Ayodhya Ram Mandir Historic Dhwajarohan: अयोध्या (Ayodhya) आज एक बार फिर इतिहास का साक्षी बना, जब श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा विधि-विधान के साथ फहराई गई। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुए इस पवित्र ध्वजारोहण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने हाथ जोड़कर भगवान श्रीराम को नमन किया और इस क्षण को भारत की सांस्कृतिक चेतना का जागरण बताया। रामनगरी में सुबह से ही उत्सव जैसा माहौल था, हजारों श्रद्धालु, साधु-संत और सांस्कृतिक झांकियां शहर की हर सड़क पर रौनक बढ़ा रही थीं। ध्वजा की विशेषताओं से लेकर पीएम मोदी के संबोधन तक, पूरा कार्यक्रम आध्यात्मिक भव्यता और राष्ट्रीय गौरव से सराबोर रहा।
रामनगरी में उमड़ा आस्था का सैलाब/Ayodhya Ram Mandir Historic Dhwajarohan
अयोध्या (Ayodhya) में मंगलवार सुबह जैसे ही अभिजीत मुहूर्त का समय आरंभ हुआ, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का माहौल आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा। शहर की हर गलियों से ‘जय श्रीराम’ के उद्घोष सुनाई दे रहे थे। भक्तों की उत्सुकता देखते ही बन रही थी। हजारों श्रद्धालु सुबह से मंदिर परिसर में जुटे थे, जहां सात सांस्कृतिक मंचों पर लोक कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य, गायन और रामकथा के विभिन्न प्रसंगों को जीवंत किया। सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व रही—ड्रोन्स की निगरानी, पुलिस बल की तैनाती और प्रशासन की सतर्कता ने पूरे आयोजन को पूरी तरह सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाया। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसा भव्य दृश्य उन्होंने लंबे समय बाद देखा है, जब पूरी रामनगरी दिव्य रोशनी और धार्मिक उत्साह में डूबी दिखाई दी।

राम मंदिर के शिखर पर फहराई पवित्र धर्म ध्वजा
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर (Shriram Janmabhumi Mandir) के शिखर पर फहराई गई पवित्र धर्म ध्वजा का आकार लगभग 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा है। इस ध्वज पर कोविदार वृक्ष, सूर्यवंश का प्रतीक और पवित्र ‘ॐ’ का अंकन विशेष रूप से किया गया है। इसे आधुनिक इलेक्ट्रिक सिस्टम की मदद से आरोहित किया गया, लेकिन इसकी आध्यात्मिक महत्ता पूरी तरह वैदिक परंपरा पर आधारित रही। वैदिक मंत्रोच्चार, शंखनाद और ढोल-नगाड़ों के साथ ध्वजा के शिखर तक पहुंचते ही वहां मौजूद श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं। यह ध्वज मंदिर निर्माण की पूर्णता का प्रतीक है और माना जा रहा है कि आने वाले वर्षों में यह अयोध्या की पहचान का प्रमुख हिस्सा बनेगा। कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी (PM Narendra Modi) हाथ जोड़कर भाव-विभोर होकर श्रीराम के समक्ष खड़े दिखाई दिए।
‘गुलामी की मानसिकता ने रामत्व को नकारा’
ध्वजारोहण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया और कहा कि “हमें भगवान राम से सीखना चाहिए। राम का अर्थ मर्यादा है, राम का अर्थ सर्वोच्च आदर्श है।” उन्होंने कहा कि भारत ने लंबे समय तक गुलामी की मानसिकता का बोझ सहा, जिसने समाज में ‘रामत्व’ को दबाने का प्रयास किया, लेकिन आज का दिन एक नए संस्कार का प्रतीक है। पीएम मोदी ने मंदिर परिसर में बने सप्त मंदिरों का विशेष उल्लेख किया—माता शबरी, निषादराज, माता अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य और संत तुलसीदास के मंदिरों को भारत की सांस्कृतिक विविधता और आदर्शों का दर्पण बताया। उन्होंने कहा कि जटायु और गिलहरी की मूर्तियां यह बताती हैं कि छोटे प्रयास भी बड़े संकल्प पूरे कर देते हैं।
धर्म ध्वज का संदेश और अयोध्या का बदलता स्वरूप
प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के अनुसार यह धर्म ध्वज सिर्फ एक प्रतीक नहीं बल्कि भविष्य की दिशा दिखाने वाला संदेश है- “प्राण जाए पर वचन न जाए”, और “कर्मप्रधान विश्व रचि राखा।” उन्होंने कहा कि यह ध्वज आने वाली पीढ़ियों को भेदभाव, पीड़ा और संघर्ष से मुक्त समाज का मार्ग दिखाने की प्रेरणा देगा। आयोजन के बाद अयोध्या में उत्सव का माहौल और भी गहरा हो गया। तीर्थ यात्रियों की संख्या बढ़ी, रामपथ और भक्ति पथ पर कलाकारों की प्रस्तुतियां जारी रहीं। प्रशासन ने आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए विशेष यातायात और सुरक्षा व्यवस्थाएं लागू करने की तैयारी भी शुरू कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ध्वजारोहण राम मंदिर आंदोलन और भारत की सांस्कृतिक पुनर्जागरण यात्रा की दिशा में स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज होगा।










