Indian Economy Stays Strong: भारत की उड़ान थमने वाली नहीं: S&P ने बढ़ाई रेटिंग, कहा—ट्रेड वॉर भी नहीं रोक सकता देश की रफ्तार

Indian Economy Stays Strong: वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत की मजबूत चाल, S&P ग्लोबल ने दी सॉवरेन रेटिंग में अपग्रेड

Indian Economy Stays Strong: ट्रेड वॉर (Trade War) , बढ़ते टैरिफ (High Tariff) और वैश्विक मंदी (Global Recession) की आशंकाओं के बीच जब दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं धीमी पड़ रही हैं, भारत उसी वक्त अपनी रफ्तार और मजबूती से सबको चौंका रहा है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल ने 18 साल बाद भारत की सॉवरेन रेटिंग ‘BBB’ पर अपग्रेड की है, और इसके प्रेसिडेंट यान ले पैलेक का कहना है कि “भारत की ग्रोथ को कोई नहीं रोक सकता।” यह बयान न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था की वैश्विक स्वीकार्यता को दर्शाता है, बल्कि निवेशकों के बढ़ते भरोसे का भी संकेत है। आखिर कौन-से कारण हैं जिनसे भारत दुनिया की आर्थिक अस्थिरता के बीच भी मजबूती से टिके रहने में कामयाब है?

S&P ने दी भारत को मजबूत साख—18 साल बाद रेटिंग अपग्रेड/Indian Economy Stays Strong

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को 18 साल बाद ‘BBB’ पर अपग्रेड कर दिया है। यह अपग्रेड ऐसे समय में हुआ है जब विश्व अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बनी हुई है। एजेंसी के प्रेसिडेंट यान ले पैलेक ने अपने भारत (Bharat) दौरे के दौरान कहा कि भारत अब विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में “स्थिर और तेज़ गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था” के रूप में स्थापित हो चुका है। उन्होंने बताया कि भारत की नीति-निर्माण प्रक्रिया, वित्तीय अनुशासन और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की दिशा में हो रहे सुधारों ने इस अपग्रेड में बड़ी भूमिका निभाई है। यह कदम भारत में विदेशी निवेशकों के भरोसे को और मजबूत करेगा तथा आने वाले वर्षों में निवेश प्रवाह को बढ़ावा देगा।

भारत की ग्रोथ बनी वैश्विक सुस्ती में भी मिसाल

S&P ग्लोबल के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2025 में 6.5% रहने की संभावना है, जो आने वाले दो वर्षों में 7% के करीब पहुंच सकती है। इस दर से भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। यान ले पैलेक का मानना है कि भारत की यह वृद्धि सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं है। इसके पीछे स्थिर नीतियां, बुनियादी ढांचे में निवेश और मजबूत घरेलू मांग जैसे ठोस कारण हैं। भारत का युवा जनसंख्या वर्ग और तेजी से बढ़ता उपभोक्ता बाजार इसकी दीर्घकालिक ग्रोथ को और गति देगा। वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बीच भारत की यह मजबूती दर्शाती है कि देश ने खुद को बाहरी दबावों से अलग रखते हुए टिकाऊ विकास का रास्ता चुन लिया है।

ट्रेड वॉर और टैरिफ के बीच भारत कैसे बना स्थिर अर्थव्यवस्था का उदाहरण

जब अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर, जियोपॉलिटिकल टेंशन (Geopolitical Tension) और वैश्विक टैरिफ नीतियों से दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हैं, भारत इस समय अपेक्षाकृत सुरक्षित और संतुलित अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। S&P के प्रेसिडेंट ने बताया कि भारत का अमेरिका को निर्यात जीडीपी का केवल 2% है, जो दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था बाहरी निर्भरता से कम प्रभावित होती है।देश का व्यापक घरेलू उपभोग बाजार और मजबूत आंतरिक मांग संरचना इसे वैश्विक झटकों से बचाती है। इस वजह से जब अन्य देशों में मंदी या वित्तीय अस्थिरता का खतरा मंडराता है, भारत की ग्रोथ ट्रैक पर बनी रहती है— जो विदेशी निवेशकों के लिए इसे और आकर्षक बनाती है।

निवेशकों की पहली पसंद क्यों बन रहा है भारत

भारत आज वैश्विक निवेशकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन चुका है। बड़े फंड मैनेजर और कॉर्पोरेट निवेशक भारत को एक स्थिर, सुरक्षित और लाभकारी बाजार के रूप में देख रहे हैं। S&P के प्रेसिडेंट के अनुसार, भारत में लंबी अवधि के निवेश से बेहतरीन रिटर्न की संभावना है। देश के टेक्नोलॉजी, ऊर्जा, मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार की नीतिगत स्पष्टता, टैक्स सुधार और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधारों ने निवेश माहौल को स्थिर बनाया है। बुनियादी ढांचे में लगातार हो रहे निवेश और बढ़ते डिजिटल नेटवर्क भारत को न सिर्फ एशिया में, बल्कि विश्व स्तर पर भी आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित कर रहे हैं।

AI और फाइनेंशियल सेक्टर में भारत की नई छलांग

यान ले पैलेक ने इस बातचीत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में AI का उपयोग क्रेडिट रेटिंग, जोखिम विश्लेषण, ग्राहक सेवा और निवेश सलाह जैसे क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर भारत ने इस टेक्नोलॉजी को सही दिशा में अपनाया, तो यह न केवल फाइनेंशियल इनक्लूजन को मजबूत करेगा बल्कि भारत को वैश्विक फिनटेक लीडर बना सकता है। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी रेट कट्स का भारत पर सीमित असर होगा, और अगर RBI वर्ष के अंत तक 0.25% रेपो रेट घटाता है, तो इससे मांग को नई ऊर्जा मिलेगी। कुल मिलाकर, भारत की अर्थव्यवस्था अब न सिर्फ मजबूत है, बल्कि स्मार्ट और भविष्य-उन्मुख विकास की राह पर बढ़ रही है।

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