रिपोर्ट : नासिफ खान
हाल ही में जिला जेल में बंद कैदी अनस के साथ हुई वर्बरता पूर्वक मारपीट का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। पुलिस कमिश्नर व कलेक्टर की जनसुनवाई में शिकायत करने के बाद मारपीट के शिकाय बने अनस के परिजन अब जिला जेल, सेन्ट्रल जेल व जेल मुख्यालय, भोपाल के बाहर धरना देंगे। उनकी माँग है कि इस मामले की सम्पूर्ण जाँच कर उन्हें न्याय दिया जाये।
कैदी अनस के साथ गत दिनों जिला जेल में इतनी बर्बरता से मारपीट की गई कि उसे ईलाज के लिये एम. वाय. अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। उसके साथ डिप्टी जेलर मनोज जैसवाल, बड़ा राहुल तथा उषा बघेल ने क्रूरता के साथ मारपीट कर उसके हाथ-पैर व गुप्तांग पर चोटे पहुंचाई। इतना सब कुछ होने के बाद भी जिला जेलके सुस्त कार्यकारी जेल अधीक्षक जवाहर मंडलोई ने किसी भी जेल कर्मी के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की। मंडलोई पर जेल मुख्यालय के अधिकारी मेहरबान है डिप्टी जेलर मनोज जैसवाल की वसीम हत्याकांड के मामले में लिप्तता, महू उप जेल में रिश्वत लेते हुए वीडियो वायरल होने के बाद, जिला जेल में कैदियों के बीच हुई मारपीट जैसे अनेक मामलों में दागदार बने पर जेल मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी क्यों मेहरबान बने हुए है। यह आश्चर्य की बात है।
सूत्र बताते है कि जेल मुख्यालय के अधिकारियों के लिये मनोज जैसवाल एक कमाऊ पूत बने हुए है। जेल में बंद अमीर कैदियों को सारी सुविधा मुहैया कराने के लिये जो राशि वसूली जाती है, उसकी बंदरबाट ऊपर तक होती है। यही कारण है कि ऊपर बैठे अधिकारी उर्न पर कोई कार्यवाही नहीं करते हुए मौन साधे बैठे है। मनोज जैसवाल एक ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी सर्विस के 10-12 साल इन्दौर जिले में ही गुजार दिये। लाभ-शुभ का चक्कर चलाकर उसने वरिष्ठ अधिकारियों में अपनी पैठ इतनी गहराई से जमा ली कि वरिष्ठ अधिकारी किसी अन्य स्थान पर उसका तबादला करने से पहले अपनी जेल के बारे में सोचते है। कोई मामला जब प्रमुखता से प्रकाश में आता है तो वरिष्ठ अधिकारी यही सोचते है कि दो-चार दिन में मामला ठंडा पड़ जायेगा।
होता भी यही है कि मामला ठंबे बस्ते में जाने के बाद उस जैसे अधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं होती, मगर कैदी अनस के साथ हुई मारपीट की घटना ने ऐसा तूल पकड़ा है कि अब वरिष्ठ अधिकारियों को मारपीट करने वाले जेल कर्मियों पर कार्यवाही करने के लिये बाध्य होना ही पड़ेगा।