रायबरेली ( Raebareli ) जिले के सदर तहसील परिसर में आज एक बड़ा विरोध प्रदर्शन देखने को मिला, जहां स्थानीय अधिवक्ताओं ने उपजिलाधिकारी (SDM) सदर प्रफुल्ल कुमार शर्मा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। एसडीएम कार्यालय के सामने ‘SDM सदर मुर्दाबाद’ और ‘सदर तहसील से बर्खास्त करो’ जैसे नारे लगाते हुए वकीलों ने राजस्व मामलों में सुनवाई न करने के आरोप लगाए। विशेष रूप से अधिवक्ता राजेश यादव की जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत पर कोई कार्रवाई न होने को लेकर गुस्सा भड़का। प्रदर्शन करीब 11 बजे शुरू हुआ और दोपहर तक चला, जिसमें दर्जनों वकील शामिल हुए। वकीलों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने की चेतावनी दी है, यदि उनकी मांगें पूरी न हुईं तो आंदोलन और तेज होगा।
घटना का विस्तार: कैसे भड़का विवाद?

सदर तहसील के एसडीएम कार्यालय के ठीक सामने इकट्ठा हुए अधिवक्ताओं ने शुरुआत में शांतिपूर्ण ढंग से अपना गुस्सा जाहिर किया, लेकिन जल्द ही नारे और बैनर-पोस्टर के साथ प्रदर्शन उग्र हो गया। वकीलों का मुख्य आरोप यह है कि SDM प्रफुल्ल शर्मा राजस्व संबंधी मामलों, खासकर भूमि विवादों में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही हैं। अधिवक्ता राजेश यादव ने बताया कि उनकी निजी जमीन पर कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा कब्जा कर लिया गया है, लेकिन SDM कार्यालय में दर्ज शिकायत पर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। यादव ने कहा, “हमने कई बार आवेदन दिए, लेकिन फाइलें धूल खा रही हैं। SDM साहब न तो समय पर कार्यालय पहुंचती हैं और न ही फोन रिसीव करती हैं। यह प्रशासनिक लापरवाही है, जो आम जनता और वकीलों के हितों को नुकसान पहुंचा रही है।”
प्रदर्शन की अगुवाई सदर तहसील बार एसोसिएशन के सदस्यों ने की। एसोसिएशन के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह समस्या लंबे समय से चली आ रही है। “राजस्व मामलों में देरी से न केवल वकीलों का विश्वास डगमगा रहा है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि माफिया भी सक्रिय हो रहे हैं। SDM को तत्काल बर्खास्त किया जाए, अन्यथा हम न्यायालय के कामकाज को प्रभावित करेंगे।” प्रदर्शन के दौरान वकीलों ने सदर तहसील के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी नाराजगी जताई, आरोप लगाया कि वे SDM के दबाव में काम कर रहे हैं।
वकीलों के बयान: क्या कहा प्रदर्शनकारियों ने?
प्रदर्शन के दौरान कई अधिवक्ताओं ने मीडिया से बातचीत में अपनी पीड़ा बयां की। अधिवक्ता राजेश यादव ने कहा, “मेरी जमीन पर कब्जा हो गया है, लेकिन SDM साहब की अनदेखी से न्याय मिलना मुश्किल हो गया है। हम वकील हैं, लेकिन यहां तो हमारी ही आवाज दबाई जा रही है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो हम उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।” एक अन्य वकील, जिन्होंने अपनी पहचान गोपनीय रखी, ने आरोप लगाया, “SDM कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर है। मुकदमों की सुनवाई के बाद भी फैसले लंबित रखे जाते हैं, जिससे प्रभावित पक्ष पैसे देकर काम करवाते हैं। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है।”
सदर तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्ष (काल्पनिक नाम: राकेश चंद्र उपाध्याय) ने कहा, “हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक SDM पर कार्रवाई न हो। राजेश यादव का मामला तो सिर्फ एक उदाहरण है; दर्जनों शिकायतें इसी तरह लटकी हुई हैं। हम जिलाधिकारी से मिलकर ज्ञापन देंगे और यदि जरूरी हुआ तो धरना देंगे।” वकीलों ने चेतावनी दी कि यदि 48 घंटे के अंदर राजेश यादव की जमीन पर कब्जा हटाने की प्रक्रिया शुरू न हुई, तो तहसील स्तर पर कार्य बहिष्कार किया जाएगा।
पृष्ठभूमि: SDM प्रफुल्ल शर्मा की नियुक्ति और पिछले विवाद
प्रफुल्ल कुमार शर्मा को सितंबर 2024 में सदर तहसील का SDM नियुक्त किया गया था। जिलाधिकारी हर्षिता माथुर द्वारा किए गए प्रशासनिक फेरबदल में उनका नाम प्रमुखता से आया था। हालांकि, नियुक्ति के बाद से ही राजस्व मामलों में देरी और पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में सदर तहसील में भूमि विवादों की संख्या बढ़ी है, और वकील समुदाय का कहना है कि SDM की लापरवाही से ये मामले और जटिल हो गए हैं। जिला प्रशासन ने अभी तक इस प्रदर्शन पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, डीएम कार्यालय ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
प्रभाव और आगे की संभावनाएं
आज के प्रदर्शन से सदर तहसील परिसर में कामकाज प्रभावित रहा। कई ग्रामीणों को अपनी शिकायतें दर्ज कराने में देरी हुई। वकील समुदाय का यह आंदोलन रायबरेली के प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़े कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द समाधान न निकला, तो यह मामला उच्च स्तर तक पहुंच सकता है। फिलहाल, वकीलों ने शांतिपूर्ण विरोध का आश्वासन दिया है, लेकिन उनकी मांगें पूरी न होने पर तनाव बढ़ सकता है।
रायबरेली जिला प्रशासन से संपर्क करने पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं मिली, लेकिन अधिकारी स्तर पर चर्चा चल रही है। यह घटना उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी समान मुद्दों को उजागर कर रही है, जहां राजस्व अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लगते रहते हैं। आगे की अपडेट के लिए बने रहें।










