India Export Boom Shocks China: भारत ने बदला एक्सपोर्ट का चेहरा: इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में 42% उछाल से चीन की बढ़ी चिंता

India Export Boom Shocks China: टेक्नोलॉजी बना भारत का नया हथियार! इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट में ऐतिहासिक छलांग

India Export Boom Shocks China: भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) अब पुराने ढर्रे से आगे निकल चुकी है। जहां कभी पेट्रोलियम और इंजीनियरिंग उत्पाद निर्यात की रीढ़ माने जाते थे, वहीं अब इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर (Electronics Sector) भारत की नई ताकत बनकर उभर रहा है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में इस सेक्टर का निर्यात 42% बढ़कर 22.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह छलांग न केवल भारत की नीतिगत सफलता का संकेत है बल्कि चीन की वैश्विक पकड़ के लिए भी चुनौती बनती जा रही है। आखिर कौन-सी रणनीति ने भारत को यह बढ़त दिलाई और कैसे यह सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था की दिशा बदल रहा है, आइए जानते हैं…

भारत का बदलता एक्सपोर्ट डीएनए/India Export Boom Shocks China

भारत (Bharat) के निर्यात ढांचे में यह परिवर्तन अचानक नहीं आया। कुछ ही वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स भारत की दूसरी सबसे बड़ी एक्सपोर्ट कैटेगरी बन सकती है। यह इस बात का संकेत है कि देश अब संसाधन आधारित नहीं, बल्कि वैल्यू एडिशन और तकनीक आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी जड़ें 2020 की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना में हैं। कोविड महामारी के समय जब दुनिया चीन पर निर्भर थी, भारत ने इस निर्भरता को तोड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी। PLI योजना के तहत मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माताओं को 4% से 6% तक का उत्पादन आधारित प्रोत्साहन मिला, जिससे Apple और Samsung जैसी कंपनियों ने भारत को नया उत्पादन केंद्र बनाया। यही योजना अब भारत की आर्थिक कहानी को नई ऊंचाई दे रही है।

Apple और Foxconn ने बदली तस्वीर

भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स चमत्कार में Apple और उसके साझेदारों की भूमिका सबसे अहम रही है। वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में भारत से 10 अरब डॉलर के iPhones का निर्यात हुआ, जो देश के कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात का लगभग 45% हिस्सा है। Apple अब भारत को चीन के बाद अपना दूसरा सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बना चुका है। Foxconn, Pegatron और Wistron जैसी कंपनियों ने भारत में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। Foxconn ने तमिलनाडु (Tamil Nadu) में 15,000 करोड़ रुपये और कर्नाटक में 22,000 करोड़ रुपये के प्लांट स्थापित किए हैं। इन परियोजनाओं से हजारों रोजगार और उच्च तकनीकी विशेषज्ञता का विकास हुआ है। यही “चाइना-1 मॉडल” की सबसे बड़ी सफलता है—जहां दुनिया अब चीन के विकल्प के रूप में भारत को देख रही है।

भारत की नीतियां बनीं गेम-चेंजर

भारत सरकार की नीतिगत स्थिरता ने इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को नई दिशा दी है। 2014-15 में जहां भारत का कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 1.9 लाख करोड़ रुपये था, वहीं 2024-25 तक यह 11.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। निर्यात भी इसी अवधि में आठ गुना बढ़कर 38,000 करोड़ से 3.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा। सिर्फ मोबाइल फोन निर्यात में ही 127 गुना वृद्धि हुई। 1.97 लाख करोड़ रुपये की PLI स्कीम ने Apple, Samsung और Dixon Technologies जैसी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित किया। साथ ही Electronics Component Manufacturing Scheme (ECMS) के तहत 1.15 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। यह सब भारत को केवल असेंबली हब नहीं, बल्कि एक पूर्ण उत्पादन इकोसिस्टम में बदलने की दिशा में ले जा रहा है।

चीन से मुकाबले की नई रेस

भारत अब चीन के लिए सबसे गंभीर प्रतिस्पर्धी बन चुका है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में जहां चीन राजनीतिक दबाव और कूटनीतिक चुनौतियों से जूझ रहा है, वहीं भारत स्थिर और भरोसेमंद साझेदार के रूप में उभर रहा है। PIB के ताजा आंकड़ों के अनुसार, FY26 की दूसरी तिमाही में भारत चीन को पीछे छोड़कर अमेरिका का सबसे बड़ा स्मार्टफोन आपूर्तिकर्ता बन गया है। 2014 में जो देश अपनी 78% मोबाइल मांग आयात से पूरी करता था, आज वही देश वैश्विक बाजार को आपूर्ति दे रहा है। यह बदलाव केवल आंकड़ों का नहीं, बल्कि भारत की नई औद्योगिक आत्मनिर्भरता का प्रमाण है। इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर सेमीकंडक्टर और मेडिकल डिवाइस तक, भारत अब “मेड इन इंडिया” से आगे बढ़कर “मेड फॉर वर्ल्ड” का नारा बुलंद कर रहा है।

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