35 वर्ष बाद हरचंदपुर की शोरा सहकारी समिति में फिर उतरी खाद, जर्जर भवन में शुरू हुआ नया दौर

रायबरेली : जिले के हरचंदपुर क्षेत्र में स्थित बहु-उद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण साधन सहकारी समिति, शोरा, जो पिछले 35 वर्षों से जर्जर हालत में थी, वहां एक बार फिर खाद उतारी गई है। समिति का भवन, जहां परिसर से लेकर छत तक घास उग आई थी और खिड़कियां, शटर व दरवाजे गायब हो चुके थे, अब नए सिरे से सक्रिय हो रहा है। यह उपलब्धि समिति के अध्यक्ष राघवेंद्र बहादुर सिंह के अथक प्रयासों, प्रशासनिक सहयोग और जनभागीदारी का परिणाम है। आगामी 28 जून 2025 को आयुक्त एवं संयुक्त निबंधक दीपक सिंह द्वारा इस नई शुरुआत का उद्घाटन किया जाएगा।

जर्जर भवन और 35 साल का ठहराव

शोरा सहकारी समिति का भवन लंबे समय से उपेक्षा का शिकार था। परिसर में उगी घास, टूटी-फूटी दीवारें और गायब खिड़कियां-दरवाजे इसकी बदहाली की कहानी बयां करते थे। पिछले 35 वर्षों से समिति में खाद की आपूर्ति बंद थी, जिसके कारण स्थानीय किसानों को खाद के लिए अन्य स्थानों पर निर्भर होना पड़ता था। इस स्थिति ने न केवल समिति की उपयोगिता को प्रभावित किया, बल्कि क्षेत्र के किसानों की कृषि आवश्यकताओं को भी बाधित किया।

अध्यक्ष राघवेंद्र बहादुर सिंह ने उठाया समिति

समिति के अध्यक्ष राघवेंद्र बहादुर सिंह ने इस जर्जर स्थिति को बदलने का बीड़ा उठाया। उन्होंने अपर जिलाधिकारी (सहकारिता) अनिल कुमार राय को समिति की समस्याओं से अवगत कराया और समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए। शुरुआती प्रयासों में धन की कमी सबसे बड़ी बाधा थी, लेकिन राघवेंद्र सिंह ने हार नहीं मानी। उन्होंने समिति के लाभांश का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा और जन सहयोग को भी प्रोत्साहित किया।

प्रशासनिक सहयोग और जनभागीदारी का योगदान

इस पहल में अपर जिलाधिकारी (सहकारिता) अनिल कुमार राय और निबंधक (सहकारिता) रामसागर चौरसिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा। अपर जिलाधिकारी (सहकारिता) श्याम प्रकाश ने भी इस प्रक्रिया में सहयोग प्रदान किया। समिति के सीमित संसाधनों के साथ-साथ जन सहयोग के माध्यम से धन जुटाया गया, जिससे खाद की आपूर्ति फिर से शुरू करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। बुधवार को समिति के द्वार पर खाद उतारी गई, जो इस लंबे अंतराल के बाद एक ऐतिहासिक क्षण था।

28 जून 2025 को आयुक्त एवं संयुक्त निबंधक दीपक सिंह द्वारा समिति में खाद आपूर्ति की इस नई शुरुआत का औपचारिक उद्घाटन किया जाएगा। यह आयोजन न केवल समिति के पुनर्जनन का प्रतीक होगा, बल्कि क्षेत्र के किसानों के लिए एक नई उम्मीद भी जगाएगा। स्थानीय किसानों का कहना है कि समिति के सक्रिय होने से उन्हें समय पर खाद उपलब्ध होगी, जिससे उनकी कृषि गतिविधियों को बल मिलेगा। शोरा सहकारी समिति का यह पुनर्जनन सहकारिता, प्रशासनिक सहयोग और जनभागीदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। समिति के अध्यक्ष राघवेंद्र बहादुर सिंह की पहल और प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग ने एक जर्जर भवन को फिर से जीवंत कर दिया। यह प्रयास न केवल स्थानीय किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा, बल्कि सहकारी समितियों के महत्व को भी रेखांकित करता है।

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