्ठ नेताओं को मिला टिकट
बीजेपी ने अपनी पहली सूची में कई वरिष्ठ और कद्दावर नेताओं को भी दोबारा मौका दिया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी को बेतिया विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। इसके साथ ही मंत्री नितिन नबीन को पटना की बांकीपुर सीट से और मंगल पांडेय को सिवान से टिकट दिया गया है। पार्टी ने यह सुनिश्चित किया है कि अनुभवी नेताओं को फिर से मैदान में उतारा जाए ताकि संगठनात्मक मजबूती के साथ-साथ जनता में भरोसा कायम रहे। संजय सरावगी (Sanjay Sarawagi) को दरभंगा से और नीरज कुमार बबलू (Neeraj Kumar Bablu) को छातापुर से प्रत्याशी बनाकर बीजेपी ने यह संदेश दिया है कि अनुभव और जनाधार दोनों को समान महत्व दिया जाएगा।
रामकृपाल यादव को मिला विधानसभा में मौका
इस सूची में एक और बड़ा नाम है केंद्रीय राजनीति में सक्रिय रहे रामकृपाल यादव (Ram Kripal Yadav) का। बीजेपी ने उन्हें दानापुर विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। यह कदम पार्टी की रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है, क्योंकि रामकृपाल यादव ओबीसी वर्ग के मजबूत नेता हैं और उनका प्रभाव राजधानी पटना समेत कई जिलों में है। उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारना यह संकेत देता है कि बीजेपी राज्य में सामाजिक समीकरणों को नए सिरे से साधने की कोशिश में है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस फैसले से बीजेपी ओबीसी मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है।
नई रणनीति, नए समीकरण– जीत पर नजर
बीजेपी की पहली सूची ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी इस बार किसी भी तरह का बड़ा जोखिम नहीं लेना चाहती। ज्यादातर उम्मीदवारों को दोबारा मौका देकर बीजेपी ने स्थिरता और भरोसे का संदेश दिया है। वहीं, कुछ पुराने चेहरों को बदलकर पार्टी ने यह भी दिखाया है कि प्रदर्शन के आधार पर टिकट तय होंगे। चुनावी समीकरणों को देखते हुए, पार्टी की यह लिस्ट संगठनात्मक मजबूती और जातीय संतुलन दोनों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह सूची आने वाले दिनों में बिहार के सियासी माहौल को और गरमाने वाली है, क्योंकि अब दूसरे दलों पर भी अपनी रणनीति साफ करने का दबाव बढ़ गया है।