Delhi Vidhan Sabha Chunav : अन्ना हजारे के बयान से दिल्ली विभानसभा चुनाव का पारा हाई

Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025 : दिल्‍ली के विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं. उतना ही राजनीतिक गलियारों का पारा होता हुआ नजर आ रहा है दिल्ली विभानसभा चुनाव में अब कुछ द‍िनो की बात रह गई हैं. राष्ट्रीय राजधानी में 5 फरवरी को वोटिंग होनि हैं.फिर फैसले का काऊन डाउन 8 फरवरी को खत्म होना है. पर इससे पहले ही दिल्ली की कड़कती ये ठंड दिल्ली की आम जनता को महसूस ही नहीं हो पा रही है क्यों कि राजनीति की गर्म जोशी इतनी अधिक है. दिल्ली की आम जनता को रोज नए वादे हो या तरह-तरह की बयान बजी हो इन सब की तो आदत हो गई है. अब इस कड़ी में सामाजिक कार्यकर्ता और भ्रष्‍टाचार के विरुद्ध आंदोलन करने वाले अन्ना हजारे ने भी बड़ा बयान दे कर इस कड़ी में अपना नाम भी जोड़ लिया है.उन्होंने दिल्ली के भोले–भाले मतदाताओं से आग्रह किया कि वे स्वच्छ विचारों और अच्छे चरित्र वाले लोगों को ही वोट दे. जो देश के लिए बलिदान दे सकें और अपमान को सह सकें.

क्या कुछ कहा अन्ना जी ने

अन्ना हजारे ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए, दिल्ली की आम जनता आग्रह किया कि वे बेकार के लोगों को अपना बहुमूल्य वोट न दें. क्योंकि इस के कारण हमारा प्यार देश भारत नष्ट हो जाएगा. उन्होंने कहा, “दिल्ली में चुनाव होने जा रहा है. मैं मतदाताओं से स्वच्छ विचारों और चरित्र वाले लोगों को वोट देने का आग्रह करता हूं, जो सत्य के रास्ते पर चलता हो, जो त्याग कर सके और अपमान को सह सके.” उसी को अपना बहुमूल्य वोट देना :

अगर प्यारे भारत को बचाना है तो किसी को तो बलिदान देना ही होगा- अन्ना हजारे

आप को बताते चले किअन्ना हजारे ने कहा कि मतदान प्रक्रिया में ‘मैं पीता हूं और इससे दूसरों को पीने में भी सुविधा होगी’ का पहलू कभी नहीं होना चाहिए. उन्होंने ये बात जोर देकर कहा कि हम लोगों को अगर भारत को बचाना है तो किसी को तो बलिदान देना होगा. आप को बता दें कि अन्ना हजारे ने दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध आंदोलन किया था. आंदोलन के पश्चात् ही, साल 2012 में अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी की स्थापना कि थी. जो कि एक साल बाद 2013 में दिल्ली की सत्ता में आ गई . हालांकि, अन्ना हजारे जी को केजरीवाल के राजनीति में आने का फैसला नहीं स्वीकार किया था.

2013 में केजरीवाल ने की थी शुरुआत

हम आप को बताते चले कि सन् 2013 में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की अगुआई में ही. आप ने पहली बार चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया था. सिर्फ उतरे ही नहीं कांग्रेस की मदद से दिल्ली में सरकार भी बनाने में कामयाब रहे थे. आम आदमी पार्टी ने शानदार तरीके से 28 सीटें जीतकर धमाकेदार एंट्री की थी. हलकी उस साल की सबसे बड़ी बीजेपी थी. बीजेपी ने 31 सीटों को अपने नाम किया था. बात करे तो बीजेपी के हाथ सिर्फ मायूसी ही लगी थी. क्यों कि वह बहुमत से दूर रह गई थी. वहीं जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी), निर्दलीय को एक-एक सीट से ही संतुष्ट रहना पड़ा.

कांग्रेस भी नाकाम थी!

वहीं सिला दीक्षित की कांग्रेस मात्र आठ सीटों पर ही सिमट गई थी. इस संशय भरी स्थिति में आप ने कांग्रेस का दामन थामने का फैसल कर के सरकार बनाई थी, लेकिन यह सरकार महज 49 दिन ही चल पाई थी.

2015 में आप ने किया ऐतिहासिक प्रदर्शन

इसके बाद फिर 2015 के आम चुनावों में अरविंद केजरीवाल की आप ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 70 में से 67 सीटें जीत कर सभी को भौचक्का कर दिया. बीजेपी को महज तीन सीट से संतुष्टी करनी पड़ी.

बात करे तो कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई थी. इसी तरह से 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में एक बार फिर आप ने अपना दबदबा कायम रखने में सफल रही.आप पार्टी ने 62 सीटें जीतकर बीजेपी और कांग्रेस को करारी शिकस्त दे कर फिर से सत्ता अपने हाथों में रखने में कामयाब रही. बीजेपी को केवल आठ सीटों पर ही सफलता मिली, जबकि 15 सालों तक दिल्ली में राज करने वाली कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार दूसरी बार शून्य रहा।

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